गरीब रथ को लेकर एनडीटीवी द्वारा फैलाये गये झूठ की रेलवे ने उड़ाई धज्जियां

भारतीय रेलवे ने एनडीटीवी के एक झूठ का पर्दाफाश किया है। एनडीटीवी ने पिछले दिनों खबर चलाई थी कि कठगोदम से जम्मू तवी और कानपुर से कठगोदम तक चलने वाली गरीब रथ एक्सप्रेस के ऑपरेशन को स्थायी रूप से बंद किया जाएगा। अब रेलवे ने कहा है कि यह खबर पूरी तरह फेक है। रेलवे ने कहा है कि इन रूट्स पर चलने वाली गरीब रथ एक्सप्रेस के ऑपरेशन को 4 अगस्त 2019 के बाद से दोबारा शुरू किया जाएगा।

बता दें कि अभी रेलवे द्वारा 26 गरीबरथ एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाया जा रहा है। वर्ष 2005 में इन ट्रेनों को लोअर मिडिल क्लास लोगों को सस्ते दरों पर वातानुकूलित यात्रा सेवा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था। इन ट्रेनों का किराया सामान्य ट्रेनों के थर्ड क्लास किराए से भी कम होता है।

ट्विटर यूजर्स ने इस खबर के बाद फेक न्यूज़ फैलाने के लिए एनडीटीवी को जमकर ट्रोल किया। एनडीटीवी की फेक न्यूज़ और रेलवे के जवाब के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए एक ट्विटर यूजर ने लिखा ‘RIP पत्रकारिता!’

भारतीय रेलवे ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि भारतीय रेलवे का गरीब रथ एक्सप्रेस सेवाओं को रद्द करने का कोई विचार नहीं है। ये बहुत लोकप्रिय सेवाएँ हैं क्योंकि ये ट्रेनें सस्ते दरों पर एसी सेवाएँ प्रदान करती हैं’।

खबरों के साथ छेड़-छाड़ कर फेक न्यूज़ फैलाना एनडीटीवी के लिए कोई नयी बात नहीं है। अगर बात झूठी खबर फैलाने की हो, क्लिक-बेट करने की हो, या भ्रामक खबर फैलाना हो, इन क्षेत्रों में तो एनडीटीवी को महारत हासिल है। इसी तरह एनडीटीवी ने उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री के एक बयान को भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया था। एक साधारण खबर को एनडीटीवी ने तोड़ा-मरोड़ा, और ये खबर चलाई कि यूपी की मंत्री को दलित के घर में मच्छर काटे जाने से परेशानी होती है।

उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अनुपमा जायसवाल ने कहा था ‘मंत्री यह देखने हर जगह जाता है कि काम हो रहा है या नहीं, चाहे उन्हें मच्छर ही क्यों ना काट लें’।

एनडीटीवी ने पत्रकारिता के स्तर को बेहद गिरा दिया है और ये खबरें इसी का उदाहरण है। ये हर बार एनडीटीवी की तरफ से एक विशेष एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। मीडिया का यह हिस्सा खबरों को रिपोर्ट करने के लिए नहीं, बल्कि खबरों के साथ छेड़-छाड़ करने के लिए जाना जाता है। एनडीटीवी की इन्हीं भ्रामक खबरों का नतीजा है कि इस चैनल की लोकप्रियता में भारी कमी देखने को मिली है। हालांकि, इसके बावजूद इस चैनल के होश ठिकाने नहीं आए हैं और यह अपनी एजेंडावादी पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में ही व्यस्त दिखाई देता है। हालांकि, अगर सब कुछ इसी तरह चलता रहा तो भविष्य में वित्तीय संकट के कारण इस चैनल का अस्तित्व खतरे में आ सकता है।

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