अनुराग कश्यप का नया पैंतरा, ट्विटर पर लड़ो और जब हारने लगो तो ‘लूजर’ की तरह भाग जाओ

अनुराग कश्यप ट्विटर

PC: scoopwhoop

कभी भारत के ‘क्वेंटिन टारनटिनो’ कहे जाने वाले फ़िल्मकार अनुराग कश्यप ने आज यानी सोमवार को ट्विटर को अलविदा कह दिया। उन्होंने दो ‘मार्मिक’ ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा – ”जब आपके माता-पिता को कॉल्स आने लगें और आपकी बेटी को ऑनलाइन धमकी मिलने लगे तो फिर कोई बात नहीं करना चाहेगा। यहां कोई भी तर्क-वितर्क भी नहीं करेगा। दबंग लोग राज करेंगे और दबंगई ही जीने का नया तरीका होगी। नया भारत आप सभी को मुबारक हो। आपको खुशियां और तरक्की मिले।”

उन्होंने आगे लिखा- ‘’आप सभी को मैं खुशी और सफलता की दुआएं देना चाहता हूँ। क्योंकि मैं ट्विटर छोड़ रहा हूँ, इसलिए ये मेरा आखिरी ट्वीट होगा। जब मुझे बिना भय के बोलने की आज़ादी नहीं है, तो मैं न ही बोलूँ तो ही अच्छा। अलविदा”।

इस पर कुछ पत्रकारों एवं कथित बुद्धिजीवियों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अनुराग के प्रति सहानुभूति जताने का प्रयास किया है। कई हस्तियों ने अनुराग को कहा कि ऐसा निर्णय नहीं लेना चाहिए था और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता बेहद महत्वपूर्ण है –

लेकिन अनुराग कश्यप को ऐसा निर्णय लेने के लिए क्यों विवश होना पड़ा? आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हें ट्विटर छोड़ना पड़ा? अनुराग कश्यप यथार्थवादी फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं, जिसमें वे हमेशा मानवीय चरित्र के सबसे निकृष्ट पक्ष को दिखाते आए हैं। ‘पाँच’, ‘नो स्मोकिंग’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘उगली’, ‘रमन राघव 2.0’ और ‘देव डी’ जैसी शानदार फिल्में देकर अनुराग कश्यप ने अपने उत्कृष्ट फिल्म मेकिंक के लिए खूब प्रशंसा बटोरी है।

लेकिन इनका स्याह पहलू पहली बार तब सामने आया, जब पद्मावत फिल्म की शुरूआती शूटिंग के दौरान संजय लीला भंसाली पर कर्णी सेना के कुछ सदस्यों ने हमला किया था। तब अनुराग कश्यप ने न केवल इस घटना की आलोचना की, बल्कि इसके लिए ‘हिन्दू आतंकवाद’ को भी दोषी ठहराया। किसी भी प्रकार की गुंडागर्दी की आलोचना करना एक आम बात है, लेकिन उसके लिए बेतुका कारण देना दूसरी बात। इस बात से अनुराग कश्यप का जो स्याह पक्ष सामने आया, वही उनके ट्विटर छोड़ने का असली कारण बना है।

2016 में जब ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के रिलीज़ के दौरान फिल्म में पाकिस्तानी कलाकारों की मौजूदगी के कारण लोगों ने फिल्म के निर्माता और अभिनेताओं की आलोचना की, तब अनुराग कश्यप ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया था। जब न्यूज़ 18 की की रिपोर्टर ने इस विषय पर अनुराग कश्यप का पूरा पक्ष जानना चाहा, तो अनुराग कश्यप ने न केवल उसे खरी खोटी सुनाई, बल्कि उसका मोबाइल नंबर अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर सार्वजनिक कर दिया। इसके कारण उस रिपोर्टर को न केवल सोशल मीडिया पर अभद्र भाषा का सामना करना पड़ा, बल्कि सीमा पार से भी काफी आपत्तिजनक धमकियाँ आईं।

हालांकि ये पहली घटना नहीं है जब अनुराग कश्यप ने इस तरह की ओछी हरकत की हो। 2014 में जब तहलका के संस्थापक तरुण तेजपाल पर यौन शोषण का आरोप लगा था, तो उसके बचाव में अनुराग कश्यप सबसे आगे सामने आए थे, अनुराग यौन पीड़िता की बातों को झूठा सिद्ध करने में कोई कसर नहीं छोड़े थे। इसके अलावा  उन्होनें हाल ही में अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों के हटाए जाने पर अपनी बौखलाहट ट्विटर पर दिखाई थी, जिसके लिए इन्हें सोशल मीडिया के यूज़र्स ने जमकर लताड़ा था।

यही नहीं, जब मोब लिंचिंग के विरोध में अनुराग ने 48 फिल्मी व अन्य क्षेत्रों की हस्तियों के साथ पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था, तो इनकी अवसरवादिता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए 62 अन्य हस्तियों ने प्रत्युत्तर में पीएम मोदी को न केवल पत्र लिखा, बल्कि उन्हें इन अवसरवादी लोगों की बातें न मानने की सलाह भी दी थी। इस पर भड़कते हुए अनुराग कश्यप ने इन्हे ‘ट्रोल आर्मी’ की संज्ञा दी थी, जैसे वे अपने अधिकांश विरोधियों को देते आए हैं –

 

ऐसे में अनुराग कश्यप की हिप्पोक्रेसी पर लोगों ने तुरंत प्रश्न उठाते हुए उन्हें सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ा। पत्रकार मयूख रंजन घोष ने सीधे पूछ लिया, ‘क्या इससे अनुराग एक बार फिर असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा करवाना चाहते हैं?” –

इसके अलावा निर्देशक विवेक अग्निहोत्री एवं निर्माता अशोक पण्डित ने भी अनुराग कश्यप को उनकी अवसरवादिता के लिए जमकर लताड़ा। विवेक अग्निहोत्री के अनुसार, “यह बिल्कुल बकवास है। जब मुझ पर हमला किया गया था, तब आप चुपचाप जश्न मना रहे थे। अब कुछ पागल ट्रोल्स का उपयोग कर आप विक्टिम कार्ड खेलना चाहते हो। यहाँ कोई ऐसा सेलेब नहीं है जिसे ट्रोल न किया गया हो या जिसे धमकी न दी गयी हो। आकर मेरा डीएम देख लें, आपको अच्छा लगेगा। कायर कभी नहीं जीतते, और जीतने वाले जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ते”।

इसके अलावा विवेक ने अनुराग कश्यप को ट्विटर छोड़ने के लिए भी जमकर लताड़ा, और कहा, “कॉमरेड, जब अपनी बात पर लड़ने की हिम्मत ही नहीं तो फिर पॉलिटिक्स पर बेवजह बोलते ही क्यों हो?  झूठी चिट्ठियाँ लिखोगे तो लोग ऊँगली उठाएँगे ही और मैदान छोड़ के भागना था तो झूठी चिट्ठी लिखी ही क्यों? क्या हुआ, अब माइनॉरिटी के लिए सारी हमदर्दी उड़न छू? ऐसे आएगा क्या रिवोल्यूशन?” –

सच पूछें तो हिप्पोक्रेसी का दूसरा नाम अब अनुराग कश्यप हो चुका है। अपने आप को लिबरल कहने वाले अनुराग अनुच्छेद 370 पर अपनी टिप्पणी के प्रति ज़रा भी आलोचना नहीं सह सके, और विक्टिम कार्ड खेलते हुए वे ट्विटर छोड़कर भाग खड़े हुए। इसके अलावा इनके पूर्व के कामों को देखते हुए हम तो यही कह सकते हैं कि बेटे अनुराग, तुमसे न हो पाएगा। हमें अब तुम्हारे लक्षण ठीक नहीं लगते हैं, तुमसे न हो पाएगा।

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