आखिरकार डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की इच्छा हो गयी पूरी

श्यामा प्रसाद मुखर्जी अनुच्छेद 370

PC : Zee News

‘जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है’ यह नारा अब वास्तव में बदल चुका है, क्योंकि सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में की गई घोषणा के अनुसार अनुच्छेद 370 के उन सभी प्रावधानों को निष्क्रिय कर दिया गया है जो जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देते थे।

राज्यसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह ने घोषणा करते हुए कहा की राष्ट्रपति की सहमति से धारा 370 के अंतर्गत आने वाले वे सभी प्रावधान अब पूरी तरह निष्क्रिय हो जाएंगे, जो वर्षों तक कश्मीर को विशेषाधिकार दे रहे थे और जिसके कारण देश की राजनीतिक स्थिति में काफी उठापटक व्याप्त थी।

इस निर्णय से न केवल अमित शाह बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एक ऐसे नेता को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है जिन्होंने एक बिखरे हुए राज्य को भारत से मिलाने में अपना सर्वस्व योगदान दिया था। हम बात कर रहे हैं भारतीय जनसंघ के संस्थापक और प्रखर राष्ट्रवादी नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की, जिन्होंने कश्मीर के विशेषाधिकार के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने ट्वीट किया –

“कितना गौरवशाली दिन है आज। आखिरकार जम्मू और कश्मीर को भारत में मिलाने के लिए डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित जिन हजारों लोगों ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे, उनके बलिदान को आज उचित सम्मान मिला है। देश की सात दशक पुरानी मांग को आज हमारी आँखों के सामने पूरा किया गया है। क्या इसकी कभी किसी ने कल्पना की थी?”

बता दें कि अनुच्छेद 370 भारत और कश्मीर के संबंधों की व्याख्या करता था। जब इस अनुच्छेद को संविधान सभा में रखा गया तब नेहरू अमेरिका में थे, लेकिन इस फार्मूले के मसौदे पर उन्होंने पहले ही सहमति दे दी थी। हालांकि सरदार पटेल के कुछ पत्र बताते हैं कि इस संबंध में उनसे कोई परामर्श नहीं किया गया था और इसे लेकर उनकी सहमति भी नहीं थी। ऐसे में केवल एक राजनेता की मनमानी का दुष्परिणाम पूरा देश कई दशकों से भुगत रहा था। नेहरू की गैर-मौजूदगी में सरदार पटेल ने अपने मत को किनारे रखते हुए नेहरू की बात को रखा और खुद संविधान सभा को अनुच्छेद 370 पर सहमति के लिए मनाया। इसके पीछे उनका मकसद था कि नेहरू की प्रतिष्ठा को कोई ठेस न पहुंचे। हालांकि, वे खुद अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे। उन्होंने एक समय अपने निजी सचिव वी शंकर से कहा था कि ‘जवाहर लाल रोएगा’।

ऐसे वक्त में केवल डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही वो व्यक्ति थे, जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू के इस पक्षपाती फैसलेे का विरोध किया था। वे तत्कालीन केन्द्रीय सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के तौर पर कार्यरत थे। अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के मुखर विरोधी होने के नाते श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नेहरू की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाक़त अली खान के साथ की गयी दिल्ली पैक्ट के कुछ विवादित नीतियों पर असहमति जताई, जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ ही महीनों बाद 21 अक्टूबर 1951 को आरएसएस के नेता एमएस गोलवलकर के सानिध्य में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में हमारे सामने है।  

बता दें 1950 दौर में जम्मू एवं कश्मीर राज्य में प्रवेश करने के लिए भारतीयों को एक परमिट लेनी पड़ती थी। यह जम्मू कश्मीर को दिए गए कई विशेषाधिकारों में से एक था, जिसके खिलाफ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी आवाज़ बुलंद की दी। उनके अनुसार, ‘एक देश में दो निशान, दो प्रधान और दो विधान नहीं हो सकते। परमिट सिस्टम के विरोध में डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर यात्रा की घोषणा की।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर यात्रा पर गए और उन्हें 11 मई 1953 को कश्मीर के लखेनपुर में अवैध तरह से प्रवेश करने के अपराध में हिरासत में लिया गया और संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी 23 जून 1953 को मृत्यु हो गयी। कई लोगों का मानना है कि मुखर्जी की मृत्यु के पीछे जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्लाह का हाथ था, क्योंकि देश के कई नेताओं के लाख अनुरोध करने के बावजूद भी श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पार्थिव शरीर का पोस्टमोर्टम नहीं कराया गया, मृत्यु के बाद कोई भी जांच कमेटी नहीं बनाई गई। हालांकि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान का एक सकारात्मक पहलू ये भी था कि उनकी मृत्यु के कारण केंद्र सरकार को विवश होकर विवादित परमिट सिस्टम को उसी साल हटाना पड़ा।

इसके बावजूद श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों को न भारतीय जनसंघ भूल पायी और न ही उनके आदर्शों पर चलने वाले अनेक देशभक्त। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असामयिक निधन के पूरे 66 वर्ष बाद आखिरकार कश्मीर को भारत से जोड़ने के उनके अधूरे सपने को मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह ने पूरा किया। अनुच्छेद 370 के अनुचित प्रावधानों को हटाकर भाजपा ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और उनके आदर्शों को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है और स्वयं राम माधव के ट्वीट के अनुसार, भाजपा का देश से किया गया एक वादा अब पूरा हुआ।

Exit mobile version