नॉकआउट मुक़ाबलों में सचिन विराट और धोनी के आकंड़ों से साफ़ पता चलता है, कौन है असली विजेता

सचिन क्रिकेट

विश्व कप 2019 के सेमीफ़ाइनल में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध भारत की हार के बाद दर्शकों ने एक बार फिर से खिलाड़ियों की तुलना आरंभ कर दी है। बुधवार को विश्व कप के सेमीफाइनल में जब भारत के शीर्ष खिलाड़ी बिना रन बनाये आउट हो गये थे तब महेंद्र सिंह धोनी और जडेजा ने बेहतरीन साझेदारी की थी लेकिन इसके बावजूद भारत 18 रन से यह नॉकआउट मुक़ाबला हार गया।

अब दर्शक और बड़े बड़े क्रिकेट पंडित खिलाड़ियों के नॉकआउट मुक़ाबलों के प्रदर्शन और रिकार्ड्स को खंगाल कर एक दूसरे से श्रेष्ठ बताने के प्रयास कर रहे हैं। वास्तव में खिलाड़ियों के धैर्य और दृढ़ता की परीक्षा बड़े टूर्नामेंट के नॉकआउट मैचों में ही होती है जहां जहां एक ओवर में भी खिलाड़ियों का खराब प्रदर्शन पूरी टीम के मनोबल को कमजोर कर देता है और पिछले सभी प्रयासों को बेकार कर देता है। इस विश्वकप में भी यही हुआ। भारत ने असाधारण प्रदर्शन करते हुए 9 लीग मैचों में से 7 जीते और सिर्फ एक ही हारे जबकि एक मैच बारिश की वजह से रद्द हो गया था।

लेकिन नॉकआउट मैच में खराब प्रदर्शन ने भारत की लीग मैचों के शानदार प्रदर्शन को बेकार कर दिया। बेशक, यह सेमीफाइनल का मैच बेहद रोमांचकारी था और एक क्रिकेट प्रसंशक भी यही चाहेगा की विश्वकप का नॉकआउट मुक़ाबला रोमांचक हो। यह मुक़ाबला न्यूज़ीलैंड जीत गया लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत ने बिल्कुल ही खराब प्रदर्शन किया। इस मैच में न्यूज़ीलैंड ने ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया। हालांकि, जरूर कुछ खिलाड़ियों, विशेषकर मध्यक्रम के बल्लेबाजों के प्रदर्शन पर सवाल उठाता है कि क्या वास्तव में नॉकआउट के दबाव में वो टिक नहीं पाए क्योंकि पिछले कुछ बड़े टूर्नामेंट में भारतीय टीम के साथ यही देखने को मिल रहा है। भारतीय टीम का शीर्ष क्रम विश्व में सबसे बहेतरीन क्रम में से एक माना जाता है। लेकिन इस मैच में वह सस्ते में ही आउट हो गए। ऐसे में इन महत्वपूर्ण नॉक-आउट मैचों में शीर्ष भारतीय बल्लेबाजों के रिकार्डों का बारीकी से विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता  है। अब, आइए देखते है कि वास्तव में नॉकआउट मैचों में कौन सा भारतीय बल्लेबाज अपने धैर्य के साथ बहेतरीन प्रदर्शन कर टीम को जीत दिलाने में सफल रहा है।

सबसे पहले, बात करते है ऐसी समस्या का जो सबसे जरूरी है लेकिन कोई इस पर चर्चा नहीं करना चाहता यानि मौजूदा समय के सबसे महान खिलाड़ी माने जाने वाले विराट कोहली की। विराट आईसीसी रैंकिंग में नंबर एक बल्लेबाज है लेकिन नॉकआउट मैचों में उनका प्रदर्शन एक अलग ही कहानी को बताता है। अब तक, कोहली ने नॉकआउट वनडे मैचों में 14 पारियां खेली हैं और उनका औसत 31.36 का है, जो उनके एकदिवसीय मैचों के औसत 59.70 की तुलना में काफी खराब है। कोहली ने इन 14 मैचों में केवल दो बार ही 50 से अधिक रन बनाए हैं और नॉकआउट गेम्स में मजबूत टीमों के खिलाफ खेलते हुए उनका औसत और कम होकर 29.16 का हो गया है। यही कहानी उनकी स्ट्राइक रेट के साथ भी है। कोहली का ओवरऑल स्ट्राइक रेट 91.0 है, जबकि नॉकआउट मैचों में उनका स्ट्राइक रेट 83.13 है। स्पष्ट है कि कोहली का नॉकआउट मैचों का रिकॉर्ड निराशाजनक है। और यह उनकी मैच-विजेता की छवि के विपरीत है।

अब बात करते है भारतीय क्रिकेट के एक और दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी की, जिन्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ फिनिशर’ कहा जाता है, और वो भारतीय मध्यक्रम की रीढ़ भी माने जाते हैं। आधुनिक क्रिकेट का कोई भी भारतीय फैन धोनी के उस नाबाद 91 रनों की पारी को नहीं भुला सकता जो उन्होंने 2011 के विश्व कप के फाइनल में खेला था। लेकिन, सवाल यह है कि क्या धोनी ने नॉकआउट मैचों में निरंतरता दिखाई है?

अब तक 11 नॉकआउट मैचों में से धोनी ने 9 पारियां खेली हैं और 90.03 के स्ट्राइक रेट के साथ 28.25 के  औसत से 226 रन बनाए हैं। यह आकड़ा विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल को छोड़कर है। इन महत्वपूर्ण मैचों में, धोनी ने केवल 2 अर्धशतक बनाए हैं, और कोई शतक नहीं बनाया। इसके विपरीत, वनडे में उनका करियर औसत 50.57 है।

हम देखते है कि इन दोनों मौजूदा दिग्गजों की तुलना क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से की जाती है। सचिन के आलोचक यह बताते हैं कि सचिन कभी भी बड़े मैचों के खिलाड़ी नहीं थे और उनमें महत्वपूर्ण मैचों में ‘चोक’ करने की प्रवृत्ति थी। अब यह आलोचना फिर से अज्ञानता का ही परिचायक है। अगर सचिन की बात करें तो उन्होंने 52 नॉकआउट मैचों में 51 पारियां खेलीं हैं। उन्होंने 52.84 की औसत और 85.65 की स्ट्राइक रेट के साथ 2431 रन बनाए हैं। नॉकआउट खेलों में, सचिन ने सात शतक और 14 अर्धशतक बनाए हैं। और उनके प्रदर्शन से भारत ने हर नॉकआउट खेल में जीत दर्ज की है जिसमें भी उन्होंने शतक बनाया।

अब इन रिकार्ड्स को देखने के बाद स्पष्ट है कि सचिन अभी तक के सबसे बड़े मैच विजेता रहे हैं। महत्वपूर्ण मैचों के दौरान भारी जबरदस्त दबाव के बावजूद करोड़ों भारतवासियों की उम्मीदों पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर अधिकतर खरे उतरे हैं। स्पष्ट है सचिन क्रिकेट जगत के महान बल्लेबाज थे और हमेशा रहेंगे।

 

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