शशि थरूर अपनी राजनीतिक रोटी सेकने में इतने मशगूल थे कि उन्हें तिरंगे का अपमान नजर नहीं आया

PC: dainikbhaskar

अपने अजीबो गरीब बयान और अपने बेफिक्र स्वभाव के लिए चर्चा में बने रहने वाले यूएन के महासचिव के पूर्व उम्मीदवार एवं तिरुवनंतपुरम से वर्तमान कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक बार फिर सुर्खियों का केंद्र बने हैं। लेकिन इस बार भी गलत कारणों से। हाल ही में इन्होंने अपने ट्विटर एवं फेसबुक पर ये पोस्ट किया था –

इन पोस्ट्स के अनुसार संजीव भट्ट के साथ अन्याय किया गया है और शशि थरूर ने हाल ही में इनकी पत्नी श्वेता भट्ट से मिलकर उन्हें त्वरित न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही साथ उन्होंने संजीव भट्ट के लिए न्याय की मांग भी की है।

पर आखिर संजीव भट्ट है कौन? और उनको समर्थन देने से शशि थरूर की सोशल मीडिया पर क्यों आलोचना की जा रही है? आपको बता दें कि संजीव भट्ट आईपीएस के पूर्व अफसर थे, जो 2011 में नरेंद्र मोदी पर गुजरात दंगों के सम्बन्ध में गंभीर आरोप लगाने के कारण सुर्खियों में आए थे। संजीव के अनुसार गोधरा कांड के तुरंत बाद हुई पुलिस अफसरों की बैठक में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कथित तौर पर अभियुक्तों के खिलाफ नरमी बरतने को कहा था।

हालांकि, इनके दावे सुप्रीम कोर्ट में असत्य सिद्ध हुये, और इनपर दो गंभीर आपराधिक मामलों में मुकदमा भी चलाया गया, जिनमें से एक मामले में इनकी निगरानी में एक अभियुक्त की मृत्यु के आरोप में इन्हें हाल ही में गुजरात के एक न्यायालय ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। इसके साथ ही साथ इनके विरुद्ध एक अधिवक्ता को अगवा कर उनके गाड़ी में अवैध वस्तुएँ [ड्रग्स] डालने का भी आरोप है, जिसमें हाल ही में उनकी जमानत की याचिका अस्वीकार कर दी गयी है।

हम सभी इस बात से भली भांति परिचित है कि कैसे गोधरा कांड का दुरुपयोग कर लेफ्ट लिबरल बुद्धिजीवियों ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को बिना किसी ठोस प्रमाण के बिना जेल के पीछे भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इन्हीं में संजीव भट्ट जैसे अवसरवादी नौकरशाह भी शामिल थे, जो सिर्फ चंद पलों की प्रसिद्धि के लिए निर्दोष लोगों का जीवन बर्बाद करने से भी नहीं हिचकिचाते थे।

इन्हीं कारणों से संजीव भट्ट जैसे ढोंगी अफसर को आईपीएस ने 2015 में निष्कासित कर दिया। ऐसे में यदि शशि थरूर ऐसे अफसर के लिए न्याय की बात कर रहे हैं, तो वे केवल अपने राजनीतिक हित साधने के अलावा कुछ नहीं कर रहे।

लेकिन इसके साथ-साथ शशि थरूर एक और कारण से ट्विटर पर कोपभाजन का केंद्र बने। उनके टेबल पर भारत के ध्वज रखा था, जिसमें तिरंगे के रंगों का क्रम आधिकारिक क्रम के ठीक उल्टा था। यानि केसरिया रंग के बजाए हरा रंग सबसे ऊपर था, और हरे के बजाए केसरिया रंग सबसे उपर था।

भारतीय ध्वज के ऐसे अपमान पर अधिकांश सोशल मीडिया यूजर्स चुप न रह सके, और इस अशोभनीय कृत्य के लिए सभी ने शशि थरूर को जमकर लताड़ा –

https://twitter.com/RAC7R/status/1152182103112474625

यह पहली बार नहीं है जब एक भ्रष्ट अफसर या फिर एक अपराधी के पक्ष में शशि थरूर ने अपनी आवाज़ उठाई हो। जब टुकड़े-टुकड़े गैंग के नारों के कारण देश भर में विवाद उत्पन्न हुआ था, तब शशि थरूर ने मुख्य अभियुक्त कन्हैया कुमार की तुलना अमर हुतात्मा भगत सिंह से करने का दुस्साहस किया था। अभी हाल ही में इनहोंने सदन में नक्सल समर्थक अधिवक्ता सुधा भारद्वाज के पक्ष में भी अपनी आवाज़ उठाई है। ऐसे में भारत विरोधी तत्वों का समर्थन करना शशि थरूर के लिए कोई बात नहीं है।  

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