भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। अब इस क्षेत्र को और बूस्ट देने के लिए मोदी सरकार ने एक नई ई-टूरिस्ट वीजा प्रणाली की घोषणा की है, जिसमें वीजा शुल्क को और ज्यादा लचीला बनाया जाएगा। इसकी घोषणा पर्यटन पर राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के दौरान पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने की है।
भारत में साल के जुलाई से मार्च महीने के दौरान अधिक संख्या में पर्यटक आते हैं तब पर्यटकों को 25 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 1780 रुपये में 30-दिवसीय ई-पर्यटक वीजा दिया जाएगा। वहीं अप्रैल से जून के बीच जब पर्यटक कम आते हैं तब भारत 10 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 710 रुपये में 30-दिवसीय ई-पर्यटक वीजा देगा। इसके अलावा 80 अमेरिकी डॉलर यानी 5,680 रुपये में नया पांच वर्षीय ई-पर्यटक वीजा और 40 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 2,840 शुल्क का एक वर्षीय ई-पर्यटक वीजा शुरू किया गया है।
अभी तक भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों से एक वर्षीय वीजा के लिए 80 से 100 डॉलर शुल्क लेता था। यह कदम भारत में कम हो रहे विदेशी पर्यटकों की संख्या को देखते हुए उठाया गया है। पिछले साल भारत में करीब 10.5 मिलियन सैलानी आए थे जबकि सिंगापुर में 18.5 मिलियन तथा थाइलैंड में 38 मिलियन पर्यटकों का आगमन हुआ था। यह संख्या भारत के मुक़ाबले कहीं अधिक है। भारत में पर्यटकों की कम संख्या का एक प्रमुख कारण यहाँ वीजा में लगने वाले हाई चार्ज है। अब इस एक महीने की नई वीजा पॉलिसी से पर्यटकों को कम शुल्क देने होंगे जिससे और ज्यादा नए पर्यटक आकर्षित होंगे।
पर्यटकों के लिए एक महीने के ई-वीजा को शुरू करने का निर्णय प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की एक बैठक में लिया गया था। साथ ही साथ ई-वीजा की सुविधा को एक साल से बढ़ाने का भी फैसला किया गया है। इन सभी निर्णयों पर विदेश मंत्रालय से मंजूरी मिलने पर एक औपचारिक आदेश जारी किया जाएगा।
पर्यटन उद्योग में जुड़े लोगों ने सरकार के कदम को भारत में पर्यटकों की संख्या को बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना है।
साथ ही पर्यटन मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के सांची स्तूप, उत्तर प्रदेश के सारनाथ और बिहार के बोधगया जैसे स्थानों पर कम से कम तीन विदेशी भाषाओं में साइन बोर्ड लगाने की योजना बनाई है। जिस क्षेत्र में श्रीलंका, जापान और दक्षिण कोरिया से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं वहाँ पर सिंहला, जापानी और कोरियाई भाषा में साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। इन साइन बोर्ड में क्यूआर कोड भी होंगे, जिसे स्कैन करने पर स्मारक, उसके इतिहास और अन्य विवरणों की विस्तृत जानकारी उस भाषा में प्रदान की जाएगी। पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद सिंह पटेल ने आईएएनएस को बताया, “हम अभी भी प्रारंभिक चरण में हैं, क्योंकि अधिकारियों के साथ मैं खुद योजना की संभावनाओं पर विचार कर रहा हूं। लेकिन एक बार मंजूरी मिलने के बाद, यह निश्चित रूप से विदेशी पर्यटकों को बढ़ावा देने में मदद करेगा।”
साथ ही पर्यटन को और बढ़ावा देने के इरादे से सरकार ने 15 पर्वत चोटियों को विदेशी पर्यटकों के लिए खोलने का फैसला किया है। अब इन चोटियों पर पर्वतारोहण और ट्रैकिंग के लिए विदेशी पर्यटकों को सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। गृह मंत्रालय ने कुल हिमालय पर्वत श्रृंखला में कुल 137 पर्वत चोटियों को विदेशी पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया है जिसमें 8,589 मीटर ऊंची कंजनजंगा भी शामिल है। फिलहाल इन चोटियों पर चढ़ाई करने के लिए विदेशी पर्यटकों को सरकार से अनुमति लेनी होती है। हालांकि गृह मंत्रालय के इस कदम के बाद विदेशी पर्यटक सीधे इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के पास आवेदन कर इसकी अनुमति ले सकेंगे।l