पी चिदंबरम केस: ट्विटर पर राजदीप, बरखा और राणा का रोना शुरू

चिदंबरम के भगोड़े होने पर देखिये हमारे बुद्धिजीवियों की प्रतिक्रियाएँ

चिदंबरम

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री व गृहमंत्री पी चिदंबरम को सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया के मामले में गिरफ्तार कर लिया है। बीते बुधवार को रात साढ़े 10 बजे सीबीआई ने उनके जोरबाग स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, इस दौरान सीबीआई के अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। बताया जा रहा है कि आज उन्हें राउस एवेन्यू कोर्ट में पेश किया जाएगा।

इससे पहले आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपों का सामना कर रहे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम बुधवार देर शाम नाटकीय ढंग से कांग्रेस मुख्यालय पर पहुंचे और कानून से ‘छिपने की खबरों को खारिज करते हुए उम्मीद व्यक्त की कि उनके मामले में जांच एजेंसियां कानून का सम्मान करेंगी। उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय के मीडिया हॉल में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए यह दावा किया कि उनके खिलाफ लगे आरोप ”झूठे हैं। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अभिषेक मनु सिंघवी भी मौजूद थे। संवाददाताओं से बातचीत के फौरन बाद पी चिदंबरम राजधानी के जोरबाग स्थित अपने आवास पर पहुंच गये। इसी आवास पर कल रात सीबीआई के अधिकारियों ने उनके नाम से एक नोटिस चस्पा किया था। चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा, ” मेरा मानना है कि लोकतंत्र की बुनियाद स्वतंत्रता है। संविधान का सबसे अहम अनुच्छेद 21 है जो जीवन और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। अगर इनमें से एक को चुनने का विकल्प हो तो मैं बेहिचक स्वतंत्रता का चुनाव करूंगा।

पिछले 24 घंटो से फरार चल रहे चिदंबरम ने अपने दलिल में कहा कि वे अपने वकीलों से इस मामले में राय ले रहे थे। वे कानून से भागे नहीं थे। उनके इस कृत्य के प्रति लोगों ने काफी मिश्रित प्रतिक्रियाएँ दी हैं। जहां एक ओर कई लोग चिदम्बरम के इस तरह फरार होने पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं हर बार की तरह इस बार भी कुछ ऐसे अपवाद हैं, जो अपने छद्म सेक्यूलरिज़्म के नाम पर ऐसे भगोड़ों का बचाव करने से नहीं कतरा रहे हैं।

इनमें सबसे आगे आता है नाम पत्रकार राजदीप सरदेसाई जो अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर जाने जाते हैं। उनके ट्वीट के अनुसार, “2010 में पी चिदंबरम जब गृहमंत्री थे तब अमित शाह को एक कथित एंकाउंटर केस में हिरासत में लिया गया था। अब 9 वर्षों के बाद शाह गृहमंत्री हैं और पी चिदंबरम को एक कथित वित्तीय घोटाले में गिरफ्तार किया जा सकता है। कर्म का चक्र किस ओर घूम रहा है? ये प्रतिशोध है या कानून? फैसला आपका!”

बता दें कि जहां अमित शाह ने जांच पड़ताल में किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली और निर्दोष सिद्ध हो कर सामने आए, वहीं चिदम्बरम कानून का शिकंजा पड़ने से पहले ही भाग खड़े हुये। ऐसे में इन दोनों की तुलना करके चिदम्बरम को बचाने की जद्दोजहद में राजदीप ने एक बेहद घटिया उदाहरण पेश किया है।

राजदीप यहीं पर नहीं रुके, उन्होने आगे ट्वीट किया, “मोर ब्रेकिंग न्यूज़ : और ज़्यादा मिडनाइट ड्रामा के लिए तैयार रहें। सीबीआई की टीम चिदम्बरम के घर दूसरी बार आती है, और वे चाहती है कि चिदम्बरम 2 घंटे में उनके समक्ष प्रस्तुत हों। आगे बहुत लंबी रात है। बेहतर यही होगा कि कानून अपना काम करे दें। शुभरात्रि।“

इस ट्वीट से राजदीप ने अपनी चिंता और अप्रसन्नता दोनों ही ज़ाहिर कर दी है, कि आखिर सीबीआई चिदम्बरम के घर पर कैसे आई। कुछ ऐसा ही बयान आया है राणा अय्यूब का, उन्होंने भी अमित शाह और चिदम्बरम के बीच तुलना करते हुए ट्वीट किया, “2010 में जब चिदम्बरम गृह मंत्री थे, तब सीबीआई अमित शाह को हिरासत में लेने के लिए उन्हे ढूंढ रही थी। अब अमित शाह के गृह मंत्री बनते ही पासा पलट गया है। कोई भी अनुमान लगा सकता है”।

चिदम्बरम के अपराधों को किनारे रखते हुये उन्होंने अपना पूरा ध्यान केवल अमित शाह के कथित ‘अपराधों’ पर केन्द्रित किया है। इसी तरह बरखा दत्त भी इस मामले में अपना दुख जाहिर करने से खुद को नहीं रोक पाईं। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ‘यह सोचना काफी अतार्किक होगा कि सरकार को चिदम्बरम के वर्तमान लोकेशन के बारे में कुछ भी नहीं पता होगा। मुझे तो संदेह है कि वे भी सुप्रीम कोर्ट में केस के पूरी तरह से खुलकर सामने आने की प्रतीक्षा कर रहें है”।

इस ट्वीट के सहारे बरखा चिदम्बरम के गायब होने का सारा दोष सरकार पर डालना चाहती है। पर इससे यह सिद्ध हो जाता कि स्थिति चाहे जो भी हो, हमारे सूडो सेक्यूलर बुद्धिजीवी सदैव तथ्यों को तोड़-मरोड़कर कांग्रेसी नेताओं का बचाव करने के लिए आगे आ जाते हैं। ऐसा केवल चिदंबरम के मामले में ही नहीं, इससे पहले भी ये कई मुद्दों पर अतार्किक प्रश्न खड़े किए हैं।

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