एक मजबूत लोकतन्त्र के लिए एक अच्छी सरकार के साथ-साथ अच्छे विपक्ष का होना भी उतना ही ज़रूरी है। विपक्ष का काम एक ‘वॉच डॉग’ का होता है जिसकी ज़िम्मेदारी सरकार के हर कदम की बारीकी से जांच करना होता है। लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य यह है कि हमारा विपक्ष हर मुद्दे पर देश हित को परे रख पार्टी हित को प्राथमिकता देता है और उसने फिर एक बार ऐसा ही किया है। कल जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पीएम मोदी का नाम लेकर कश्मीर से संबन्धित एक झूठ फैलाया, तो देश के विपक्ष ने भारत सरकार पर विश्वास ना करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति पर भरोसा जताया और अपने देश के प्रधानमंत्री पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। देश का विपक्ष ऐसा करके भारत के दुश्मन पाकिस्तान का ही साथ दे रहा है। विपक्ष के इसी देश-विरोधी रवैये के कारण आज वह संसद में पूरी तरह शक्तिहीन हो चुका है, हालांकि विपक्ष अभी भी अपनी गलतियों से कुछ सीखने को तैयार नहीं है।
दरअसल, कल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाक पीएम इमरान खान के साथ प्रेस ब्रीफ़ में कहा था कि कश्मीर के मुद्दे पर वे भारत और पाकिस्तान के बीचमध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। उनका यह बयान ही सबको हैरान करने के लिए काफी था, क्योंकि भारत का यह शुरू से मानना रहा है कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है और इस मुद्दे को दोनों देश ही सुलझा सकते हैं। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प यहीं नहीं रुके और आगे ये तक कह डाला कि हाल ही में हुई मुलाक़ात में पीएम मोदी ने उनको कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए प्रस्ताव दिया है।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा पूरी तरह झूठा तब साबित हुआ जब भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर बताया ‘हमने देखा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर मध्यस्थता करने की बात कही है। साफ कर दें कि भारत के प्रधानमंत्री की ओर से इस संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है। भारत का शुरू से ही यह मानना रहा है कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान का आपसी मुद्दा है। पाकिस्तान के बातचीत तभी संभव है जब पाकिस्तान बार्डर पार आतंकवाद को पूरी तरह रोक दे। भारत और पाकिस्तान के बीच तमाम मुद्दों को सुलझाने के लिए ‘शिमला समझौता’ और ‘लाहोर डिक्लेयरेशन’ पहले से ही मौजूद हैं’।
We have seen @POTUS's remarks to the press that he is ready to mediate, if requested by India & Pakistan, on Kashmir issue. No such request has been made by PM @narendramodi to US President. It has been India's consistent position…1/2
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) July 22, 2019
रवीश कुमार का यह ट्वीट कश्मीर मुद्दे पर दोबारा भारत के रुख को स्पष्ट करता है कि उसे कश्मीर मुद्दे पर किसी की मध्यस्थता बिलकुल भी पसंद नहीं है। हालांकि, भारत के रुख को पूरी तरह स्पष्ट करने के लिए आज राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अपनी बात रखी और देश को यह विश्वास दिलाया कि पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प से ऐसी कोई विनती नहीं की है। हालांकि, पाकिस्तान के एजेंडे को बढ़ावा देने वाले विपक्ष ने उनकी एक ना सुनी। राज्यसभा में कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने आरोप लगाया कि अगर दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति ने ऐसा कहा है तो सच ही कहा होगा’। उन्होंने कहा ‘मैं नहीं समझता कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने बिना सोचे-समझे बोला होगा। मैं नहीं कहता कि हमारे प्रधानमंत्री ने झूठ बोला है। लेकिन प्रधानमंत्री खुद आकर ये बात कहें कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने झूठ बोला है। हम अपने देश के प्रधानमंत्री की बात मानेंगे। लेकिन अगर कोई अफसर ये बात बोलेगा तो हम नहीं मानेंगे’।
इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने एक ट्वीट से भारत सरकार और विदेश मंत्रालय के स्पष्टीकरण पर सवाल उठाए। इतना ही नहीं, राहुल गांधी ने तो विदेश मंत्रालय के जवाब को भी कमजोर बता डाला। उन्होंने ट्वीट किया ‘राष्ट्रपति ट्रम्प के मुताबिक पीएम मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने का आग्रह किया है’। अगर यह सच है तो पीएम मोदी ने शिमला समझौते के साथ-साथ भारत के हितों के साथ खिलवाड़ किया है। विदेश मंत्रालय का एक कमजोर जवाब नाकाफ़ी है। प्रधानमंत्री को स्वयं सामने आकर सभी को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उनके और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच क्या बात हुई’।
President Trump says PM Modi asked him to mediate between India & Pakistan on Kashmir!
If true, PM Modi has betrayed India’s interests & 1972 Shimla Agreement.
A weak Foreign Ministry denial won’t do. PM must tell the nation what transpired in the meeting between him & @POTUS
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 23, 2019
इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी कुछ ऐसा ही ट्वीट किया।
India has never accepted third party mediation in Jammu & Kashmir!
To ask a foreign power to mediate in J&K by PM Modi is a sacrilegious betrayal of country’s interests.
Let PM answer to the Nation!https://t.co/17wRVtRSMD
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 22, 2019
हैरानी की बात तो यह है कि विदेश मंत्रालय के स्पष्टीकरण के बाद भी कांग्रेस पाकिस्तान के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीर मुद्दे पर कोई तीसरा देश मध्यस्थता करे और अब कांग्रेस इस मौके पर सरकार के खिलाफ बोलकर उसके इसी एजेंडे को बढ़ावा दे रही है। रफाल मुद्दे की तरह ही यहां भी कांग्रेस सिर्फ राजनीति ही करना चाहती है। उसे देश के हितों की कोई परवाह नहीं है। कांग्रेस ने रफाल मुद्दे पर जमकर राजनीति की, और चुनावों में इसका फायदा उठाने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट से लेकर कैग तक, सभी ने सरकार को क्लीन चिट दी थी और कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी।
आज अगर आप किसी भी भारतीय से पूछेंगे कि उसे अमेरिका के राष्ट्रपति पर ज़्यादा भरोसा है या भारतीय सरकार पर, तो वह बेशक भारतीय सरकार अपना भरोसा जताना उचित समझेगा, हालांकि कांग्रेस को भारत के पीएम विश्वासघाती लगते हैं। कांग्रेस इस मुद्दे पर भी अपनी गंदी राजनीति करना चाहती है और इसके लिए वह विश्व में भारत की छवि को धूमिल करने के प्रयासों से भी पीछे नहीं हटती। कांग्रेस समेत भारत के विपक्ष को अपना बचकाना रवैया छोड़कर एक परिपक्व रुख अपनाने की ज़रूरत है। कश्मीर मुद्दा भारत की आन-बान-शान से जुड़ा मुद्दा है। ऐसे में ऐसे मुद्दे पर विपक्ष को सरकार के साथ काम करने की ज़रूरत है ना कि देश के हितों के खिलाफ, और कांग्रेस जितना जल्दी इस बात को समझेगी, उसके लिए उतना ही अच्छा होगा।