अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का समर्थन कर सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए ठोका दावा

ज्योतिरादित्य सिंधिया

PC: newsdeskindia

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इन दिनों अपने बिखराव के कारण चर्चा में है। जबसे राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है तबसे यह पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ रही है। आज स्थिति यह है कि किसी भी मुद्दे पर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता एक मत नहीं हो पा रहे है। जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने की घोषणा की तो इस मुद्दे पर हमें कांग्रेस बनाम कांग्रेस की लड़ाई देखने को मिली।

देश की सबसे पुरानी पार्टी के शीर्ष नेता ही आपस में आम सहमति नहीं बना पा रहे हैं। एक तरफ कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम, कपिल सिब्बल, ग़ुलाम नबी आज़ाद और अधीर रंजन चौधरी इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, दीपेंद्र हुड्डा,जनार्दन द्विवेदी जैसी नेता केंद्र सरकार की पक्ष में दिखे। या यूं कहें पार्टी का एक हिस्सा पाक परस्त नजर आ रहा है तो दूसरा हिस्सा राष्ट्रहित को महत्व देते हुए केंद्र सरकार के फैसले के पक्ष में नजर आया।

अब कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी लाइन से हटकर अपने ट्विटर से इस बिल पर अपनी सहमति जताते हुए कहा है कि, ‘मैं भारत में जम्मू कश्मीर और लद्दाख के पूर्ण विलय के लिए उठाए गए कदम का समर्थन करता हूं। बेहतर होता अगर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किया गया होता। यह देश के हित में है और मैं इसका समर्थन करता हूं।‘

https://twitter.com/JM_Scindia/status/1158735417702678528?s=20

कांग्रेस पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे बड़े कद के नेता द्वारा इस प्रकार से पार्टी लाइन से हटकर बयान देना ही कांग्रेस में नेतृत्व संकट को दर्शाता है। उन्होंने इस बयान से बताया कि वह गांधी परिवार की छत्रछाया से दूर और लोगों का हित देख कर इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दिया कि नेतृत्वविहीन कांग्रेस जो अपने देश विरोधी और समाज विरोधी फैसलों के कारण अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, अब उसे नए नेतृत्व की जरूरत है जो देश के लोगों की नब्ज पकड़ सके। ऐसा लगता है कि उस नेतृत्व की जरूरत को पूरा करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया अब खुद आगे आ गए हैं और पार्टी लाइन से हटकर लोगों के हितों को महत्व दे रहे है। मानों वो ऐसा करके खुद को पार्टी के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। इस ट्वीट के जरिये उन्होंने आम लोगों के दिल में जगह तो बनाई ही साथ ही एक ऐसे नेता की छवि पेश की है, जो एक अलग विचारधारा वाली पार्टी में होने के बावजूद राष्ट्र के साथ खड़ा है।   

ऐसा नहीं है कि वह अध्यक्ष पद के लिए विकल्प नहीं थे लेकिन गांधी परिवार की वफादारी करने वाले लोगों ने कभी गांधी परिवार से हटकर किसी और के बारे में सोचा ही नहीं। राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से ही अशोक गहलोत, मोतीलाल वोरा जैसे कई नेताओं के नाम सामने आये जिन्हें पार्टी के अध्यक्ष पद का दावेदार बताया जा रहा था, लेकिन अभी तक कांग्रेस की कांग्रेस कार्य समिति (सीडबल्यूसी) ने कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की है। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने एक नए और युवा नेता को अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त बताया था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी किसी युवा नेता को ही अध्यक्ष बनाने की वकालत की थी। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया का अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में यह बयान आम जनता को अपने समर्थन में करने का और फिर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दावे के रूप में भी देखा जा सकता है। अब वो अपने इन प्रयासों में कितने सफल होते हैं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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