गृह मंत्री ने राज्यसभा में यह ऐलान किया कि जम्मू एवं कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांटा जाएगा, और वे दो हिस्से होंगे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इतना ही नहीं, ये दोनों हिस्से केन्द्रशासित प्रदेश होंगे। यानि जम्मू और कश्मीर एक अलग केन्द्रशासित प्रदेश होगा और लद्दाख अलग। जम्मू कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी जबकि लद्दाख पूर्णतः एक केन्द्र्शासित प्रदेश होगा। ऐसा होने के बाद अब राज्य के लोगों को पेश आने वाली कई मुसीबतों से छुटकारा मिल सकेगा। बता दें कि लद्दाख के लोगों की यह शुरू से ही मांग रही है कि लद्दाख को कश्मीर से हटकर अपनी एक पहचान मिले। इन लोगों का मानना है कि राज्य और केंद्र सरकारो का अधिकतर ध्यान अभी सिर्फ कश्मीर तक ही सीमित रहता है और बाकी हिस्सों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। अब जब जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख अलग अलग केन्द्रशासित प्रदेश होंगे, तो केंद्र सरकार सीधे तौर पर स्थानीय प्रशासन को अच्छे ढंग से नियंत्रित कर पाएगी। इसके अलावा जम्मू और लद्दाख के लोग सरकार के भेदभाव की पीड़ा को भी महसूस करते है।
#BREAKING on #OperationKashmir | मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला- लद्दाख अलग से केंद्र शासित प्रदेश बना
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— Republic Bharat – रिपब्लिक भारत (@Republic_Bharat) August 5, 2019
केंद्र सरकार द्वारा राज्य को दो हिस्सों में बांटने के फैसले के बाद इसका बड़ा आर्थिक प्रभाव भी पड़ेगा। अभी घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और अलगाववादियों की देश विरोधी गतिविधियों की वजह से कश्मीर में तनाव की स्थिति पैदा रहती है, जिसके कारण कोई भी उद्योगपति वहाँ उद्योग स्थापित नहीं करना चाहता। कश्मीर को राज्य से अलग करने के बाद केंद्र सरकार क्षेत्र पर ज़्यादा ध्यान देगी और आतंकवाद समेत सभी समस्याओं के समाधान के लिए ज़्यादा प्रभावशाली तरीके से काम कर सकेगी।
इसके अलावा आज ‘कश्मीर’ को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बड़ा ऐलान किया। गृह मंत्री ने संसद में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने से जुड़ा बिल पेश किया और संसद को जानकारी दी है कि सरकार ने इस अनुच्छेद को अब पूर्ण रूप से हटा दिया है। अमित शाह द्वारा इस बिल के पेश करने के तुरंत बाद विपक्षी नेताओं ने संसद में हल्ला मचा दिया। इससे पहले कश्मीर मुद्दे को लेकर आज सुबह प्रधानमंत्री आवास पर पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग हुई, जिसमें रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और NSA अजीत डोभाल शामिल रहे। सभी को उम्मीदें थीं कि इस मीटिंग में कश्मीर मुद्दे को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है, और हुआ भी ठीक ऐसा ही।