जयशंकर ने यूके और कनाडा से पूछा, इंडियन प्रेस फ्रीडम पर बेबुनियाद टिप्पणी करने की अनुमति कैसे दी ?

एस जयशंकर मीडिया

PC: AP

बीते दिनों यूके और कनाडा ने लंदन में ‘ग्लोबल कॉन्फ्रेंस फॉर मीडिया फ्रीडम’ का आयोजन किया था जहां कई देशों के लोगों ने अपने-अपने देश में प्रेस की आज़ादी को लेकर अपनी बात रखी थी। हालांकि, कुछ एजेंडावादी लोगों ने यहां भी अपना भारत-विरोधी एजेंडा चलाने की कोशिश की थी और भारत में प्रेस की आज़ादी के कथित हनन को लेकर राग अलापा था। इस पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूके और कनाडा से इस मामले को लेकर सवाल पूछे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार ने भारत में मौजूद कनाडा और यूके के राजदूतों से अपनी चिंता व्यक्त की है।

दरअसल, पिछले महीने 10 और 11 जून को लंदन में ‘ग्लोबल कॉन्फ्रेंस फॉर मीडिया फ़्रीडम’ का आयोजन किया था और वहां कारवां मैगजीन के एडिटर विनोद के जोस ने भारत में मीडिया की आज़ादी को लेकर कई विवादास्पद दावे किए थे। बता दें कि ये वही कारवां मैगजीन है जो खुलकर भारत विरोधी लेख छापती आई है और कश्मीरी अलगाववादियों और नक्सलियों के एजेंडे को बढ़ावा देती रही है। विनोद के जोस ने भारत के खिलाफ जहर उगलने के साथ-साथ यूके और कनाडा की सरकार से भारत में मीडिया की आज़ादी के कथित हनन पर संज्ञान लेने लिए एक पत्र भी लिखा था।

अब इस मामले को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी तरफ से कड़ी आपत्ति जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन देशों के राजदूतों से कहा है ‘यूके और कनाडा की सरकारों ने भारत के खिलाफ निराधार आरोपों को मढ़ने का मंच प्रदान किया है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता’।

हालांकि, इस आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे भारतीय प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य और प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्यप्रकाश ने होज़े के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा ‘भारत में मौजूद नेताओं और सभी राजनीतिक पार्टियों के लोगों ने भारतीय मीडिया की आज़ादी और लोकतन्त्र के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। उनके लिए भारत एक सफल लोकतन्त्रिक देश है। आप सभी को भारत में मीडिया की भिन्नता को देखना चाहिए’।

बता दें कि लंदन में भारत के खिलाफ एजेंडा चलाने वाले विनोद के जोस वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफ़जल गुरु और अलगाववादी नेता जैसे सैयद अली शाह गिलानी के समर्थन में अपनी आवाज़ उठाते रहे हैं। इस संबंध में नई दिल्ली की क्राइम ब्रांच भी उनसे पूछताछ कर चुकी है। इतना ही नहीं, उन्होंने आतंकी अफ़जल गुरू को फांसी दिए जाने का भी विरोध किया था। उन्होंने लिखा था ‘मैं नहीं चाहता कि किसी भारतीय को मौत की सज़ा मिले’।

विनोद के जोस एक तरफ तो गिलानी जैसे अलगाववादी नेताओं का समर्थन करते हैं, दूसरी तरफ तो विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों को कट्टरपंथी संगठन कहते हैं। उनका भारत और हिन्दू विरोधी एजेंडा कोई नया नहीं है, और लंदन में भी उन्होंने अपनी इसी सोच का प्रदर्शन किया है। यूके और कनाडा, दोनों देशों के साथ ही भारत के रिश्ते अच्छे रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में कुछ घटनाओं ने इन देशों के साथ भारत के रिश्तों में तनाव पैदा करने का काम किया है। एक मजबूत अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत के साथ हर देश अपने रिश्ते मजबूत करना चाहता है, ऐसे में यूके और कनाडा को भी भारत के हितों को ध्यान में रखकर अपने-अपने देशो में भारत विरोधी गतिविधियों पर काबू रखने की आवश्यकता है।

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