स्क्रॉल, द क्विंट, वायर और एनडीटीवी! कहीं ये भारत में पाकिस्तान के अघोषित प्रवक्ता तो नहीं?

पाकिस्तान वायर

पिछले कुछ दिनों से भारत में काफी गहमागहमी बढ़ी है। केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने व जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास होने के बाद से हमारे लेफ्ट लिबरल मीडिया जगत में मानो भूचाल सा आ गया है। बौखलाहट में अब इन मीडिया चैनल्स ने ऐसे लेख और वीडियो प्रकाशित करने शुरू कर दिये हैं, जिससे पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध प्रोपगैंडा फैलाने के लिए भरपूर सामग्री मिल रही है। एनडीटीवी के बाद पक्षपाती पत्रकारिता के लिए बदनाम ‘द वायर’ द्वारा शेयर किये गये एक वीडियो को पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने कोट किया है।

इस वीडियो में वायर ने दावा किया है कि “कश्मीर की कई माएं अपने बेटे के ऊपर पैलेट गन से हुए हमलों के कारण उनकी आँखों को रौशनी खोने के गम में डूबी हैं। एक बूढ़ा व्यक्ति कह रहा है कि इन्टरनेट बंद रखा कम से कम फ़ोन को चालू रखते.. ये तो यहूदियों जैसा है। इन्हें समझों और इनके लिए आवाज उठाओ और इनकी मदद करो, #SaveKashmirFromModi.” इस रिपोर्ट को हमारे पड़ोसी देश की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया और अपने एजेंडा को बढ़ावा दिया। मतलब यह कि वायर ने हमारे पड़ोसी देश की बोली को अपने चैनल का मुद्दा बनाकर जोर-शोर से दिखाया।  

इमरान खान ने हाल ही में अपने संसद को संबोधित करते वक्त बार बार जम्मू कश्मीर राज्य को ‘इंडियन ओक्यूपाइड कश्मीर’ बोला था, अर्थात जम्मू कश्मीर भारत के कब्जे में फंसा एक स्वतंत्र देश है। ये महज संयोग तो नहीं हो सकता कि पाकिस्तान के बाद वायर ने भी अपने एक वीडियो में श्रीनगर जैसे इलाकों को भारतीय कब्जे वाला कश्मीर के हिस्से के रूप में चिन्हित किया, जबकि पीओके के अधिकांश हिस्से को आजाद कश्मीर के रूप में लेबल किया था। जब इस वीडियो को लेकर वायर की आलोचना हुई तो इसने वीडियो ही डिलीट कर दिया। अभिषेक बनर्जी नाम के एक कॉलमनिस्ट ने अपने ट्विटर पर इस वीडियो से जुड़ा एक स्क्रीनशॉट शेयर कर वायर को कटघरे में खड़ा किया।

वायर से पहले एनडीटीवी ने एक विवादित ट्वीट शेयर किया था, जिसे पाक की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ ने रीट्वीट भी किया –

इस रिपोर्ट के कारण हमारे पड़ोसियों ने ‘मोदी से कश्मीर बचाओ’ और एनडीटीवी को ट्विटर पर ट्रेंड भी कराया –

पाकिस्तान द्वारा शेयर किया जा रहा वीडियो क्लिप एनडीटीवी के शो ‘Reality Check’, का था और इस शो को विवादित पत्रकार श्रीनिवासन जैन संचालित करते हैं। इस वीडियो क्लिप के अनुसार श्रीनगर से रिपोर्टिंग कर रहे एक पत्रकार ने दावा किया कि कश्मीरी सरकार के फैसले से खुश नहीं है। रिपोर्टर के अनुसार उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा, ‘नई दिल्ली कहती है कि सभी जम्मू कश्मीर को एक केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से खुश हैं। यह कर्फ़्यू हटाके तो देखे, उन्हे पता चल जाएगा कि कौन कितना खुश है’। वीडियो को अगर ध्यान से देखें तो पाएंगे कि इस पूरे वीडियो में उस बूढ़े व्यक्ति का कहीं नामोनिशान ही नहीं था। ‘रिऐलिटी चेक’ नामक इस शो में पूरे समय एनडीटीवी केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में प्रोपगैंडा फैला रहा था। स्वयं श्रीनिवासन जैन ने इस शो की शुरुआत काल्पनिक चरित्रों द्वारा कश्मीर में कथित रूप से व्याप्त भय के माहौल को दर्शाकर घाटी में स्थिति को बिगाड़ने का बेहद घटिया प्रयास किया। अब सवाल तो ये भी उठता है कि क्या इस तरह की भ्रामक रिपोर्टिंग करके एनडीटीवी राज्य में हिंसक गतिविधियों को भड़काने का प्रयास नहीं कर रहा है?

इतने विरोध के बाद एनडीटीवी ने अपनी सफाई में एक एक ट्वीट किया लेकिन इससे भी इस मीडिया संस्थान को कोई फायदा नहीं हुआ।

इसी प्रकार स्क्रोल नामक वैबसाइट ने भी घाटी में हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। यदि आपको विश्वास न हो, तो ये देख लीजिये –

हालांकि, ये पहली बार नहीं है, जब इन लेफ्ट लिबरल पोर्टल्स ने एक व्यक्ति विशेष का विरोध करते करते भारत विरोधी बन गए। ‘द क्विंट’ नामक ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल ने कुल्भूषण जाधव वाले मामले में एक भ्रामक लेख के दम पर उसे भारतीय जासूस सिद्ध करने का प्रयास किया, जिसका हवाला देते हुए पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव पर सैन्य अदालत द्वारा लागू मृत्युदंड को बरकरार रखने की अपील की। यह अलग बात थी कि इस अपील को खारिज कर दिया, परंतु इससे ‘द क्विंट’ की घटिया पत्रकारिता सबके समक्ष उजागर हो गयी।

जिस तरह से ये भारतीय मीडिया का एक वर्ग देश विरोधी खबरों को प्रकाशित कर हमारे शत्रु देश के एजेंडे को बढ़ावा देने में सहयोग कर रहा है वो शर्मनाक है। किसी व्यक्ति की नीति का विरोध करना और व्यक्ति के विरोध में अपने देश के शत्रुओं का समर्थन करना.. दोनों में ही काफी अंतर होता है। बार-बार इन भारत विरधी मीडिया संस्थानों की वजह से पाकिस्तान को भारत पर हमला करने का अवसर मिलता है। सत्ता में मौजूद सरकार का विरोध करना अपनी जगह है लेकिन इस विरोध में ऐसे भ्रामक खबरों को दिखाना जो देश के दुश्मन को हमला करने का अवसर दे वो कहां तक उचित है? ऐसे मीडिया संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही जो भी मीडिया चैनल इस तरह से देश-विरोधी खबरों को बढ़ावा दे उसका बहिष्कार कर देना ही बेहतर है।

Exit mobile version