पहले दीया जलाने से मना किया और अब टिकट विवाद, CM रेड्डी का हिंदू विरोध सिर चढ़कर बोल रहा है

जगन मोहन रेड्डी

PC: cinejosh

इसी वर्ष अप्रैल में रिकॉर्ड तोड़ बहुमत के साथ सत्ता में आने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी लगातार विवादों में घिरते जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से उनसे संबन्धित ऐसी खबरें रही हैं जिसके बाद अब उनके उपर भाजपा सहित अन्य लोग भी हिन्दूविरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं।

दरअसल, इसी महीने 21 तारीख को जहां अमेरिका के दौरे पर गए जगन मोहन रेड्डी ने एक कार्यक्रम में दीप जलाने से साफ इंकार कर दिया, तो वहीं अब यह भी खबर रही है कि तिरुमाला में मंदिर दर्शन के लिए जा रहे श्रद्धालुओं को जो आंध्र प्रदेश के सरकारी परिवहन विभाग द्वारा जो टिकट दी गई थी, उन टिकटों के पीछे हज और यरूशलम जैसे गैरहिन्दू तीर्थस्थलों से संबन्धित विज्ञापन दिये हुए थे।

इसके बाद अब आंध्र प्रदेश सरकार विवादों में घिर गई है। आननफानन में मंत्री को यह बयान तक देना पड़ गया कि दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी। भाजपा आंध्र प्रदेश सरकार पर इसको लेकर हमलावर है और ये भी सवाल पूछे जा रहे हैं कि चुनावों से पहले जगन मोहन रेड्डी काटैम्पल टूरिज़्मक्या सिर्फ पॉलिटिकल स्टंट था?

दरअसल, विवाद तब शुरू हुआ जब अमेरिका के दौरे पर गए आंध्र प्रदेश के सीएम ने एक कार्यक्रम में दीप प्रज्जवलित करने से इंकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने औपचारिक ढंग से इलेक्ट्रिक लाइट का इस्तेमाल किया। हाल ही में खड़ा हुआ यह विवाद हल भी नहीं हुआ था कि आंध्र प्रदेश सरकार से जुड़ा नया विवाद सुर्खियां बटोरने लगा। राज्य के परिवहन विभाग द्वारा हिन्दू श्रद्धालुओं को जो टिकट दिया गया, उसके पीछे हज यात्रा और यरूशलम यात्रा के विज्ञापन थे। इसके बाद हंगामा खड़ा हुआ तो स्थानीय प्रबन्धकों ने बहाना बनाया कि ये टिकट वहां गलती से गए, मंत्री ने भी दावा किया कि आस्था से जुड़े मामले में किसी प्रकार का एजेंडा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, हालांकि सिर्फ तीन दिनों के अंदरअंदर लगातार दो बार ऐसी खबरों का आना किसी और बात की तरफ ही इशारा करता है। भाजपा का आरोप है कि जगन मोहन रेड्डी एक ईसाई धर्म को मानने वाले इंसान हैं और इसी लिए वे हिन्दू धर्म को अपमानित कर रहे हैं।

आरोप जायज़ भी है। ये वही जहां मोहन रेड्डी हैं जो चुनावों से पहले मंदिरों का भ्रमण कर रहे थे ताकि राज्य के 88 प्रतिशत हिंदुओं को लुभाया जा सके, और वो इसमें सफल भी हुए। उनको राज्य की 175 विधानसभा सीटों में से 151 पर जीत हासिल हुई। हालांकि, जिस प्रकार सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद उन्होंने हिन्दओं की भावना को ठेस पहुंचाने का काम किया है, वह बेहद निंदनीय है। वे आज सत्ता पर काबिज सिर्फ इसलिए ही हैं क्योंकि उनको राज्य के हिन्दू वोटर्स ने खुलकर समर्थन दिया है। वे एक युवा नेता हैं और उनके पास बहुत ज़्यादा राजनीतिक अवसर हैं। ऐसे में उनको हिन्दूविरोधी राजनीति को आगे बढ़ाकर अपने फलतेफूलते राजनीतिक करियर को चौपट करने वाले कदम नहीं उठाने चाहिए और हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाली राजनीति का अनुसरण करना जल्द से जल्द छोड़ देना चाहिए।

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