गरीबी, भुखमरी और लाचारी: यही है इमरान खान के ‘नए पाकिस्तान’ का 1 साल का रिपोर्ट कार्ड

पाकिस्तान इमरान खान

PC: Specialcoveragenews

हमारे पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को अब एक साल पूरा होने वाला है। इमरान खान ने चुनावों से पहले पाक को पश्चिमी देशों की तुलना में लाकर खड़ा करने का वादा किया था, हालांकि एक साल के अंदर ही उन्होंने पाकिस्तान का ऐसा बेड़ा गर्क कर दिया है जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की होगी। इमरान खान पाकिस्तान को ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन यह किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि उनके नए पाकिस्तान में गरीब जनता को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने में भी पापड़ बेलने पड़ेंगे। इतना ही इमरान खान का ‘नया पाकिस्तान’ एक साल के अंदर ही हर मोर्चे पर पहले से ज़्यादा कमजोर और महत्वहीन हो चुका है।

इस बात में किसी को कोई शक नहीं है कि इमरान खान एक इलेक्टिड पीएम नहीं बल्कि एक सेलेक्टिड पीएम हैं, यानि पाक की सेना ने उनको चुनकर पाक के ऊपर थोपा है। पाक की सेना को यह गलतफहमी थी कि इमरान खान पश्चिमी देशों में एक लोकप्रिय चेहरा है और इसकी वजह से पाक को कूटनीतिक स्तर पर कोई फायदा पहुंच सकता है, और जिसका पाक को आर्थिक फायदा भी पहुंचेगा, लेकिन इमरान खान इस सभी मामलों में फिसड्डी साबित हुए। इमरान खान ने एक साल के अंदर ही पाकिस्तान को कूटनीतिक, राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य मोर्चों पर कमजोर कर दिया और अब इसका खामियाजा पाक की गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है।

इमरान खान ने पाकिस्तान की कूटनीति के स्तर को जिस हद तक नीचे गिराया, ऐसा शायद ही कभी किसी पाक के पीएम ने किया हो। भारत के पीएम को ‘बड़े ऑफिस में छोटे लोग’ से संबोधित करना हो, या कर्ज़ मिलने पर खुलेआम ट्वीट कर जश्न मनाना हो, हार बार उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेज्जत ही किया है। पिछले एक साल में उनकी बेहद कमजोर कूटनीति का ही यह नतीजा है कि कश्मीर मुद्दे पर कोई भी देश पाकिस्तान के पक्ष में बोलने को तैयार नहीं है। यहां तक कि तथाकथित मुस्लिम उम्मा ने भी पाकिस्तान को पूरी तरह दरकिनार कर दिया। कश्मीर मामले पर यूएनएससी के पाँच स्थायी सदस्यों में से 4 खुलकर भारत के पक्ष में आ गए। पाक की कूटनीति इतनी कमजोर रही है कि कई मामलों पर तो उसके ऑल वैदर फ्रेंड माने जाने वाले चीन ने भी उसको डंप किया है। उदाहरण के तौर पर मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने में 4 बार रोड़ा अटकाने के बाद चीन ने आखिर भारत का साथ दे ही दिया था। ये भी पाक की कमजोर कूटनीति का ही नतीजा था कि इसी वर्ष मार्च में ओआईसी की बैठक में भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को विशेष मेहमान के तौर पर बुलाया गया जबकि पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने गुस्से में ओआईसी की बैठक का बॉयकॉट कर दिया था।

एक साल में पाक आर्थिक मोर्चे पर भी काफी विफल साबित हुआ है। दरअसल, पाकिस्तान को इस वक्त डॉलर्स की सबसे ज़्यादा जरूरत है, और इसके लिए वह चीन और क़तर जैसे देशों से भीख मांगने को मजबूर हो गया है। पिछले कुछ महीनों में वह चीन, सऊदी अरेबिया और क़तर से कर्ज़ लेने के बावजूद IMF के पास जाने को मजबूर हुआ है। पाकिस्तान कर्ज़ में डूबा हुआ है और वहां की सरकार ने लोगों पर भारी टैक्स लगाया है जिसके कारण महंगाई से इस देश में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं। इसके अलावा आतंक विरोधी गतिविधियों को रोकने में नाकाम रहने के लिए पाक पर एफ़एटीएफ़ द्वारा ब्लैक लिस्ट होने का खतरा भी लगातार मंडरा रहा है। अगर ऐसा होता है, तो पाकिस्तान की मुश्किलों में और इजाफा हो सकता है।

पाक के इसी आर्थिक संकट का यह नतीजा है कि वहां की सेना पर भी इसका असर पड़ता नज़र आ रहा है। पाक की सेना भी पहले के मुक़ाबले बहुत कमजोर और बेबस हुई है और इसका सबसे बड़ा कारण इमरान खान की सूसाइडल रक्षा नीति ही माना जा रहा है। इसी वर्ष फरवरी में भारतीय वायुसेना ने पाक के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी और पाक की वायुसेना सिर्फ एक मूकदर्शक बनकर रह गयी थी। इसके अलावा इमरान खान की सरकार के समय ही पाक के रक्षा बजट में भी भारी कमी की गई है। पाकिस्तान ट्रिब्यून अख़बार ने वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि अगले वित्तीय वर्ष का अनुमानित रक्षा बजट 1.270 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए है जो कि ख़त्म होते वित्तीय वर्ष के रक्षा बजट से 170 अरब रुपए ज़्यादा है। ये बजट रुपयों के मामलों में तो पिछले बार के मुक़ाबले ज़्यादा है लेकिन वैल्यू के मामले में इस बजट में भारी कमी हुई है क्योंकि पिछले एक साल के अंदर-अंदर पाकिस्तानी रुपये की कीमत में भारी कमी आई है। आज से एक साल पहले जहां 1 यूएस डॉलर की कीमत 120 पाकिस्तानी रुपये थी तो वहीं अब यह कीमत 160 के पार पहुंच चुकी है, और यही वजह है कि इसका खामियाजा पाक सेना को भी भुगतना पड़ रह है।

पाक राजनीतिक मोर्चे पर भी फेल साबित हुआ है और इसके लिए इमरान खान को विपक्षी पार्टियों के आरोपों का भी सामना करना पड़ता है। उनपर जरूरी मुद्दों पर बहस के दौरान संसद में ना आकर संसद का अपमान करने का आरोप लगता रहता है। पूरी दुनिया में पाकिस्तान की फजीहत करा रहे इमरान खान अब खुद अपने देश में घिर चुके हैं। इसका उदाहरण हमें तब देखने को मिला जब इसी हफ्ते पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने इमरान खान पर करारा हमला बोला था। इमरान को उन्होंने अनाड़ी तक करार दिया था। उन्होंने कहा था कि इमरान खान देश को शर्मिंदा कर रहे हैं। रब्बानी ने कहा कि अगर आप अनाड़ी हैं तो आपको ट्रेनिंग चाहिए, मेहरबानी करके आप ट्रेनिंग लेकर आएं’ इसके अलावा वे बिलावल भुट्टो के निशाने पर भी आ चुके हैं। बिलावल भुट्टो ने इमरान खान को लताड़ते हुए कहा था कि पहले यह बात होती थी कि भारत से कश्मीर कैसे लिया जाये, अब यह बात होती हैं कि पाक के पास जो कश्मीर है उसे कैसे बचाया जाये।

जाहिर है इमरान खान ने एक साल के अंदर ही अपने देश को बद से बदतर हालातों में पहुंचा दिया है। इमरान खान का ‘नया पाकिस्तान’ पाक की जनता पर भारी पड़ रहा है और लोग नवाज़ शरीफ सरकार के दौर को याद कर इमरान खान को लताड़ रही है। अब उम्मीद है कि आने वाले सालों में इमरान खान अपने देश को यूँ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जत करते रहेंगे। अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इमरान खान की सरकार के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आएंगे जिसकी वजह से पाक में एक और तख्तापलट के अनुमान भी बढ़ सकते हैं।

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