दुनिया के सामने गिड़गिड़ा रहा है पाक, अनुच्छेद 370 पर कई देशों ने साधी चुप्पी तो कईयों ने किया समर्थन

पाकिस्तान आईओसी

PC : My Nation

केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए बीते सोमवार को जम्मू-कश्मीर राज्य का स्पेशल स्टेटस निरस्त कर दिया है और इस तरह से जम्मू-कश्मीर भारत में पूरी तरह से एकीकृत हो गया है। इस निर्णय के साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है और दोनों क्षेत्रों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने का प्रस्ताव भी संसद ने पास कर दिया है। मोदी सरकार के इस फैसले पर अभी तक किसी वैश्विक नेता का विरोधी बयान नहीं आया है। वहीं भारत द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और उसकी बौखलाहट उसके शब्दों में साफ नजर आ रही है।

इस फैसले पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि “भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को लेकर की गई घोषणा की हम कड़ी निंदा करते हैं, भारत का यह फैसला गलत है और पाकिस्तान इस मुद्दे को अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष जोर-शोर से उठाएगा।” वहीं विश्व के अधिकतर देशों ने भारत के सुधारवादी फैसले को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई है। भारत के फैसले को अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका ने समर्थन भी किया है। यह पाकिस्तान के इमरान खान सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। पाकिस्तान ने इसके बाद मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी में भी शिकायत की, लेकिन इसी संगठन का एक महत्वपूर्ण देश यूएई ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और दो केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने के फैसले का स्वागत किया है।

भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत डॉ. अहमद अल बन्ना ने कहा कि कश्मीर से धारा 370 के कुछ प्रावधानों को हटाना भारत सरकार का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा कि ‘राज्यों का पुनर्गठन स्वतंत्र भारत के इतिहास में अनोखी घटना नहीं है और इसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय असमानता को कम करना और दक्षता बढ़ाना है। यह भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित आंतरिक मामला है।

इसके बाद हिन्द महासागर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण पड़ोसी देश श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख का गठन भारत का आंतरिक मामला है। रानिल विक्रमसिंघे ने ट्वीट कर कहा, “लद्दाख एक भारतीय केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा। लद्दाख की 70% आबादी बौद्ध होने के कारण यह पहला बौद्ध बहुल्य भारतीय राज्य बन जाएगा। लद्दाख राज्य का निर्माण और पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है, यह एक सुंदर क्षेत्र है जहां मैं जा चुका हूं, सभी को एक बार जरूर घुमने जाना चाहिए।“

पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका तब आया जब अमेरिका ने भी इसे भारत का आंतरिक मामला बताया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्तागस ने कहा, “भारत और पाकिस्तान शांति कायम रखें। हम भारत के कश्मीर से राज्य का विशेष दर्जा छीनने और उसे केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के फैसले पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। भारत ने हमसे कहा है कि यह उसका आंतरिक मुद्दा है। हम दोनों पक्षों से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की अपील करते हैं।” मालूम हो कि अमेरिका ने हाल ही में कहा था कि भारत अगर कहे तो हम कश्मीर मामले में मध्यस्थता कर सकते हैं जिस पर भारत ने अमेरिका को दो टूक जवाब दिया था। जिसके बाद अमेरिका का भी बदला-बदला सुर देखने को मिल रहा है।

इसके बाद हिन्द महासागर में एक और महत्वपूर्ण इस्लामिक देश मालदीव ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के फैसले पर बुधवार को भारत का समर्थन करते हुए कहा कि प्रत्येक राष्ट्र को अपने कानूनों में आवश्यकतानुसार संशोधन करने का अधिकार है। मालदीव सरकार ने कहा कि हम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर भारत सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को एक आंतरिक मामला मानते हैं।

मालदीव सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि वे मानते हैं कि प्रत्येक संप्रभु राष्ट्र का अपने कानूनों में आवश्यकतानुसार संशोधन करने का अधिकार है। पाकिस्तान ने इस मामले को कई ओआईसी जैसे संगठन, अमेरिका और कई देशों के पास ले गया लेकिन अधिकतर देशों ने या तो भारत का समर्थन किया है या चुप्पी साधी है। सिर्फ मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी ने ही भारत के इस कदम का विरोध किया है।

हालांकि, मोदी सरकार का यह फैसला पूरी तरह से संवैधानिक है। पत्रकार और रक्षा विशेषज्ञ अभिजीत अय्यर ने द प्रिंट में छपे अपने एक लेख में बताया है कि यह फैसला किसी भी घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन नहीं करता है। ओआईसी का यह “संपर्क समूह” जिसने भारत के इस फैसले पर विरोध जताया है उसका गठन 1994 में हुआ था जिसे जम्मू और कश्मीर पर नीति को समन्वित करने के लिए बनाया गया था। इस ग्रुप में सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, नाइजर जैसे देश शामिल है। इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के संपर्क समूह ने अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने के भारत के निर्णय की निंदा की है। 

संयुक्त अरब अमीरात की ओआईसी  की प्रतिक्रिया और उसके सदस्य देशों की प्रतिक्रिया में का अंतर यह दर्शाता है कि इस्लामिक संगठन के सभी 57 सदस्य देश इसकी आधिकारिक भारत विरोधी प्रतिक्रिया से सहमत नहीं हैं। इसके अलावा कश्मीर पर ओआईसी का पाकिस्तान के लिए एकतरफा रूख पूरी दुनिया को अच्छी तरह से पता है। भारत ने पहले ही संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थायी देशों के लिए संक्षिप्त सूचना जारी कर दी थी और इन सभी को पता था यह भारत का आंतरिक मामला है इसलिए जम्मू-कश्मीर मामलों पर अधिकतर देशों ने चुप्पी बनाई हुई है।

भारत ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि सोमवार को संसद में किए गए प्रस्तावों का उद्देश्य” जम्मू-कश्मीर में सुशासन प्रदान करना, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना और वहाँ आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है।” रिपोर्ट में भी सामने आई थी कि पीएम मोदी ने कश्मीर के संबंध में कुछ बड़े बदलाव को लेकर प्रमुख नेताओं को पहले ही विश्वास में लिया था।

इस मामले पर कमजोर पड़ चुके पाकिस्तान ने संकेत दिया है कि कश्मीर मुद्दे को इस साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के आगामी सत्र में सभी संभावित मंचों पर उठाने के लिए तैयार हैं। हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी ने भारत की छवि विश्व में एक ताकतवर देश के रूप में विकसित की है और ऐसे में भारत इस मामले पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए तैयार है और विश्व समुदाय को यह भी पता है कि पाकिस्तान ऐसी योजनाएं जान-बूझकर भारत को भड़काने के लिए करता रहता है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने पर सकारात्मक या तटस्थ अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं पीएम नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक जीत दिखाती हैं।

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