दिल्ली का आरटीआर फ्लाईओवर आखिरकार खुल गया, करण थापर की वजह से हुई देरी

करण थापर फ्लाईओवर

(PC: ThePrint)

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज राव तुलाराम फ्लाईओवर का उद्घाटन किया जो साउथ और ईस्ट दिल्ली के अलावा नोएडा की ओर से घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स के लिए एयरपोर्ट जाने वाले लोगों को काफी हद तक सहूलियत प्रदान करेगा। हालांकि, यह प्रोजेक्ट तीन साल की देरी से चल रहा था। इस प्रोजेक्ट पर नवंबर 2014 में काम शुरू हुआ था और इसे 2 वर्षों में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन इस प्रोजेक्ट के लिए समयसीमा को कई बार बढ़ाया गया। इस प्रोजेक्ट के तहत 2.7 किमी लंबे फ्लाईओवर का निर्माण किया जाना था, लेकिन इसके निर्माण में 5 सालों का समय लग गया। इस प्रोजेक्ट में देरी का सबसे कारण सुस्त और लचर सिस्टम था जिसकी वजह से दो साल के बाद भी इस प्रोजेक्ट का सिर्फ 5 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया था। हालांकि, लोगों को समय की बर्बादी और जाम से निजात दिलाने वाले इस प्रोजेक्ट को रद्द करवाने के लिए पत्रकार करण थापर ने भी जमकर कोशिश की थी।

बता दें कि राव तुलाराम फ्लाईओवर अभी पहले से मौजूद 900 मीटर लंबे राव तुला राम मार्ग के समांतर बनाया गया है। यह फ्लाईओवर मुनिरका मेट्रो स्टेशन के पास से शुरू होता है और धौला कुआं के सैन्य अस्पताल के पास जाकर खत्म होता है। हालांकि, वर्ष 2012 में करण थापर की अगुवाई में वसंत विहार में रहने वाले कुछ लोगों ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा था कि इस प्रोजेक्ट की वजह से उनके घरों के सामने पालम मार्ग की सर्विस लेन की चौड़ाई कम हो जाएगी जिसकी वजह से क्षेत्र में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बहुत ज़्यादा बढ़ जाएगी।

इतना ही नहीं, करण थापर ने इस मामले में दिल्ली के तत्कालीन एलजी तजेन्द्र खन्ना को एक पत्र भी लिखा था जिसमें उन्होंने एलजी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग भी की थी। इस प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले लोगों ने अपने पक्ष में कुछ बेतुके तर्क दिये थे। कुछ ने कहा था कि फ्लाईओवर के निर्माण के बाद उस क्षेत्र में आपातकाल सेवाओं के लिए दमकल और एंबुलेंस का पहुंच पाना नामुमकिन हो जाएगा। हालांकि, करण थापर द्वारा समर्थित लोगों को तब उसी क्षेत्र के लोगों ने मुंह तोड़ जवाब दिया था।

दरअसल, करण थापर का इस प्रोजेक्ट का विरोध करने के कुछ दिनों के बाद ही वसंत विहार के कुछ लोगों ने थापर का समर्थन करने वाले लोगों के दावों को खारिज कर दिया था। इन लोगों का मानना था कि करण थापर जैसे लोग अपने निजी फायदे के लिए पूरे शहर को बंधक बनाना चाहते हैं।

उदाहरण के तौर पर 5 अगस्त 2012 को प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख में लिखा है ‘वसंत मार्ग के घर नंबर 10 में रहने वाले रत्ना सहाई ने इस दावे को खारिज कर दिया कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण के बाद उनके क्षेत्र में दमकल या एंबुलेंस नहीं आ सकेंगी। इस बात को खुद फायर डिपार्टमेन्ट के चीफ ने माना है’।

इस लेख के मुताबिक वसंत विहार के रेजीडेंट वेल्फेयर असोशिएशन के अध्यक्ष गौतम वोहरा ने बताया कि इस मामले को लेकर करण थापर ने कभी उनसे संपर्क नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने कभी भी पानी की समस्या जैसे क्षेत्र के बड़े मुद्दों को नहीं उठाया और ना ही उन्होंने कभी इसकी ओर कोई रुचि दिखाई’।

उनके अलावा वसंत विहार के कुछ लोगों ने यह भी कहा था कि साउथ और ईस्ट दिल्ली और नोएडा में रहने वाले लोगों के साथ-साथ खुद वसंत विहार के लोगों को एयरपोर्ट जाने में परेशानी झेलनी पड़ती है, इसलिए हमें जनता की भलाई के बारे में सोचना चाहिए और इस मामले को और उलझाना नहीं चाहिए।

करण थापर तमाम कोशिशों के बावजूद इस प्रोजेक्ट को रद्द तो नहीं करवा पाये थे लेकिन अपने सेलेब्रिटी स्टेटस और यूपीए सरकार में अपनी ‘जान-पहचान’ के दम पर उन्होंने इतना हौसला जरूर दिखा दिया था कि उन्होंने करोड़ों लोगों की मुश्किलों का हल निकालने वाले एक प्रोजेक्ट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उनका यह रवैया यूपीए सरकार के समय समाज में फैले वीआईपी कल्चर को एक्सपोज करने के लिए काफी था।

करण थापर जैसे लोग समझते थे कि पूरा सिस्टम उन जैसे लोगों की वजह से ही चल रहा है और उनके निजी हित, देशहित और जनता के हितों से बड़े हैं। आज इस आरटीआर फ्लाईओवर का लोगों के इस्तेमाल के लिए खुलने से करण थापर जैसे लोगों की ‘वीआईपी’ कल्चर वाली मानसिकता पर कडा प्रहार हुआ है। हालांकि, आज करण थापर का सेलेब्रिटी स्टेटस उतना बड़ा तो नहीं है, जितना आज से 5 या 6 साल पहले हुए करता था, लेकिन यह निश्चित है कि इस फ्लाईओवर के सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए खुलने से लोगों की मुश्किलों में कमी जरूर आएगी।

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