दिया मिर्ज़ा ने वन विभाग के अधिकारियों को बेइज्ज़त किया तो रणदीप हुड्डा ने लगाई ऑनलाइन क्लास

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की एक बेहद ही शर्मनाक घटना में 6 वर्षीय बाघिन को हथियारों से लैस एक भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें उस असहाए जानवर को पीटा जा रहा था। इस घटना के सामने आने के बाद पुलिस ने सख्त कदम उठाते हुए 31 ज्ञात और 12 अज्ञात लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की, और इसके साथ ही जिलाधिकारी ने घटना की न्‍यायिक जांच के आदेश दिए भी दिए हैं।

पीलीभीत टाइगर रिसर्व के फील्ड डाइरेक्टर एच राजमोहन ने बताया, ”बाघिन की उम्र करीब 5-6 वर्ष थी। उसके पूरे शरीर पर घाव हैं और हड्डियां टूटी मिली थी। उसके शरीर के लगभग हर हिस्से पर भाले जैसे धारदार हथियार के वार से चोटें लगी थीं।“ रिपोर्ट्स के मुताबिक, वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुँच गई थी, लेकिन गुस्से में गांव वालों ने उन्हें उसे अस्पताल नहीं ले जाने दिया।

इस घटना की चारो तरफ निंदा हुई और इस पर कड़ी कारवाई की मांग की गयी। इसी घटना को लेकर कई पशु प्रेमीयों ने अपनी आपति जताई और पीलीभीत पुलिस से जानकारी मांगी। इसी मामले पर अभिनेत्री दिया मिर्ज़ा ने एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया जिसमें लिखा था,”बाघिन को बचाया जा सकता था क्योंकि वन विभाग के अधिकारी समय पर घटनास्थल पर पहुंच गए थे। लेकिन उनका बाघिन को 9 घंटे में भी न बचा पाना उनके प्रतिकूल परिस्थितियों में वन्यजीवों की रक्षा करने में असमर्थता को दिखाता है।“

दिया मिर्ज़ा ने जान-बूझकर सच जाने बिना वन अधिकारियों को बदनाम करने वाली इस रिपोर्ट का हवाला दिया। मिर्ज़ा को उनके इस प्रकार के ट्वीट का जवाब, जाने माने अभिनेता और पशु प्रेमी रणदीप हुड्डा ने दिया और उन्हें बताया कि सच क्या है। और उन्होंने दिया को नसीहत दी कि बिना सच जाने अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ”मैं आपके इस आरोप से असहमत हूँ। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के लोग अच्छा काम कर रहे हैं। जब वन विभाग के कर्मचारियों ने घायल बाघिन को खोजा तब उसकी स्थिति बेहद गंभीर थी। उसे बचाना बहुत मुश्किल था। वन विभाग ही भारतीय वन् संपदा की रक्षा कर रहा है, कोई एनजीओ नहीं।“

लेकिन अपने आप को इस विवाद से दूर करने के लिए उन्होंने ट्वीट किया,” रणदीप आपको यह पता होना चाहिए कि यह ट्वीट इंवेर्टेड कॉमा के अंदर है और यह उस लेख में लिखा गया है। मैं हमेशा से ही वन के अधिकारियों का समर्थन करती हूँ। उन्हें बहुत ही कम साधनों से काम करना पड़ता है तथा वे बहुत ही साहसी होते हैं।“

लेकिन रणदीप ने उनके चयनात्मक उल्लेख के लिए उन्हें पाठ पढ़ाया और लिखा, ”अगर हम किसी बात पर विश्वास करते तभी उसका उल्लेख करते है। हमे वन विभाग के अधिकारियों को विलेन के रूप में जिम्मेदार बता कर उनके अनवरत मेहनत को कमतर आंकना बंद करना होगा। हमारा एक ही लक्ष्य होना चाहिए और वह है साथ मिल कर काम करना।“

रणदीप हुड्डा ने दिया मिर्ज़ा के इरादों को पहले ही भांप लिया था कि उनका मकसद वन विभाग के अधिकारियों को बदनाम करना है जिसके लिए वे वन विभाग के अधिकारी जिम्मेदार भी नहीं है। इसलिए उन्होंने दिया मिर्ज़ा को करारा जवाब दिया। दिया मिर्ज़ा जैसे लोग अक्सर अपने कथित पशु प्रेम की आड़ में निष्ठावान और परिश्रमी सरकार के अधिकारियों के उत्साह को कम करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, रणदीप हुड्डा जैसे अभिनेताओं द्वारा इस गैंग को मुंहतोड़ जवाब देना अत्यंत सराहनीय है।

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