‘बड़ा पाक-परस्ती दिखा रहा था’ कश्मीर मुद्दे पर UNSC ने पाक के साथ-साथ चीन को भी तमाचा जड़ा है

ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और रूस का कहना है कि यह मुद्दा UN का नहीं बल्कि द्विपक्षीय है और दोनों देशों को मिलकर सुलझाना चाहिए।

पाकिस्तान को एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुंह की खानी पड़ी है। भारत को बदनाम करने की कोशिश में वह एक बार फिर नाकाम रहा है। पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर साजिश रची तथा कश्मीर मुद्दे का अंतराष्ट्रीयकरण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मौजूदा अध्यक्ष पोलैंड से बंद कमरे में बैठक बुलाने का आह्वान किया। ऐसा पहली बार हो रहा था कि संयुक्त राष्ट्र को किसी मुद्दे को बंद दरवाजे के पीछे बैठक करनी पड़ रही थी लेकिन पाकिस्तान को यहाँ भी मात ही मिली।

दरअसल शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में अनौपचारिक बैठक हुई। बैठक में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और इससे जुड़े अन्य मसलों पर सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों और दस अस्थायी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक, स्थायी सदस्यों में से चीन को छोड़ कर सभी देशों ने भारत का साथ दिया और दस अस्थाई देशों में से आठ द्वारा भी भारत का समर्थन करने का अनुमान है। इस बैठक में यह तय हुआ कि कश्मीर मुद्दे पर यूएन में कोई औपचारिक चर्चा नहीं की जाएगी, इसके साथ ही यूएनएससी ने कोई आधिकारिक बयान भी नहीं दिया।

बता दें कि सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक में विषय पर सामान्य चर्चा होती है और इनमें सदस्य देश विचार रखने से ज्यादा ताजा जमीनी हालात के बारे में जानकारी लेते हैं। इसमें न कोई संकल्प लिया जा सकता है और न ही मतदान होता है।यह भारत के लिए फिर से कूटनीतिक जीत है क्योंकि पाकिस्तान को इस मुद्दे को औपचारिक बनाने के लिए कम से कम 9 देशों का समर्थन जरूरी था और वह इसमें असफल रहा। बैठक से ठीक पहले पाकिस्तान को दो करारे झटके भी लगे । पहला तो यह कि UNSC ने बैठक में पाकिस्तान को शामिल करने की मांग ठुकरा दी। पाकिस्तान न तो संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है ना ही अस्थायी। और दूसरा यह कि चीन के अलावा किसी और स्थायी सदस्य देश ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया।

ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और रूस का कहना है कि यह मुद्दा UN का नहीं बल्कि द्विपक्षीय है और दोनों देशों को मिलकर सुलझाना चाहिए। बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे रूस के उप स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलयांस्की ने स्पष्ट कहा, ‘जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है। बैठक केवल इसलिए आयोजित हुई है कि सदस्य समझ लें कि भारत में नया क्या हुआ है।’उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर पर रूस की नीति बिल्कुल स्पष्ट है। यह मसला भारत और पाकिस्तान को ही निपटाना है। रूस अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा।”बैठक के बाद चीन ने ऐसा बयान दिया ताकि पाकिस्तान भी खुश हो जाए और भारत नाराज न हो। बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के प्रतिनिधि झांग जुन ने भारत और पाकिस्तान से अपने मतभेद शांतिपूर्वक सुलझाने और ‘‘एक दूसरे को नुकसान पहुंचा कर फायदा उठाने की सोच त्यागने’’ की अपील की। इस पर पाकिस्तान कुछ ज्यादा ही खुश दिखा और अब वह यह प्रोपेगैंडा फैला रहा है कि UNSC की बैठक में भारत की नहीं बल्कि पाकिस्तान की जीत हुई है।

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हालांकि पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए कि उसे पी5 देशों में से सिर्फ चीन का साथ मिला, जिसने दोनों देशों को एकतरफा कार्रवाई से बचने की अपील की। यह कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि चीन पहले भी कई मौकों पर पाकिस्तान का साथ देता आया है। यह चीन की मजबूरी भी कहा जा सकता है क्योंकि पाकिस्तान में चीन करोड़ों का निवेश कर चुका है। दुनिया की तमाम महाशक्तियां कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए दोनों पक्षों से इसे आपस में सुलझाने की सलाह दे रही हैं। पाकिस्तान और चीन को UNSC में करारी हार मिलने के बाद इन्हें भारत की कूटनीतिक शक्ति का अहसास तो हो ही गया होगा।

पाकिस्तान को भी यह समझ लेना चाहिए कि वह अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीर के लोगों के अधिकारों का हनन करके और सैन्य शक्ति के दम पर गिलगित बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान में जारी आज़ादी के आंदोलनों को कुचलकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र पर बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकता। पूरी दुनिया इस बात को समझ चुकी है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और भारत ने कश्मीर को लेकर जो कोई भी फैसला लिया है, वह भारत संविधान के तहत ही लिया है, लेकिन पाकिस्तान को इतनी सी बात समझ नहीं आ रही है, जिसके चलते वह आए दिन दुनिया में अपनी फजीहत करवाता फिर रहा है, और अब की बार तो पाकिस्तान ने अपने साथ-साथ चीन की नाक भी कटवाई है।

 

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