अमित शाह ने सिर्फ जम्मू-कश्मीर को ही नहीं, कांग्रेस को भी दो हिस्सों में बांट दिया है

कांग्रेस जम्मू-कश्मीर

PC: Patrika

देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस एक बार फिर से बिखर गयी है। केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने के फैसले को लेकर कांग्रेस पार्टी खुद दो हिस्सों में बंट गई है। देश की सबसे पुरानी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व व क्षेत्रीय नेताओं में इस मामले को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व अब सिर्फ पी चिदम्बरम, कपिल सिब्बल, और ग़ुलाम नबी आज़ाद द्वारा ही चलाया जा रहा है। जो देश के अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के आवाज को दबाकर अपनी मनमानी करने पर अड़े हुए हैं।

एक तरफ ये तीनों कांग्रेसी नेता अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं तो वहीं देश के अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता भाजपा के इस फैसले का समर्थन करते दिख रहे हैं।

कांग्रेस का मजबूत गढ़ माने जाने वाले रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने पार्टी के रूख से इतर अपनी राय रखी है। ट्विटर पर अदिति सिंह ने हैशटैग आर्टिकल 370 (#Article370) के साथ युनाइटेड वी स्टैंड, जय हिंद लिखा है। इस पर एक ट्विटर यूजर ने उनसे सवाल पूछा कि आप तो कांग्रेसी हैं, जिसके जवाब में उन्होंने लिखा, ‘मैं एक हिंदुस्तानी हूं’।

वहीं मुंबई कांग्रेस के प्रमुख मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर कहा है कि दुर्भाग्य से आर्टिकल 370 के मसले को लिबरल और कट्टर सोच की बहस में उलझाया जा रहा है। पार्टियों को अपने वैचारिक मतभेद किनारे रख कर भारत की संप्रभुता, कश्मीर शांति, युवाओं को रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के लिहाज से सोचना चाहिए।

इसके बाद अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन करने वाले कांग्रेसी नेताओं की लिस्ट में आते हैं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा जो इस मामले में ट्वीट किया ‘21वीं सदी में इस अनुच्छेद के लिए कोई जगह ही नहीं है।‘ हालांकि, कुछ देर बाद उन्होंने यह ट्वीट डिलीट कर दिया। इस ट्वीट के साथ ही उन्होंने एक अखबार की पुरानी खबर भी साझा किए थे, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने की वकालत की थी।

इसके अलावा कांग्रेस के जनार्दन द्विवेदी ने भी अनुच्छेद 370 हटाए जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “मेरे राजनीतिक गुरू राम मनोहर लोहिया हमेशा से इस आर्टिकल के खिलाफ थे। इतिहास की एक गलती को आज सुधारा गया है। जहां तक मेरा व्यक्तिगत विचार है तो उसके हिसाब से यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है।”

असम से पार्टी के राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के चीफ व्हिप भुवनेश्वर कलिता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सोशल मीडिया पर कलिता के नाम से एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया गया है कि कांग्रेस ने उन्हें कश्मीर मुद्दे पर व्हिप जारी करने को कहा था। वायरल पत्र में लिखा है, ‘कांग्रेस ने मुझे कश्मीर मुद्दे पर व्हिप जारी करने को कहा है लेकिन सच्चाई यह है कि देश का मिजाज अब बदल चुका है और ये व्हिप जनभावना के खिलाफ है। जहां तक अनुच्छेद 370 की बात है तो खुद पंडित नेहरू ने भी कहा था कि एक दिन घिसते-घिसते यह पूरी तरह घिस जाएगा। आज के कांग्रेस की विचारधारा से लगता है की पार्टी आत्महत्या कर रही है और मैं इसका भागीदार नहीं बनना चाहता, इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं।’ हालांकि इस पत्र को लेकर अभी आधिकारिक रूप से कोई पुष्टि नहीं की गई है।

कांग्रेसी नेताओं के इन बयानों से इस बात की पुष्टि होती है कि क्षेत्रीय नेता आम जनता की भावनाओं से परिचित थे और इस बात को जानते थे कि देश की आम जनता अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में है। इन नेताओं का लोगों से लगातार जुड़ने और बातचीत करते रहने से यह अनुभव हो चुका है कि देश की अधिकतर आबादी कश्मीर को भारत का ‘अभिन्न’ हिस्सा बनाना चाहती है।

अनुच्छेद 370 का विरोध कर कांग्रेस हाईकमान ने फिर से साबित कर दिया है कि यह पार्टी अब सिर्फ कुछ कथित बुद्धिजीवी वर्ग के नेताओं के फैसले से ही चल रही है और इन्हें देश की आम जनता की भावनाओं से कोई मतलब नहीं है।

भाजपा के इस फैसले को बीजेडी, बसपा, आम आदमी पार्टी और वाईएसआरसीपी सहित कई विपक्षी दलों ने समर्थन किया है लेकिन कांग्रेस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारते हुए इसका विरोध किया। अगर कांग्रेस पार्टी ने फिर से वैचारिक मंथन नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब दशकों पुरानी पार्टी अपना अस्तित्व खो चुकी होगी।

कांग्रेस के क्षेत्रीय सदस्यों को लगता है कि शीर्ष नेतृत्व ही पार्टी को कमजोर बनाने पर तुली हुई है। अक्सर ही देखा जाता रहा है कि कांग्रेस देश की विकास से जुड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर आम जनता के विचारों का विरोध करती है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने सिर्फ अनुच्छेद 370 पर ही राष्ट्रीय भावना का विरोध किया है, इस पार्टी ने ट्रिपल तलाक विधेयक जैसे समाजिक मुद्दे का भी विरोध किया था। ऐसे ही इस पार्टी ने सेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले पर संदेह व्यक्त किया था और सबूत मांगे थे।

अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस पार्टी अगले कुछ दशकों तक सत्ता में वापस नहीं आने वाली। नया भारत अब गैर-वंशवादी, भ्रष्टाचार मुक्त और राष्ट्रवादी सरकार चाहता है। एक ऐसी सरकार जो लोगों को सुरक्षित और समृद्ध बना सकती है।

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