जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक फैसले से पहले सरकार की तैयारियों पर एक नजर

कश्मीर पंजाब

PC: theweek.in

आज  सुबह ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को पूर्ण रूप से हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया। इसके साथ ही साथ लद्दाख क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने का भी प्रस्ताव सदन में पेश किया गया। इतना ही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में जम्मू एवं कश्मीर को राज्य के बजाए दिल्ली की भांति एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव भी सदन में पेश किया गया।

इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जितनी प्रशंसा की जाये कम है, परंतु यह निर्णय एक ही रात में नहीं लिया गया। इसके पीछे तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू हो चुकी थीं। 28 जुलाई को कश्मीर में अहम बदलाव के संकेत पहले ही मिल चुके थे, जब केंद्र सरकार ने मौजूदा सुरक्षाबलों सहित 10,000 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को कश्मीर घाटी में तैनात होने की स्वीकृति दे दी थी।

इसके पश्चात ही पाकिस्तानी बारूदी सुरंग और शस्त्र बरामद होने पर जब सरकार ने अमरनाथ यात्रियों को सुरक्षा एडवाइजरी जारी करते हुए उन्हें यात्रा से लौटने के निर्देश दिए थे, इसके बाद देशवासियों का ध्यान कश्मीर में हो रहे व्यापक बदलावों की ओर आकर्षित हुआ। हालांकि, कश्मीर में व्यापक बदलाव की अनाधिकारिक पुष्टि उसी समय हो गयी, जब अमरनाथ यात्रियों के साथ-साथ घाटी में स्थित एनआईटी श्रीनगर सहित कई अहम शिक्षण संस्थानों के गैर स्थानीय विद्यार्थियों को एक लंबे अवकाश पर जाने का निर्देश दिया था।

इसके साथ ही साथ 25,000 अतिरिक्त सुरक्षाबलों को केंद्र सरकार ने तुरंत घाटी में तैनात कराया। इसी परिप्रेक्ष्य में रविवार को राज्य में धारा 144 को लागू किया गया, जिसके अंतर्गत कई अहम नेता, जैसे महबूबा मुफ़्ती और उमर अब्दुल्लाह को नज़रबंद कर दिया गया, और अब अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव देकर अमित शाह ने सिद्ध कर दिया है कि भाजपा का ध्यान कभी भी अपने प्राथमिक लक्ष्य से विमुख नहीं हुआ था।

2016 में बुरहान वानी को मार गिराने के पश्चात हुई हिंसा से ही केंद्र सरकार समझ चुकी था कि बिना प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव किए अनुच्छेद 370 को हटाना कोई आसान कार्य नहीं होगा। शायद 2018 में कठुआ कांड के बाद जब भाजपा ने महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी सरकार से हाथ खींचा था, तभी कश्मीर में व्यापक बदलाव की नींव पड़ चुकी थी।

निर्णय की गोपनियता बनाए रखना हो, और राज्य में किसी प्रकार की हिंसक गतिविधियों का न होने देना बड़ा ही कठिन कार्य था, परंतु जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने धारा 370 को हटाने के लिए जो पृष्ठभूमि तैयार की, वो अपने आप में बेहद प्रशंसनीय है। ये सराहनीय है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने वर्षों से जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग रखने वाले अनुच्छेद 370 को आखिरकार हटाने की घोषणा की।

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