भारत और इज़राइल के संबंध दिन प्रतिदिन और गूढ होते जा रहे हैं । दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र से लेकर अब पानी की समस्या तक को साथ मिल कर हल करने की दिशा में कई कदम उठायें हैं। पिछले वर्ष इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु ने महाराष्ट्र दौरे के बाद भारत को पानी की समस्या से निपटने में मदद के लिए मेमोरेंडम ऑफ अण्डरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर किया था। इसके तहत इज़राइल महाराष्ट्र के सूखा ग्रस्त क्षेत्र मराठवाड़ा में पानी की समस्या से निपटने के लिए 1000 करोड़ की लागत से वॉटरग्रिड सिस्टम बनाने में मदद करेगा। इसके लिए महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण और इज़राइल केमेकोरोट,नेशनल वॉटरकैरियर ऑफ इज़राइल को दोनों देशों की तरफ से ज़िम्मेदारी दी गयी है। मेकोरोट के प्रतिनिधि रोमियल सैमुअल ने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने से 2050 तक 30 मिलियन लोगों तक पानी पहुंचेगा। यह भारत और इज़राइल के बीच वह सबसे बड़ी परियोजना है जिसका संबंध रक्षा क्षेत्र से नहीं है। इज़राइल के काउंसिल जनरल याकोव फिंकलस्टेन के अनुसार महाराष्ट्र सरकार के पास पहले से ही वाटर ग्रिड मौजूद है लेकिन वह उसे डिज़ाइन करना नहीं जानते है। उन्होंने कहा कि मेकोरोट को महाराष्ट्र के अधिकारियों से मिलने के निर्देश दिये जा चुके है। बता दे कि अकेले मराठवाड़ा(65000) का क्षेत्रफल इज़राइल(22000) से तीन गुना बड़ा है।
इज़राइल ने भारत में पानी की कमी की समस्या से निपटने में मदद देने तथा मरुस्थलीकरण से निपटने में अपनी विशेषज्ञता साझा करने में उत्सुकता दिखाई है। इज़राइल जल संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए विश्व विख्यात है। भूमध्य सागर के किनारे बसे इस देश का 60 प्रतिशत भूभाग मरुस्थल है तथा अन्य 20 प्रतिशत अर्ध मरुस्थल है। इज़राइल ने इस समस्या से निपटने के लिए कई तकनीक विकसित की हैं तथा इसे अब भारत के साथ भी साझा करने का निर्णय किया है।
बता दे कि पिछले साल अहमदाबाद में आयोजित एक समारोह में इजरायली पीएम नेतन्याहूने ने अपनी भारत यात्रा के दौरान पीएम मोदी को डिसेलिनेशन जीप भेंट की थी जिसे गैल मोबाइल वाटर एंड प्यूरीफिकेशन जीप के रूप में जाना जाता है। भारत जैसे देश में, डिसेलिनेशन जीप एक बहेतरीन विकल्प साबित हो सकता है। यह एक मोबाइल जल उपचार प्रणाली है जिसे ताजे पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लिए देश के विभिन्न समुद्री हिस्सों में स्थापित किया जा सकता है तथा पानी की समस्या से निपटा जा सकता है।
डिसेलिनेशन समुद्र के खारे पानी को पीने के पानी में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। यह मूल रूप से समुद्र के पानी से नमक तथा अन्य खनिज निकाल कर अलग कर देता है। और इसे पीने योग्य बनाता है। यह ध्यान देने वाली बात है कि भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा है और भारत के पास लगभग 7,800 किलोमीटर की विशाल तटरेखा है जिसका उपयोग भारत अपने जल की कमी की समस्या ने निपटने के लिए कर सकता है। हालांकि, इतने बड़े समुद्र तट और हर साल मानसून आने के बाद भी भारत पानी की कमी की समस्या का सामना करता रहा है और डिसेलिनेशन जीप निश्चित रूप से देश को इस समस्या से निपटने में मदद करेगा।
नीति आयोग ने भी भारत के विशाल समुद्र तट को संसाधन के रूप में प्रयोग करने की योजना पर बल दिया है ।भारत का यह थिंक टैंक समुद्री जल में डिसेलिनेशन संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है। पिछले साल नीति आयोग ने जल प्रबंधन सूचकांक पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें कहा गया है कि भारत वर्तमान में अपने इतिहास के सबसे गहरे जल संकट से जूझ रहा है। पानी की गुणवत्ता की सूची में भारत 122 देशों में से 120वें स्थान पर है।
यह स्पष्ट है कि इज़राइल भारत के साथ अपने संबंध और गूढ करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। ऐसे में डिसेलिनेशन क्षेत्र में भारत की मदद करने का इज़राइल का फैसला एक महत्वपूर्ण कदम होने जा रहा है जो दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगा।