पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अमेरिका में झेलनी पड़ी भारी शर्मिंदगी

(PC: Twitter)

दुनिया भर में आर्थिक बदहाली के लिए बदनाम हो चुके पाकिस्तान के अब इतने बुरे दिन आ गए हैं कि कोई भी अब उसके प्रधानमंत्री की मेहमाननवाज़ी करने को तैयार नहीं है। रविवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जब अपनी पहली अमेरिकी यात्रा के लिए अमेरिका के Dulles एयरपोर्ट पहुंचे, तो एयरपोर्ट पर कोई भी अमेरिकी प्रसाशन का बड़ा अधिकारी उन्हें लेने के लिए मौजूद नहीं था। वह अपने निजी चार्टर प्लेन से न जाकर कतर एअरवेज की कमर्शियल फ्लाइट से अमेरिका पहुंचे तथा हवाई अड्डे पर उनके स्वागत के लिए पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ही मौजूद थे। पाकिस्तानी मूल के अमेरिकियों ने भी उनका स्वागत किया। लेकिन किसी बड़े अमेरिकी अधिकारी की मौजूदगी नदारद ही रही। साथ ही इमरान खान को सार्वजनिक बस का भी उपयोग करना पड़ा।

आर्थिक मोर्चे पर विफल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने महंगे होटलों में न रुक कर अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत अजद मजीद खान के आधिकारिक निवास में ठहरने का फैसला लिया है। अपने तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में 22 जुलाई को मुलाकात करेंगे।

वॉशिंगटन डीसी में ठहरने के दौरान खान ट्रंप से मुलाकात करने के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी प्रमुख डेविड लिप्टन और विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास से भी मिलेंगे तथा अपने देश की आर्थिक हालत ठीक करने पर विचार करेंगे। इमरान खान के अमेरिकी दौरे को लेकर बलोच, सिंधी और मुहाजिर समेत पाकिस्तान के कई धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं और यह विरोध प्रदर्शन यात्रा के दौरान लगातार जारी रहने की उम्मीद भी है।

हालांकि यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की इंटेरनेशनल फजीहत हुई है। इससे पहले इमरान खान बेल्ट एंड रोड फोरम समिट में हिस्सा लेने के लिए गए चीन के दौरे पर गए थे। इस दौरे में भी उनकी जबरदस्त फजीहत हुई थी। उनका स्वागत बीजिंग की म्यूनिसिपल कमेटी की डिप्टी सेक्रेट्री जनरल ली लिफेंग ने किया था जिसके बाद सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की जमकर खिल्ली उड़ाई गई थी। साथ ही रूस भी पाकिस्तान की बेइज्जती करने में पीछे नहीं रहा है। बिश्केक में एससीओ समित के दौरान रूस ने द्विपक्षीय वार्ता के संबंध में पाकिस्तान से आए वार्ता प्रस्ताव को सीधे तौर पर खारिज कर दिया था।

लगता है यह पूरा साल ही इमरान खान के लिए बेइज्जती भरा रहा है। इस साल मई में इमरान खान सऊदी अरब के राजा सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ से मुलाक़ात के दौरान प्रोटोकॉल तोड़ते हुए उनकी बात सुने बिना ही वहां से चलते बने थे। इसको लेकर बाद में सऊदी सरकार ने पाकिस्तान सरकार को अपना विरोध जताया था। लोगों ने तब भी सोशल मीडिया पर इमरान खान की जमकर खिंचाई की थी। ऐसे ही इमरान खान जब शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बिश्केक पहुंचे थे, तो भी उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर शर्मसार होना पड़ा था। तब किर्गिस्तान के राष्ट्रपति के आमंत्रण पर जब सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष मीटिंग हॉल में प्रवेश कर रहे थे तो उस वक्त पाक के प्रधानमंत्री अपनी सीट पर आकर बैठ गए जबकि अन्य राष्ट्राध्यक्ष प्रवेश करने के बाद अपनी सीट पर खड़े रहे थे तथा अन्य राष्ट्राध्यक्षों का अभिवादन कर रहे थे। इस घटना को पाकिस्तानी, भारतीय मीडिया समेत पूरी दुनिया की मीडिया ने प्रकाशित किया और पाकिस्तान को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। आतंकवादियों को अपने देश के सुरक्षा तंत्र का अहम हिस्सा मानने वाले पाकिस्तान को भारत ने पिछले कुछ वर्षों में भली-भांति एक्सपोज किया है। इसी का नतीजा है कि, आज दुनिया की सुपर पावर्स तो छोड़िए, छोटे मोटे देश भी पाकिस्तान को अहमियत देना जरूरी नहीं समझते।

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