कर्नाटक छोड़िए, पश्चिम बंगाल में ममता की सरकार गिरने वाली है

इ की होलो

अगर राजनैतिक उठापटक की बात हो तो अभी कर्नाटका हीं हर ओर छाया हुआ है। काँग्रेस ओर जनता दल सेक्युलर के विधायकों के एक के बाद एक इस्तीफे से कुमारास्वामी की सरकार खतरे में है और उसका बच पाना लगभग असंभव है। लेकिन जहां कर्नाटका में राजनैतिक उलझन की स्थिति बनी हुई है वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार का हाल भी बेहाल है।

लोक सभा चुनाव में अपनी जमीन खोने के बाद ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को एक और झटका लगने वाला है। भाजपा नेता मुकुल रॉय ने शनिवार को दावा किया कि सीपीएम, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के 107 विधायक भाजपा में शामिल हो सकते है। अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए विधान सभा चुनाव से पहले एक बड़ी सफलता होगी क्योंकि बीजेपी पहले ही 18 लोक सभा क्षेत्रों में 40.25 % वोट प्रतिशत के साथ अपना परचम लहरा चुकी है। टीएमसी पश्चिम बंगाल के 42 में से 22 सीटें ही जीत पायी थी। हार से बौखलाई ममता बनर्जी ने विधान सभा चुनाव के लिए चुनावी रणनीतिकर प्रशांत किशोर से हाथ मिलाया था। मुकुल रॉय ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा,‘‘कम से कम 107 विधायक हमारे संपर्क में है। इनमें से अधिकतर तृणमूल से हैं, कुछ कांग्रेस से और कुछ माकपा से हैं। वे भाजपा में शामिल होने के इच्छुक हैं।’’ रॉय ने कहा कि हमने विधायकों की सूची तैयार कर ली है, ये सभी विधायक हमारे संपर्क में हैं।

इससे पहले लोक सभा चुनाव के बाद से अभी तक टीएमसी के 5 विधायक और 100 से ज्यादा पार्षद भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

पिछले कुछ समय से पश्चिम बंगाल हिंसा की आग में जल रहा है और ममता बनर्जी अपने राज्य में पार्टी के गुंडों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय केंद्र सरकार पर आरोप लगाती रही हैं तथा विशेष समुदाय को मनाने में व्यस्त रही हैं। अगर उन्होंने अपनी यही तुष्टिकरण कि राजनीति जारी रखी तो राज्य के आने वाले विधानसभा चुनावों में उनका भी वही हाल होगा जैसा कांग्रेस पार्टी का तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से इस बार के आम चुनाव में हुआ था। लोकसभा चुनावों में सत्ता में रहते हुए भी टीएमसी अपने इसी राजनीति के कारण 22 सीटें तक सिमट कर रह गयी थी। इसी कारण से भाजपा का जनाधार अचानक बढ़ गया जिससे तृणमूल कांग्रेस पार्टी टूट कर बिखर सी गई है। स्थानीय नेताओं के अनुसार पार्टी के शीर्ष पदों पर काबिज लोगों की दूरदर्शिता की कमी और उनके अहंकार भरे रवैये से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो रहे है। अभी हाल के दिनों में ही जय श्री राम के नारों पर भी ममता बनर्जी ने राजनीति किया था जिससे आम जनता परेशान हो गयी है। और अब ममता बनर्जी को विधानसभा में हार का डर सताने लगा है।

यह पहला मौका नहीं है, जब भाजपा ने खुले तौर पर तृणमूल के विधायकों के पार्टी में शामिल होने को लेकर बयान दिया हो। इससे पहले लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि तृणमूल के 40 से ज्यादा विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में हैं। इसके अलावा बंगाल भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी कहा था कि तृणमूल विधायकों के भाजपा में शामिल होने का सिलसिला जारी रहेगा। अगर यही हाल रहा तो 2021 में विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी के लिए राह और भी ज्यादा मुश्किल होने वाली है।

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