बुकर प्राइज़ विजेता व लेखिका अरुंधति रॉय एक बार फिर से सुर्खियों में हैं, लेकिन वजह बेहद ही विवादित है। दरअसल, कल यानी रविवार को उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने दो बयान दिया है जो बेहद ही अतार्किक लग रहा है, इसी कारण वे सोशल मीडिया पर मज़ाक और आलोचना, दोनों का विषय बनी हुई हैं।
उक्त वीडियो में अरुंधति रॉय ने न केवल भारतीय सेना पर छींटाकशी की, बल्कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान को एकदम पाक साफ दिखाने का भी बेहद बेतुका और घटिया प्रयास किया है। वीडियो में उन्होंने एक तरफ यह जताने की कोशिश की कि कैसे भारतीय सेना आजादी के बाद से ही अपने ही लोगों पर हथियारों का अनुचित प्रयोग करती आई है, जिसके लिए उन्होंने ऑपरेशन पोलो का बेहद ही अजीब उदाहरण पेश किया।
इसके साथ साथ इसी वीडियो में अरुंधति रॉय ने हमारे पड़ोसी देश की पैरवी करते हुये यह जताने की कोशिश की कि कैसे कश्मीर मुद्दे पर सारा दोष वर्तमान सरकार का है, और कैसे हमारे पड़ोसी देश ने ‘ज़मीन के एक टुकड़े’ के लिए अपने ही लोगों पर अत्याचार नहीं किया। ऐसा बेतुका प्रोपगैंडा फैलाने के कारण अरुंधति रॉय को सोशल मीडिया पर चौतरफा आलोचना का सामना भी करना पड़ा –
https://twitter.com/Being_Vinita/status/1165826262541074432
Arundhati –> Pak nevr deoloyed its army against its people..!!
Pakistan –> pic.twitter.com/U63Gso3Jzs
— Mohit Mahajan (@mahajanm799) August 26, 2019
Listen what #ArundhatiRoy (Indian writer) is telling about Indian state at a perpetual war against its own people using military against Kashmiris, Sikhs, Dalits and other tribal communities pic.twitter.com/ekewZQ93Qb
— Safeer Ahmed (@safeerahmed40) August 25, 2019
https://twitter.com/SwamiGeetika/status/1165818256411611136
https://twitter.com/upasanatigress/status/1165743919994294273
#ArundhatiRoy claims Pakistan has nvr deployed its military against its own people. Was she blind & deaf when 3M died in the Bangladesh genocide by Pak Army in 1971? Is she unaware of #Balochistan? She's literally reading off a Pakistan ISI briefing note. https://t.co/09SyUHURF6
— Tarek Fatah (@TarekFatah) August 25, 2019
जिस तरह का बयान अरुंधति रॉय ने दिया है, इसकी जितनी निंदा की जाये, कम होगी, परंतु यहाँ पर हमें अरुंधति रॉय के प्रति नाराज नहीं होना चाहिए, उल्टे हमें उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करनी चाहिए। क्योंकि अब अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के बाद से अरुधंती जैसे कई अवसरवादी बुद्धिजीवियों की रोज़ी रोटी छिन गयी है, तो ऐसे में सुध-बुध खोकर कुछ भी बोलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
पर मज़ाक अपनी जगह है, और प्रोपगैंडा अपनी जगह। या तो अरुंधति रॉय ने हमारे पड़ोसी देश का इतिहास पढ़ने का प्रयास ही नहीं किया, और यदि उन्हे वहाँ का इतिहास पता है, तो उसके तथ्यों को तोड़ मरोड़कर वे क्या संदेश देना चाहती है?
हमारे पड़ोसी देश का अपने ही जनता पर किए गए अत्याचारों को छुपाना उतना ही सरल है जितना अपने हाथों से सूरज की रोशनी को पूरी तरह छुपाना। वर्ष 1971 में किस तरह से पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में मौत का तांडव किया था, ये किसी से छुपा है क्या भला? ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ के तहत पाकिस्तानी सेना का वीभत्स रूप पूरी दुनिया ने देखा था, और उस दौरान 30 लाख निर्दोष बंगाली लोगों की हत्या की गई थी, और 20,000 से ज्यादा महिलाओं का शारीरिक शोषण किया गया था। यदि भारत ने सहायता के लिए हाथ न बढ़ाया होता, तो बांग्लादेश का एक स्वतंत्र राष्ट्र बनना लगभग असंभव था।
पीओके में गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र हो, या खैबर पख्तूनख्वा, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की हिंसक सेना ने सत्ता में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए वहाँ की मासूम जनता पर हर प्रकार के अत्याचार किए। अरुंधति रॉय बलुचिस्तान और सिंध की जनता पर होने वाले अत्याचारों के बारे में क्यों नहीं बताना चाहती हैं ये समझ से परे है। ये वही आवाम है जो अपनी आजादी के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं व पूरे विश्व के सामने गुहार लगा रहे हैं।
https://twitter.com/majorgauravarya/status/1165286334107283456?s=20
बलुचिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने अत्याचार की पराकाष्ठा इतनी पार कर दी है कि वे वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे हैं और इस क्रांति की आग अब सिंध प्रांत और खैबर पख्तूनख्वा तक भी पहुँचने लगी है। नरसंहार करना और यहां के लोगों पर अत्यचार करना पाकिस्तानी सेना के लिए आम बात हो गयी है, जिसमें पाकिस्तानी सरकार भी खूब सहयोग कर रही है।
हमारे पड़ोसी देश द्वारा समर्थित आतंकवादियों का इस्तेमाल पीओके, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के जनता के विरुद्ध भी किया जा रहा है। बात-बात पर मानवाधिकारों भारत के खिलाफ मानवाधिकार हनन का आरोप लगाने वाला हमारा पड़ोसी देश अपनी करतूतों के बारे में हमेशा छिपने की नाकाम कोशिश किया है और इन्हें समर्थन के लिए अरुंधति रॉय जैसे वामपंथी बुद्धिजीवी भारत के विरुद्ध अपना पक्ष रखने से भी नहीं हिचकिचाते।
बता दें कि यह पहला अवसर नहीं है जब अरुंधति रॉय ने अपने विवादित बयानों से हमारे पड़ोसी देश के नापाक हरकतों को छुपाने का असफल प्रयास किया है। इससे पहले भी कई बार अरुंधति रॉय अपनी भारत विरोधी टिप्पणियों के लिए पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय, विशेषकर वामपंथी मीडिया की पोस्टर गर्ल रही हैं।
चाहे राफेल फाइटर जेट को एयरक्राफ्ट कैरियर बताना हो, या फिर कश्मीर क्षेत्र में आतंकियों और अलगाववादियों का समर्थन करना हो, बाटला हाउस एंकाउंटर को फर्जी सिद्ध कराना हो या फिर अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए केंद्र सरकार को ललकारना हो, या फिर कुछ नहीं मिलने पर ‘2002’ का राग अलापना हो, अरुंधति रॉय ने हमेशा अपने भारत विरोधी रुख को आगे रखा। हालांकि इस बार अपने आप को सही सिद्ध करने में अरुंधति ने अपने ही सीमित ज्ञान और अनुच्छेद 370 के हटने पर अपनी संभावित मानसिक स्थिति को सबके सामने उजागर कर दिया। ऐसे में इन्हें आलोचना की नहीं, बल्कि दवा की ज़रूरत है। जिससे इनका मानसिक रोग ठीक हो सके।