लोक सभा में भारी बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार आतंकवाद से लड़ने के लिए अब नए कदम उठाने को तैयार दिख रही है। यह सरकार आतंकवाद को लेकर अपनी जीरो टोलरेंस की नीति को लेकर काफी गंभीर दिख रही है। इसी क्रम में सोमवार को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पेश किया। इस विधेयक से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को और मजबूत बनाया जाएगा जिससे वह दुनिया के किसी भी देश में जा कर जांच कर सकती है। इस बिल से एनआईए विदेश में भी भारतीयों पर आतंकी हमलें की जांच शुरू कर सकेगी।
बिल को प्रस्तुत करते समय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से राष्ट्र विरोधी गतिविधि में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई कर सकती है। विधेयक में सख्त प्रावधान किए गए हैं जिसके मुताबिक आतंकवाद फैलाने में शामिल व्यक्ति को किसी भी स्तर पर बख्शा नहीं जाएगा।
कांग्रेस तथा आईयूएमएल ने इस विधेयक का विरोध किया। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर इस अधिकार का दुरुपयोग हो सकता है लेकिन विधेयक में उसको रोकने लिए कोई वादा नहीं किया गया है। वहीं शशि थरूर ने इस विधेयक का विरोध जताते हुए तर्क दिया कि अदालतों में पहले से काफी संख्या में मामले लंबित हैं । हम अदालत से सुनते आ रहे हैं कि फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया जाना चाहिए । लेकिन इस विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और इसमें सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा यह बिल एनआईए को राजनीतिक हस्तक्षेप से भी नहीं बचा रहा है।
आपको बता दे कि एनआईए की रिपोर्ट की सफलता दर 95 % है, 185 दर्ज केस मे से 167 मे कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गयी है| यासीन भटकल और अबू हमजा जैसे आतंकवादियों को भी एनआईए ने ही गिरफ्तार किया था| इसके बावजूद भी विपक्षी पार्टियों ने एनआईए में संशोधन के इस विधेयक का विरोध किया है जो दर्शाता है कि उन्हें देश की कितनी चिंता है|
कांग्रेस सहित विपक्ष का उपयुक्त तर्क बेतुका है जो इन्होंने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 के खिलाफ दिया। क्योंकि एनआईए अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का उच्च न्यायालय का विषय है। यह बिल एनआईए को भारत के बाहर दुनिया में किसी भी हिस्से में भारतीयों के खिलाफ आतंकी मामले की जांच करने में सक्षम बनाएगा।
एनआईए भारत की प्रमुख जांच एजेंसी है जिसका गठन 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद किया गया था। इसे भारत की सीमा के अंदर ही किसी आतंकी हमले का जांच की शक्ति प्रदान की गयी थी। तथा किसी आतंकी हमले में विदेशी लिंक की जांच तथा जानकारी दूसरी एजेंसी से आती है। लेकिन इस बिल के पारित होने से एनआईए अब विदेश में भी आतंकी हमले का जांच और अदालत में दोषियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर सकेगा। इस संसोधन बिल के माध्यम से पूर्वर्ती अधिनियम की धारा 1 और धारा 3 में संसोधन किया जाएगा। धारा 3 में एक नया खंड जोड़ा जाएगा जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरूद्ध या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करने वाले संगठन या व्यक्ति के खिलाफ एनआईए एक्शन लेने में सक्षम बनाएगा। वही धारा 3 में संसोधन किया जाएगा और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों को अपराधों के अन्वेषण के संबंध में भारत के बाहर भी शक्तियां व विशेषाधिकार प्रयोग करने में सक्षम बनाएगा। साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार को भी जांच के लिए एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करने के निर्देश दिये गए है।
इस विधेयक के पारित होने से राष्ट्र विरोधी गतिविधि में शामिल किसी व्यक्ति के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई कर सकती है चाहे वो विदेश में भी क्यों न छुपा हो। इस विधेयक में सख्त प्रावधान किए गए हैं और भारत के खिलाफ आतंकवाद में शामिल व्यक्ति को किसी भी स्तर पर नहीं बख्शा ही जाएगा। इस बिल में एनआईए को संयुक्त राष्ट्र के समझौते के अनुरूप काम करने के अधिकार देने के प्रावधान भी है।