राजदीप और शेखर अब व्यापारी की आत्महत्या के लिए मोदी सरकार को ठहरा रहे हैं जिम्मेदार

वीजी सिद्धार्थ

भारत में कॉफी और कैफ़े का मिश्रण कर कॉफी स्टोर को एक नया आयाम देने वाले वीजी सिद्धार्थ की मौत से देश वासी आश्चर्यचकित है। इसी सप्ताह के सोमवार से उनके गायब होने के बाद पुलिस द्वारा गहन खोजी अभियान चलाया जा रहा था। जिसके बाद पुलिस ने उनका शव मंगलुरू में नेत्रावती नदी के नजदीक होइगे बाजार में बरामद किया गया।   

सूत्रों के अनुसार, लापता होने से पहले विद्धार्थ ने सीसीडी बोर्ड के लिए एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था, ‘तमाम कोशिशों के बाद भी मैं कारोबार को मुनाफे में नहीं ला पाया, मैंने लंबी लड़ाई लड़ी लेकिन मैं हार गया। मैं लेनदारों के दबाव के कारण परिस्थितियों से हार गया। मुझ पर भरोसा करने वालों से मैं माफी मांगता हूं। सभी तरह के वित्तीय लेनदेन मेरी जिम्मेदारी है। हमने कुल 50,000 नौकरियां दीं। हमने किसी के साथ धोखा नहीं किया। हमने किसी को गुमराह करने की कोशिश नहीं की। उम्मीद है कि लोग मुझे माफ कर देंगे।’

उनके गायब होने के बाद ही मीडिया जगत में बहस शुरू हो गयी थी। कोई सहानुभूति जाता रहा था तो कोई उनके अर्श से फर्श तक कहानी बता रहा था। इसी दौरान कई ऐसे पत्रकार भी दिखे जो अपने गिद्ध पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं और इस मामले को भी अपनी पत्रकारिता का नमूना दिखने के लिए इस्तमाल किया। इंडिया टुडे के प्रमुख पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर कहा, ” यदि वीजी सिद्धार्थ का पत्र वास्तविक है (अभी तक सत्यापित किया जाना है), तो जिस बात की शिकायत काफी समय से व्यापारी कर रहे हैं ये उसी की पुष्टि करता है। टैक्स टेररिज्म हमें अतीत में वापस ले जा रहा है, निवेश / विकास को पीछे छोड़ रहा है। और अगर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के दामाद के साथ ऐसा हो सकता है, तो फिर भगवान ही छोटे बिजनेसमैन की मदद करें।‘

वही सेना की झूठी खबर के लिए मशहूर और द प्रिंट के संस्थापक शेखर गुप्ता भी कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने भी अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया और लिखा,” वीजी सिद्धार्थ एक मेहनती, समझदार और हंसमुख उद्यमी हैं. आशा है कि वह ठीक होंगे। इसकी एसएम कृष्णा परिवार को शुभकामनाएं। हालाँकि, भारत का उद्यमशील माहौल दिन पर दिन जहरीला होता जा रहा है, जिसमें टैक्स आतंक और अधिक अपराधीकरण के कारण आर्थिक गिरावट आई है जिसे हम नकारते रहते हैं।“

यह वही पत्रकार है जो विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़े के भारत से फरार हो जाने के लिए सरकार की बुराई करते नहीं थकते। और अपने सामर्थ्य अनुसार सरकार को बदनाम करने के सभी हथकंडे आपना लेते है। शायद ये पत्रकार यह भूल गए थे कि सीसीडी के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ पर मार्च 2019 तक 6547.38 करोड़ रुपए का कर्ज था। कर्ज के दबाव में आकर सिद्धार्थ ने मौत का रास्ता चुना। इसमें सरकार को दोष ठहराना कहां तक उचित है?

कौन नहीं जानता कि किंगफिशर के मालिक माल्या पर कई सरकारी बैंकों से करीब 9000 करोड़ रुपए लोन लेकर विदेश भागने का आरोप है तो वहीं नीरव मोदी पर 11,400 करोड़ का कर्ज लेकर भागने का आरोप है? इन्हें देश वापस लाने के लिए अक्सर सरकार पर दबाव बनाया जाता है, सरकार पर निशाना साधा जाता है। यही वजह है कि जबसे बैंकों को करोड़ों का चूना लगाने वाले ऐसे लोग भागने लगे तबसे सरकार टैक्स को लेकर सख्त हुई है और डिफ़ॉल्टरों के खिलाफ सरकार एक्शन लेने में जरा भी नहीं हिचक रही जो जरुरी भी है।  क्योंकि जब ऐसे डिफ़ॉल्टर भागते हैं तो यही राजदीप और सरदेसाई जैसे लोग सरकार को घेरते हैं।

विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे डिफ़ॉल्टरों के लिए सरकार ने भगोड़ा आर्थ‍िक अपराधी बिल, 2018 पारित भी किया था। इस कानून से मनी लॉन्ड्र‍िंग एक्ट, 2002 के तहत एक विशेष कोर्ट का गठन करने का प्रावधान किया गया था और अपराधी को विशेष अदालत की तरफ से नोटिस जारी करने का भी प्रावधान है। इस नोटिस के बाद उसे 6 हफ्तों के भीतर देश में हाजिर होना जरुरी होता है। फिर ऐसे अपराधी के खिलाफ मामला चलेगा। ऐसे ही अगर इतना कर्ज होने के बाद सिद्धार्थ भी भाग जाते तो फिर यही पत्रकार जो उनपर बढ़े कर्ज के लिए सरकार को कोस रहे हैं और टैक्स टेररिज्म की बात कर रहे है वही फिर से हँगामा मचाते कि इतने कर्ज लेकर भागने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी।

बता दें कि वीजी सिद्धार्थ का व्यापार बढ़ाने के साथ जब सालाना टर्नओवर छह करोड़ रुपये से बढ़कर 25 अरब रुपये हो गया लेकिन इसके साथ ही उनपर कर्ज का दबाव भी बढ़ता गया था। उन्होंने बैंकों से करोड़ो का कर्ज लिया था और साथ ही अपने करिबियों से भी काफी ज्यादा कर्ज ले चुके थे। ऐसे में जितना लाभ होता था उनको उससे ज्यादा घाटा होने लगा और इस तरह से कर्जे के बोझ तले उन्होंने मौत के रास्ते को अपनाया। हालांकि, उन्होंने आत्महत्या की है या वो किसी साजिश का शिकार हुए हैं इसकी जांच चल रही है।

यह भी बताना जरूरी है कि 21 सितंबर वर्ष 2017 को आयकर विभाग ने वीजी सिद्धार्थ के घर और उनके रेस्त्रां सीसीडी के ऑफिस समेत कई ठिकानों पर छापेमारी कर 650 करोड़ रुपए की बेहिसाबी संपत्तियों का खुलासा किया था। इस मामले में आगे और कई बड़े खुलासे होने हैं लेकिन बिना खबर की गहराई में जाए इस तरह से आम जनता को भ्रमित करना राजदीप सरदेसाई और शेखर गुप्ता को शोभा नहीं देता।

वैसे भी शेखर गुप्ता और राजदीप सरदेसाई का इस तरह से मामले में सरकार को घसीटना कोई नया नहीं है। एक तरफ जहां शेखर कई मुद्दे पर अपनी फेक न्यूज़ फैलाकर लोगों को भ्रमित करने का काम करते हैं और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए वे देश की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी फेक न्यूज़ फैलाने से गुरेज नहीं करते। शेखर गुप्ता तो भारतीय सेना को लेकर भी फेक न्यूज़ फैलाने का काम कर चुके हैं। वहीं राजदीप सरदेसाई भारतीय पत्रकारिता की कईं कुख्यात खबरों में लिप्त रहे हैं। वे देश के लोगों में एक पक्षपाती और पाखंडी पत्रकार के रूप में जाने जाते है।

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