चंद्रयान के बाद सूर्य, मंगल, शुक्र की बारी, इसरो के नए प्रोजेक्ट दिलचस्प हैं

अंतरिक्ष सूर्य

(PC: India Today)

इसरो दुनिया की सबसे बेहतरीन अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है और इसने विश्व में भारत का कद एक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में बढ़ा दिया है। अब तक इसरो ने 103 अंतरिक्ष यान मिशन और 72 लॉन्च मिशन प्रक्षेपित किए हैं। इस संगठन ने छात्रों का उत्साह बढ़ाने और उन्हें प्रेरित करने हेतु उनके द्वारा बनाये गये उपग्रह कलामसैट को लॉन्च किया था जो दुनिया का सबसे हल्का उपग्रह भी है। इसरो ने पड़ोसी देशों का उपग्रह प्रेक्षेपित कर भारत को सामरिक रूप से मजबूत बनाया है। यह अमेरिका, इज़राइल, जापान और कुछ यूरोपीय देशों समेत 32 देशों के 269 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है।

इस वर्ष 15 जुलाई को इसरो चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च करेगा। यह भारत का पहला मून लैंडर और रोवर मिशन है। लेकिन इस मिशन के बाद इसरो और भी कई बड़ी परियोजना पर अनुसंधान कर रहा है। इसरो की वैबसाइट के अनुसार चंद्रयान-2 के बाद यह एक और यान चाँद पर भेजने की योजना बना रहा है और यह तीसरा चंद्र मिशन 2020 के अंत तक पूरा जाएगा। इस तीसरे चन्द्र मिशन में चाँद के सतह की जांच करने के लिए भारतीय रोबोट को चाँद की सतह पर उतारा जा सकता है।

इसके बाद वर्ष 2019-20 के अंत तक इसरो सूर्य की ओर रुख करेगा और आदित्य-L1 नाम का सोलर प्रोब मिशन लॉंच करेगा। इसरो की वैबसाइट के अनुसार यह मिशन सूर्य के कोरोना, सौर लपटों, तापमान, चुबंकीय क्षेत्र समेत अन्य आयामों और उनसे पृथ्वी पर होने वाले प्रभावों की जांच करेगा। 400 किलोग्राम वजनी तथा एक पे-लोड वाला आदित्य सोलर प्रोब धरती से 15 लाख किमी ऊपर स्थित हैलो ऑर्बिट में लग्रांज-1 बिंदु के पास स्थापित किया जाएगा।

अगले प्रोजेक्ट पर नासा और इसरो साथ मिलकर काम करेंगे। इस प्रोजेक्ट का नाम निसार या नासा-इसरो सिंथेटिक रखा गया है। यह दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट होगा तथा इसकी संभावित लागत 10 हजार करोड़ होने की उम्मीद है।

इसरो मंगल ग्रह पर पहले भी मंगल-यान भेज चुका है और फिर से 2021-22 तक मंगल-यान-2 यानि मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 को भेजने की तैयारी कर रहा है। इस बार इसरो ने मंगल ग्रह की सतह पर लैंडर और रोवर उतारने की योजना बनाई है ताकि वहां की सतह, वातावरण, रेडिएशन, तूफान, तापमान आदि का अध्ययन किया जा सके। यह एजेंसी 2022 तक तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भारत की गगन-यान परियोजना के तहत अंतरिक्ष भेजने पर काम कर रही है।

भारत की यह संस्था शुक्र ग्रह पर भी पहुंचने की योजना बना चुकी है। Indian Venusian Orbiter Mission यानी शुक्र-यान इसरो इस मिशन के जरिए शुक्र के वातावरण का अध्ययन करेगा। और यह 2023 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। आज तक सिर्फ चार देश अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपियन यूनियन ही शुक्र पर सफलतापूर्वक मिशन भेज पाए हैं।

इसके बाद इसरो सबसे महत्वाकांक्षी योजना अवतार(AVATAR) को पूर्ण करने पर ध्यान लगाएगा। अवतार (Aerobic Vehicle for Transatmospheric Hypersonic Aerospace TrAnspoRtation) के नाम से जाना जाने वाले इस प्रोजेक्ट से उपग्रहों की लॉन्चिंग के लिए एक ही यान का उपयोग कई बार किया जा सकेगा।  इससे रॉकेट बनाने का खर्च बचेगा। इसरो पहले ही इसके एक हिस्सा रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) यानी कलाम-यान का सफल परीक्षण कर चुकी है। इस योजना में DRDO भी मदद कर रही है। इस मिशन में कलाम-यान से ही इंसानों को अंतरिक्ष की यात्रा कराई जाएगी। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2025 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।  

इसरो ने अपनी स्पेस स्टेशन बनाने की भी घोषणा की है। अभी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 10 करोड़ रुपए सरकार से मिले हैं और इस परियोजना पर काम चल रहा है।

एनडीए सरकार ने हमेशा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की प्रगति पर ध्यान दिया है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष विभाग को अपने प्रभार में रखा है ताकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो और परियोजना अविरल चलती रहे। यूपीए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2013-14 में इसरो को सिर्फ 5,615 करोड़ रुपये आवंटित किए थे जो बाद में बजट को संशोधित कर 4,000 करोड़ रुपये कर दिया। मई 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद अपने पहले ही बजट में इसरो के अनुदान को लगभग 50 प्रतिशत बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये कर दिया। वर्ष 2019-20 तक इसरो का बजट बढ़ा कर 10,252 करोड़ रुपये तक का दिया गया है।

इसरो की शानदार सफलता के कारण भारत एक प्रमुख अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में उभरा है। इसरो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अन्य देशों से अपेक्षाकृत कम धन खर्च करता है फिर भी आज भारत, अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया में सबसे शक्तिशाली है। हाल ही में पेश बजट में मोदी सरकार ने इसरो की न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड नामक एक शाखा बनाने का निर्णय लिया है। इस शाखा के जरिये इसरो अधिक राजस्व अर्जित कर सकेगा। मोदी सरकार का यह कदम इसरो को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा ताकि और अधिक महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को शुरू हो सके। और भारत विश्व में एक अंतरिक्ष महाशक्ति बना रहे। 

विज्ञान के बढ़ते कदम को देख कर अब यही लग रहा है कि भविष्य में अंतरिक्ष सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र रहेगा। सभी देश स्पेस की महाशक्ति बनने की होड में लगे है। ऐसे में इसरो को विकसित और मजबूत करने का मोदी सरकार का प्रयास सराहनीय है। इन सभी परियोजनाओं से भारत आने वाले दिनों में विश्व में अंतरिक्ष की महाशक्ति बनने की अग्रसर होगा।  

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