यदि कोई ये कहे कि बरखा किसी भी भारत-विरोधी एजेंडा फैलाने वाले व्यक्ति की आदर्श हैं, तो किसी को भी आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए। बुरहान वानी के प्रति हमदर्दी दिखाने से लेकर हाफिज़ सईद की प्रशंसा पाने तक, बरखा दत्त ने अलगाववादी प्रोपगैंडा को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अब अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के बाद से जिन मुद्दों पर पूरे देश में चर्चा हो रही है, उसमें भी बरखा दत्त अपना प्रोपगैंडा प्रचारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
इसी कड़ी में बरखा दत्त ने एक बार फिर कश्मीर को लेकर अपना पाकिस्तानी प्रोपगैंडा फैलाने का प्रयास किया है। अपने ट्वीट्स के जरिये ये ऐसी धारणा फैलाना चाहती है कि कश्मीर में केंद्र सरकार तानाशाही पर उतर आई है –
The story of Idrees Ul Haq: the communication clampdown in #Kashmir through the eyes of one man, one family. And a wedding that may or may not happen… My report. Watch and Share here https://t.co/I5gfQCeGnA
— barkha dutt (@BDUTT) August 16, 2019
Life After #Article370: Inside The #Kashmir Communication Lockdown: Through The Eyes Of One Man. The Story of Idrees Ul Haq. Watch, Share, Tell me what you think. My report here: https://t.co/I5gfQCeGnA
— barkha dutt (@BDUTT) August 15, 2019
दरअसल, बरखा दत्त ने कश्मीर पर भ्रामक रिपोर्टिंग करते हुए यह दावा किया कि अपनी फ्लाइट में उनको संयोगवश एक कश्मीरी नागरिक मिला जो कश्मीर में सरकार की बन्दिशों के कारण अपने परिवार वालों से संपर्क नहीं साध पा रहा है। अपनी भ्रामक रिपोर्टिंग के जरिये बरखा दत्त ने एक कश्मीरी इदरिस उल हक के कथित मानसिक उत्पीड़न को जगजाहिर करने का प्रयास किया है, जो पुणे में इस समय एक प्राइवेट नौकरी में कार्यरत है। बरखा ने दिखाया कि कैसे इदरिस अपनी बीमार माँ और अपने पिता से संपर्क नहीं साध पा रहे हैं, और कैसे कश्मीरियों को इस तरह के अत्याचारों का आए दिन सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि जिस कश्मीरी नागरिक की दुहाई देकर बरखा दत्त ये कह रही हैं कि कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है, उसका अपना भी एक स्याह पहलू है। इदरिस उल हक नामक ये व्यक्ति दरअसल एक अलगाववादी है, जिसने वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौत की दुआएं मांगी थी। यही नहीं, इदरिस उल हक अन्य अलगाववादियों की तरह कश्मीर को पूरी तरह भारत से अलग करने की मांग का समर्थन भी करता रहा है हैं, और उसने श्रीनगर को एक अलग देश बनाने की मांग करने की हिमाकत भी की है। दिलचस्प बात तो यह है कि बरखा दत्त के इदरिस के साथ 2012 से बड़े घनिष्ठ संबंध रहे हैं ।
इसके अलावा इदरिस 9 अगस्त से ही एनडीटीवी के निरंतर संपर्क में है, और शशि थरूर और उमर अब्दुल्लाह जैसे बड़े राजनेताओं के संपर्क में भी रहा है, जिसके बारे में कई जानकारियाँ कई ट्विटर यूजर ने अपने ट्विट्स के माध्यम से उजागर की हैं। अब हैरानी की बात तो यह है कि जिस व्यक्ति की पहुंच कश्मीर के बड़े-बड़े नेताओं तक हो, जो एनडीटीवी के संपर्क में हो, ठीक वही व्यक्ति एक फ्लाइट में बरखा दत्त से मिलता है और उनकी मुलाक़ात संयोगवश होती है। अब या तो बरखा खुद सबसे बड़ी मूर्ख हैं या वे हम सबको मूर्ख समझती हैं। ज़ाहिर है, बरखा ने यहां अपना एजेंडा चलाने की कोशिश की, और वे जल्द ही सोशल मीडिया पर पकड़ी भी गईं।
Out of the 8 Million Kashmiris, did you deliberately chose to promote Idrees Ul Haq who wants death of Amit Shah and Modi and who had started online campaign of #KashExit demanding separation of Kashmir?
You knew him from long, then why making excuse of 'Coincidence'? pic.twitter.com/InU61s5n5L
— Ankur Singh (Modi Ka Parivar) (@iAnkurSingh) August 16, 2019
Look at the drama @BDUTT is doing, she was contacted by a muslim guy on twitter & COINCIDENTALLY he met her on his flight to Kashmir & then COINCIDENTALLY she went his home with him & all the filmy drama afterwards. So many masala and COINCIDENCE at one place. PLAIN PROPAGANDA. pic.twitter.com/vo8G4mBqJs
— BALA (@erbmjha) August 16, 2019
हालांकि ये बरखा दत्त जैसे प्रोपगैंडावादी पत्रकारों के लिए कोई नई बात नहीं है। एनडीटीवी और तिरंगा टीवी की पूर्व पत्रकार रह चुकी बरखा दत्त प्रारम्भ से ही कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देती आई हैं। कारगिल और 26/11 पर इनकी कवरेज से सभी भली भांति परिचित होंगे। इन्होंने न सिर्फ बुरहान वानी जैसे दुर्दांत आतंकियों का महिमामंडन करने का प्रयास किया है, अपितु इनकी पत्रकारिता की तारीफ हाफिज़ सईद जैसे आतंकियों ने भी की हैं। अब कश्मीरी पंडितों पर इनके सुविचारों के बारे में तो कहने ही क्या!
जब से अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों को हटाया गया है, हमारे लेफ्ट लिबरल्स के पैरों तले की ज़मीन खिसक गयी है। अपने आप को लाईमलाइट में बनाए रखने के लिए ये पत्रकार किसी भी स्तर तक गिरने को तैयार हैं, फिर चाहे वो घाटी में अपने प्रोपगैंडा से मौजूदा स्थिति को और भड़काना ही क्यों न हो।