भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कांग्रेस पार्टी से अलगाव रॉबर्ट वाड्रा के लिए बनेगा मुसीबतों का सबब

रॉबर्ट वाड्रा हुड्डा

PC: intoday

कांग्रेस की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अनुच्छेद 370 पर सरकार का विरोध कर अपने ही कैडर में देशव्यापी विरोध झेलने वाली कांग्रेस को हरियाणा में बड़ा झटका लगने वाला है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाए जाने के मोदी सरकार के फैसले की तारीफ करते हुए समर्थन किया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रैली में कहा, ”जब सरकार कोई अच्छा काम करती है तो मैं उसका समर्थन करता हूं। मेरे कई साथियों ने अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध किया। हमारी पार्टी (कांग्रेस) रास्ते से भटक गई है। यह अब वो कांग्रेस नहीं है, जिसमें मैं रहा हूं। जब राष्ट्रवाद और आत्मसम्मान की बात आती है तो मैं किसी चीज से समझौता नहीं करता हूं।” इससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की एक रैली के लिए जारी पोस्टर में गांधी परिवार के किसी भी नेता को जगह नहीं दी गई थी।

बता दें कि हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और पूर्व मुख्यमंत्री का यह रुख कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के लिए घातक साबित हो सकता है। अब यहां सवाल ये उठता है कि हुड्डा के इस तरह से कांग्रेस पार्टी से दूरी बनाने का प्रभाव पार्टी के बाद किसपर सबसे ज्यादा पड़ने वाला है? अगर आप गौर करें तो आपको इस सवाल का जवाब तुरंत ही मिल जायेगा। जी हां, सही समझे, सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा। यह जानना बेहद जरूरी है कि हुड्डा जब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे उसी दौरान रॉबर्ट वाड्रा ने जमीन सौदें में कई गड़बड़ियां की थी। जब राज्य में भाजपा सरकार आई तब इस मामले की जांच शुरू हुई और जांच में रॉबर्ट वाड्रा द्वारा जमीन के सौदों में की गयी गड़बड़ियां सामने आई। यही नहीं वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग के भी गंभीर आरोप लगे। अब हुड्डा के विरोध से कांग्रेस के साथ साथ वाड्रा की मुश्किलें बढ़ने वाली है।

दरअसल, हरियाणा में भूपिंदर सिंह हुड्डा और गांधी परिवार का साँठ-गांठ काफी पुराना है। मानेसर लैंड डील और गुरुग्राम के खेड़की दौला जमीन मामले में रॉबर्ट वाड्रा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। यह मामला खेड़की दौला पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया गया था। इस एफआईआर में डीएलएफ कंपनी और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज का नाम भी शामिल है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में ही मानेसर स्थित शिकोहपुर गांव, सिकंदरपुर बढ़ा, खेड़की दौला एवं सही में कई सीएलयू एवं लाइसेंस जारी किए गये थे।

आरोप है कि साल 2007 में रॉबर्ट वाड्रा ने स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी नाम से कंपनी पंजीकृत कराई और साल 2008 में इस कंपनी ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से साढ़े 3 एकड़ जमीन खरीदी जिसकी कीमत साढ़े सात करोड़ दिखाई गई। स्काईलाइट ने बाद में हुड्डा के प्रभाव से कॉलोनी के विकास के लिए कमर्शियल लाइसेंस प्राप्त किया। फिर इस जमीन को डीएलएफ ने 58 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इससे स्काईलाइट कंपनी को करोड़ों का फायदा हुआ था। यही नहीं नियमों का उल्लंघन कर हुड्डा पर गुड़गांव के वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन डीएलएफ कंपनी को गलत तरीके से अलॉट करने का आरोप है, इससे इस रियल एस्टेट कंपनी को 5000 करोड़ रुपए का लाभ पहुंचा। हालांकि, हुड्डा सरकार और वाड्रा के इस भ्रष्टाचार का खुलासा एक आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने कर दिया था। उन्होंने हुड्डा के शासनकाल में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच संदिग्ध भूमि सौदों को उजागर किया था।

इस मामले की जांच कर रहे ढींगरा आयोग ने हरियाणा में नवगठित भाजपा सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें अनियमितताओं को उजागर किया और प्राथमिकी दर्ज करने को जरुरी बताया था। 15 सितंबर 2015 को सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। इसके बाद सितम्बर 2018 में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। बीकानेर जिले में जमीन घोटाले मामले में ईडी पहले से ही रॉबर्ट वाड्रा पर सख्त कार्रवाई कर रही है और कई जगहों पर छापेमारी भी कर चुकी है। ऐसे में हुड्डा अगर गुरुग्राम में संदिग्ध जमीन सौदे मामले में चल रही जांच में मदद करते हैं तो आने वाले वक्त में रॉबर्ट वाड्रा कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएंगे।

जाहीर है कि अपना कैरियर बचाने के लिए हर कोई किसी न किसी चीज़ का बलिदान देता है। वैसे ही हरियाणा में भी देखने को मिल सकता है। भ्रष्टाचार के समय रॉबर्ट वाड्रा का साथ देने वाले भूपिंदर सिंह हुड्डा अब अपना राजनीतिक करियर बचाने के लिए रॉबर्ट वाड्रा को निशाना बना सकते हैं। हुड्डा पर पहले ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और राष्ट्रहित उनके लिए आखिरी दांव है जिसके सहारे वो आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी डूबती नैया पार लगाना चाहते हैं। वो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ जाने में भी इस बार नहीं कतराने वाले हैं, ऐसे में अगर वह वाड्रा के खिलाफ सामने आते हैं और अवैध जमीन हड़पने के भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं, तो वह जनता की नजर में अपनी छवि को मजबूत करने में सफल होंगे। मतलब साफ़ है, हुड्डा और गांधी परिवार के बीच सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को होने वाला है तो वो हैं रॉबर्ट वाड्रा! जो पहले से ही अवैध लंदन की संपत्ति मामले और भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी के साथ संबंध के कारण प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना कर रहे हैं।

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