भाजपा को राज्य में कमजोर करने के लिए नितीश कुमार आरएसएस को बना रहे निशाना

नितीश कुमार आरएसएस

PC: Punjab Kesari

भाजपा और बिहार में उसके सहयोगी दल जनता दल [यूनाइटेड] के बीच के संबंध फिलहाल ठीक नहीं है। लोकसभा चुनाव में राज्य के 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज़ करने के बावजूद भाजपा और जद[यू] के बीच तनातनी कायम है। चाहे बाकी राज्यों में अलग अलग चुनाव लड़ने हो, या फिर जम्मू कश्मीर से संबंधित धारा 370 में संशोधन का विरोध करना हो, या फिर जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की ममता बनर्जी से मुलाक़ात हो,  जेडीयू एनडीए का घटक दल है लेकिन वो इसका हिस्सा बने रहने के मूड में नजर नहीं आ रहा।

राज्य की स्थिति भी कुछ मुद्दों को लेकर तनावपूर्ण बनी हुई है और इसे सुधारने की बजाए ऐसा लगता है कि नितीश कुमार गठबंधन तोड़ने पर ही तुल गए हैं। हाल ही में प्रकाशित न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार अब बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने राज्य के पुलिस विभाग से राज्य में स्थित आरएसएस की विभिन्न इकाइयों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के निर्देश दिये हैं।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के स्पेशल ब्रांच के अधीक्षक को एक हफ्ते के अंदर राज्य में आरएसएस की विभिन्न इकाइयों से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने के निर्देश दिये गए हैं। चूंकि राज्य का गृह मंत्रालय नितीश कुमार के अधीन है, इसीलिए स्पेशल ब्रांच उन्हीं को राज्य की विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराती है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट अनुसार बिहार की स्पेशल ब्रांच के पुलिस अधीक्षकों  को जारी किये गये एक पत्र के अनुसार, ‘ पुलिस अधीक्षकों को सभी जानकारियां इकट्ठा करें, जिसमें आरएसएस के सभी कर्मचारियों एवं उससे संबन्धित सभी 17 संगठनों के नाम, टेलीफ़ोन नंबर, पेशा और पता शामिल है। इसे बिना किसी देरी के एक हफ्ते के अंदर जमा करना है।“

इसके अलावा स्पेशल ब्रांच से विभिन्न राष्ट्रवादी एवं दक्षिणपंथी संगठनों के बारे में भी जानकारी मांगी गयी है। कई पूर्व पुलिस अधिकारियों ने इसे एक अजीबोगरीब कदम करार दिया है। जहां बीजेपी को इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, तो वहीं आरएसएस ने इस बेतुके फरमान का पुरजोर विरोध किया है। आरएसएस प्रचारक अजित कुमार सिंह के अनुसार, “यदि ये सत्य है, तो इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी? आरएसएस प्रारम्भ से देशभक्त रहा है और इसके बारे में और क्या जानने की आवश्यकता है?”

लोकसभा में अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए भाजपा जदयू गठबंधन ने राज्य की 40 में से 39 लोकसभा सीट जीती थीं। लेकिन चुनाव के पश्चात पीएम के शपथ ग्रहण समारोह में ही भाजपा और जदयू के बीच की अनबन उभरकर सामने आने लगी। सूत्रों के अनुसार भाजपा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में एक पद देने को तैयार थी, जबकि जेडीयू को तीन पद चाहिए थे।

इसी कारण जेडीयू न केवल केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बाहर रही, बल्कि मोदी के शपथ ग्रहण के तीन दिन बाद नितीश कुमार ने अपना क्रोध प्रकट करते हुए अपने कैबिनेट के विस्तार में किसी भी भाजपा मंत्री को जगह नहीं दी। जेडीयू के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बिहार में भाजपा के बढ़ते कद से नितीश काफी असहज हैं और इसी कारण वे भाजपा पर नियंत्रण रखना चाहते हैं। और इसके लिए उन्होंने आरएसएस को निशाना बनाया है क्योंकि आरएसएस की भूमिका भाजपा के वोटबैंक को मजबूत करने काफी अहम रही है ।  

इस कदम से नितीश कुमार की असहजता साफ दिखती है। उन्हें मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार के कारण मरते बच्चे नहीं दिख रहे, उन्हें राज्य में अत्यधिक बारिश के कारण बाढ़ का खतरा नहीं दिखाई दे रहा है। परंतु आरएसएस का बढ़ता कद उन्हें खूब खटक रहा है। चूंकि आरएसएस भाजपा के लिए जनसमर्थन जुटाने का काम करता है, इसलिए आरएसएस पर प्रहार कर नितीश राज्य में भाजपा के बढ़ते कद को कम करना चाहते हैं।

हालांकि, यह पहला अवसर नहीं है जब नितीश ने राज्य में भाजपा अथवा आरएसएस के बढ़ते कद के प्रति अपनी असहजता खुले आम ज़ाहिर की हो। एक समय पर नितीश ने ये दावा किया था कि यदि भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाना है, तो आरएसएस को खत्म करना अवश्यंभावी होगा। इतना ही नहीं, 3 वर्ष पहले जब बिहार में भीषण बाढ़ आई थी, तब असंख्य आरएसएस स्वयंसेवकों ने अपनी जान जोखिम में डालते हुए पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में सहायता की, जिसका श्रेय लूटने में नितीश कुमार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अब उनका आरएसएस पर इस तरह से कड़ी नजर बनाना और जानकारी इकठ्ठा करना उनकी नई रणनीति का हिस्सा है ताकि वो भाजपा को राज्य में कमजोर कर सके।

वैसे भी अमित शाह नित्यानंद राय के तौर पर बिहार में नितीश के खिलाफ एक मजबूत विकल्प तैयार कर रहे हैं। इस बार नित्यानंद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बनाया गया है। ऐसे में नितीश को सत्ता खोने का डर सताने लगा है, जो उनके वर्तमान निर्णय से साफ झलकता है। ऐसे में इस कदम के लिए अवसरवादी नेता नितीश कुमार की जितनी निंदा की जाये, कम है।

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