थाईलैंड भारत से सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस खरीदने का इच्छुक

ब्रह्मोस थाईलैंड

PC: Defence IQ

आमतौर पर भारत दुनिया में हथियारों का आयात करने वाले एक देश के तौर पर ही जाना जाता है। वर्ष 2017 में दुनिया में आयात हुए कुल हथियारों में से 12 प्रतिशत हथियारों को भारत ने इम्पोर्ट किया था, और सबसे ज़्यादा हथियार आयात करने वाले देशों की सूची में पहला स्थान प्राप्त किया था। यह किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सही नहीं माना जाता क्योंकि ये डिफेंस डील करोड़ों-अरबों रुपयों की होती हैं और ऐसे में ये समझौते एक देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर बड़ा प्रभाव डालते हैं। इसके अलावा एक देश द्वारा ज़्यादा हथियार इम्पोर्ट करने का मतलब यह होता है कि उस देश की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री कमजोर है, और वह देश खुद हथियारों का उत्पाद करने में अक्षम है।

हालांकि, वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इस तस्वीर को बदलने की दिशा में कई कदम उठाए गए। अन्य देशों के साथ मिलकर ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम के तहत भारत में ही हथियारों के निर्माण के विचार को प्राथमिकता दी गई। अब इसका फल मिलता भी दिखाई दे रहा है। सूत्रों के अनुसार भारत डिफेंस एक्स्पोर्ट के तौर पर थाईलैंड को सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस सप्लाई कर सकता है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच अभी बातचीत चल रही है। थाईलैंड से पहले कुछ और देश भी इस मिसाइल में अपनी रूचि दिखा चुके हैं, लेकिन उनके साथ बातचीत फाइनल नहीं हो पाई थी।

कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक अभी थाईलैंड और भारत के अधिकारियों के बीच इन समझौतों को लेकर बातचीत जारी है। हालांकि, यह समझौता अगले साल हो सकता है। पिछले साल दिसंबर में रॉयल थाई नेवी चीफ एडमिरल रुण्डित भारत के दौरे पर आए थे, और उसी के बाद से इस संबंध में दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। रक्षा क्षेत्र में भारत थाईलैंड के साथ अपनी साझेदारी लगातार बढ़ा रहा है। इसके अलावा इस साल भारतीय नौसेना सिंगापुर और थाईलैंड की नौसेना के साथ मिलकर अरब खाड़ी में युद्धाभ्यास भी करेगी।

बता दें कि मोदी सरकार आने के बाद भारतीय डिफेंस एक्सपोर्ट को बल मिला है। मेक इन इंडिया के तहत देश में ही हथियार निर्माण को बढ़ावा दिया गया और इसी के बलबूते पिछले साल भारत 10 हज़ार 700 करोड़ रुपये का डिफेंस एक्सपोर्ट करने में कामयाब रहा था। अब सरकार ने इस वर्ष के लिए 20 हज़ार करोड़ रुपए का डिफेंस एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। रोचक बात यह है कि सरकार इस वर्ष के पहले तीन महीनों में ही 5600 करोड़ रुपये के हथियार तो एक्सपोर्ट भी कर चुकी है। सरकार इस दिशा में अभी और बड़े कदम उठा रही है और वर्ष 2024-25 तक भारत ने हर वर्ष 35 हज़ार करोड़ रुपए का डिफेंस एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य रखा है। अगर सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो भारत के लिए इस लक्ष्य को प्राप्त करना कोई बड़ा काम नहीं होगा।

बता दें कि, ब्रह्मोस मिसाइलें भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से बनाई गई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें हैं। ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइल माना जाता है, जिसकी रफ़्तार 2.8 मैक (ध्वनि की रफ़्तार के 2.8 गुना बराबर) है। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है। इतना ही नहीं, ब्रह्मोस जैसी क्षमता वाली मिसाइल भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान के पास नहीं है। यही कारण है कि अब कई देश इस मिसाइल को खरीदने में अपनी रूचि दिखा रहे हैं। भविष्य में भी हमें भारत द्वारा ऐसे ही आधुनिक हथियारों के निर्माण की उम्मीद है, और ऐसे में आने वाले सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट मार्केट कई गुना तक बढ़ने की आशा है।

Exit mobile version