मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल में नितिन गडकरी सर्वोत्तम मंत्रियों में से एक सिद्ध हुए थे। प्रशासन में अपने नवीन विचारों और चुनौतियों को संभावित अवसरों में परिवर्तित करने की इनकी खूबी ने सरकार के सुशासन में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अब ऐसा प्रतीत होता है कि नितिन गडकरी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी अपनी उसी विरासत का अनुसरण करा रहे हैं । भारत में केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मोदी सरकार के गांव-गांव में सड़क और बड़े राजमार्ग के सपने को जमीनी स्तर पर साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब पिछली सभी योजनाओं को पूरा करने के बाद नितिन गडकरी ने भारत में आवागमन को और सुगम बनाने का निर्णय लिया है। भारत सरकार ने परिवहन में नए तरह के दो पायलट इलेक्ट्रिक हाईवे और लाइट रेल ट्रैक शुरू करने का फैसला किया है।
दो-तीन वर्षों में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक 10-किमी का पायलट इलेक्ट्रिक हाईवे और एक टियर- II और III शहरों से गुजरने वाले बैरिकेड लाइट रेल ट्रैक लॉन्च किए जाएंगे। दोनों प्रोजेक्ट में चलने वाली ट्रकों, बसों और हल्की मेट्रो रेल के इंजनों को चलाने के लिए ओवरहेड इलेक्ट्रिक सप्लाई होगी।
सड़क परिवहन मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार 22 ग्रीन एक्सप्रेस वे बना रही है, इनमें से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे एक है। गडकरी ने बताया, “दिल्ली-मुंबई मार्ग देशभर में तैयार किए जा रहे ग्रीन एक्सप्रेस हाइवे नेटवर्क का ही एक हिस्सा है। यह गुड़गांव से शुरू होकर सवाई माधोपुर, अलवर, रतलाम, झाबुआ, बड़ोदरा से होकर मुंबई जाएगा।”
गडकरी के मुताबिक ग्रीन हाइवे के जरिए व्यापारिक वस्तुओं के परिवहन की लागत घट जाएगी क्योंकि इस पर ट्रेन जैसे इलेक्ट्रिक सिस्टम से ट्रक चलाये जायेंगे। गडकरी ने बताया कि अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को, जर्मनी और स्वीडन आदि की तर्ज पर देश में भी इलेक्ट्रिक सिस्टम का अनोखा रास्ता तैयार किया जाएगा। गडकरी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा, “मैं सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जो प्राथमिकता तय की थी उसके बहुत अच्छे नतीजे सामने आए हैं।”
गडकरी के मुताबिक राजमार्ग और भवन निर्माण क्षेत्र में प्रगति की रफ्तार दोगुनी हो चुकी है। उन्होंने कहा, “यह बहुत बड़ी प्रगति है. हर परियोजना हमारे लिए प्राथमिकता है। हम उसे समय पर पूरा करेंगे।” गडकरी के बारे में कहा जाता है कि वो मोदी द्वारा दिए गए टारगेट से पहले ही काम को पूरा करने में विश्वास करते हैं और यही कला उन्हें मोदी का करीबी बनाती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार इस इलेक्ट्रिक हाइवे सिस्टम के 10 किलोमीटर के निर्माण में लगभग 200 करोड़ की लागत आएगी। तथा इसके लिए हेवी इंडस्ट्रीज़ डिपार्टमेंट को भी तलब किया गया है।
वर्ष 2016 से ही ऐसे प्रोजेक्ट पर अभी तक 3 नमूने प्रस्तुत किए जा चुके है। गडकरी ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत अगले पाँच वर्षों में एक अग्रणी इलेक्ट्रिक हब बनेगा और इसमें भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि सरकार सभी साझेदारों से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की सलाह लेगी।
इस पायलट इलेक्ट्रिक हाईवे और लाइट रेल ट्रैक के चालू होने से खतरनाक प्रदुषण फैलानेवाले मालवाहक ट्रको का दिल्ली में प्रवेश पूरी तरह बंद हो जायेगा। दूसरी तरफ दिल्ली को ट्रैफिक की समस्या भी कम हो होगी जिससे दिल्ली जाम से मुक्त होगी। केंद्र सरकार का दावा है कि इन सभी सड़क परियोजनाओं के पूरा हो जाने से दिल्ली-एनसीआ में गाड़ियों की आवाजाही से होने वाले प्रदूषण में 50 फीसद तक की कमी आएगी। कुल मिलाकर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे के बाद पायलट इलेक्ट्रिक हाईवे और लाइट रेल ट्रैक परियोजना प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का वो हिस्सा है जो आनेवाले समय में भारत के विकास में मिल का पत्थर साबित होगा।