‘अब अवैध धर्मांतरण कराने वालों की दुकानें होंगी बंद’ मोदी सरकार ला रही है ‘नो कनवर्ज़न बिल’

धर्मांतरण

भारत सरकार धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाने वाली है

तीन तलाक, जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटाने व कश्मीर के पुनर्गठन को लेकर ऐतिहासिक बिल के बाद अब मोदी सरकार धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाने की तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार अगले सत्र में इस संबंध में कोई बिल संसद में पेश कर सकती है

धर्मांतरण को लेकर काफी लंबे समय से शिकायतें आती रहीं हैं, यहां तक कि संसद में भी इस मुद्दे को कई बार उठाया जा चुका है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में संसदीय कार्य मंत्री रहे वेंकैया नायडू ने सभी दलों से धर्मांतरण पर एक राय से कानून बनाने की अपील भी की थी परन्तु ऐसा हो नहीं पाया था। हालांकि, मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाने पर विचार कर रही है।

जबरन धर्मांतरण के खिलाफ आरएसएस और भाजपा शुरू से हुई मुखर रहे हैं और भाजपा के सांसद संसद में इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। देश के कई इलाकों में गैर-हिन्दू संगठनों पर अक्सर हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन करने के आरोप लगते रहे हैं। अब केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर इस कानून को लागू करने का विचार कर रही है।

बता दें कि गुजरात, हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे भाजपा शासित राज्य अपने राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ पहले ही कानून बना चुके हैं। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2017 में झारखंड विधानसभा ने अपने यहां झारखंड धर्म स्वतंत्र कानून, 2017 को लागू किया था। इस कानून के तहत लालच देकर या जबरन धमका कर धर्म परिवर्तन कराने पर जेल की सजा के अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया था।

कानून लागु होने के बाद क्या होगा?

नए कानून के लागू होने के बाद धर्मांतरण कराने वाले को दोषी पाये जाने पर तीन वर्ष तक की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान रखा गया। इतना ही नहीं, अगर धर्म परिवर्तन करने वाला अनुसूचित जाति या जनजाति समुदाय का हो, तो धर्मांतरण कराने वाले को तीन वर्ष की बजाय चार वर्ष की सजा देने का प्रावधान जोड़ा गया था।

इससे पहले भाजपा के राज में ही गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्य भी अपने-अपने राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन के विरोध में कानून पारित कर चुके हैं। वर्ष 2013 में तो मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने राज्य में उस वक्त मौजूद धर्मांतरण विरोधी कानून में नए संशोधन के बाद जबरन धर्म परिवर्तन पर जुर्माने की रकम दस गुना तक बढ़ा दी थी, और कारावास की अवधि भी एक से बढ़ाकर चार साल तक कर दी थी।

बता दें कि धर्म परिवर्तन से जुड़े कई मामले सामने आते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी देखी गयी है। यही नहीं हिंदू धर्म के लोग सामूहिक धर्मांतरण के सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। ईसाई मिशनरियां कम पढ़े लिखे और मुख्यधारा से वंचित आदिवासी जनजाति समाज को लालच देकर या उनपर दबाव डालकर उनका धर्म परिवर्तन करवा देते हैं। इस तरह के मामलों पर एक नजर डालने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की भी जरूरत नहीं है। पिछले साल के लिए कुछ मामलों पर नजर डाल लेते हैं।

जबरन धर्मांतरण के कुछ मामले

पिछले साल जुलाई में ही झारखंड के दुमका में आदिवासियों के बीच धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश में जुटे 16 ईसाई धर्म प्रचारकों को गिरफ़्तार किया गया था। ये सभी गैरक़ानूनी ढंग से प्रचार करते हुए आदिवासियों को अपना धर्म बदलने के लिए ज़ोर दे रहे थे।

इसके अलावा जून 2018 में उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में एक शर्मनाक और चौंका देने वाली घटना सामने आई थी जहां एक दलित लड़की को चर्च के एक पादरी ने लालच देकर उसका धर्म बदला और फिर उसे लुधियाना में बाजीगर बस्ती के रहने वाले फुलचंद्र नाम के एक व्यक्ति को 1 लाख रुपये में बेच दिया गया। उसे बेचने से पहले, पादरी ने ईसाई अनुष्ठानों के अनुसार फुलचंद्र के साथ उसकी शादी की व्यवस्था की थी।

इसके बाद युवती के परिजनों ने पुलिस को इस मामले की सूचना दी और बाद में युवती को बचाया जा सका। इसी साल हैदराबाद से धर्मांतरण का एक मामला सामने आया था जहां खुलेआम धर्म परिवर्तन के लिए प्रतियोगिता तक का ऐलान किया गया था

इन मामलों से एक बात तो स्पष्ट है कि धर्मांतरण का मामला अब गंभीर होता जा रहा है ऐसे में अब समय आ गया है कि सरकार खुलकर इस विषय पर न सिर्फ बात करे बल्कि एक्शन भी ले। इस संबंध में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि जबरन धर्मांतरण के मामले पर अब बहस होना ज़रूरी है।

धर्मांतरण कानून पर झारखंड मॉडल एक उत्तम उदाहरण है

इसके बाद अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में गृह मंत्री अमित शाह अब इस दिशा में कदम उठाते दिख रहे हैं जो बेहद सराहनीय है। सालों से चले आ रहे हिन्दू-विरोधी एजेंडे के खिलाफ सबको आवाज़ उठानी ही चाहिए। सरकार अगर चाहे तो झारखंड मॉडल से सीख लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ एक कानून लेकर आ सकती है।

सरकार के पास संसद के निचले सदन में तो बहुमत है ही, और इसके साथ ही राज्यसभा में भी सरकार विपक्ष को एकजुट होने से रोकने में कामयाब रही है, और कई महत्वपूर्ण बिलों को बिना अटके संसद से पास कराती आई है। ऐसे में हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस बिल को संसद में पेश कर सकती है और इसे कानून की शक्ल देकर देश में बढ़ रही अवैध धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर नकेल कसने के लिए एक बड़ा कदम उठा सकती है।

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