महाराष्ट्र में NDA जीतने जा रहा है इतनी सीटें

मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक एनडीए को राज्य की 200 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

(PC: Firstpost.com)

लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने के बाद अब भाजपा का फोकस इस साल के अंत तक होने वाले अलग-अलग राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने पर है। इस साल के अंत तक हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, और भाजपा हरियाणा से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर भी चुकी है। महाराष्ट्र की बात करें, तो भाजपा पहले ही शिवसेना के साथ 50-50 सीट शेयरिंग फोर्मूले पर सहमति जता चुकी है, यानि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भाजपा और शिवसेना समान संख्या की सीटों पर चुनाव लड़ेंगी और कुछ सीटें अन्य साथी दलों के लिए छोड़ी जाएंगी।

पिछले पांच सालों में मुख्यमंत्री फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के विकास के लिए जी-तोड़ मेहनत की है और यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनावों में राज्य में एनडीए की स्थिति बेहद मजबूत दिखाई दे रही है। केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की फडणवीस सरकार ने पिछले कुछ समय के दौरान जो साहसिक फैसले लिए हैं, उसी की बदौलत अब एनडीए राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 200 से ज़्यादा सीटों पर जीत हासिल करने का दमखम रखती नज़र आ रही है।

महाराष्ट्र लंबे समय से सूखे से पीड़ित राज्य रहा है और देश में सबसे सूखे राज्यों में से एक है। पिछली सरकारों ने सूखे की समस्या को हल करने का वादा तो किया था लेकिन उनमें से किसी ने भी इस दिशा में काम नहीं किया। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा शुरू किए गए जलयुक्त शिवार अभियान ने विदर्भ और मराठवाड़ा के सूखे-प्रभावित इलाकों के किसानों को काफी राहत पहुंचायी है।

देवेन्द्र फडणवीस ने वर्ष 2015 में गणतन्त्र दिवस के मौके पर राज्य में जलयुक्त शिवार अभियान की शुरुआत की थी, जिसका मकसद साल 2019 तक राज्य को सूखा रहित बनाना था। अब चार वर्षों बाद इस अभियान ने जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना भी शुरू कर दिया है। उदाहरण के तौर पर पिछले वर्ष गर्मी के मौसम के चार महीनों में 12000 गांवों को पानी के लिए सिर्फ 152 टैंकरों की आवश्यकता पड़ी थी। आश्चर्य की बात यह है कि पहले यह सभी गांव पूरी तरह से टैंकर के पानी पर ही निर्भर रहते थे।

जहां वर्ष 2011 में 379 टैंकरों की आवश्यकता पड़ती थी वहीं 2017 में ये संख्या 366 हो गई थी, और वर्ष 2018 आते-आते इस संख्या में बड़ी कमी देखने को मिली। जल संरक्षण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, “कुल 16521 गांवों में जलयुक्त शिवार का काम शुरू किया गया, और इन गांवों में कुल परियोजना की लागत 4.98 लाख की थीं।” संरक्षण योजना पर खर्च किया गया पैसा सरकार के अलावा लोगों से भी लिया गया है। पिछले तीन वर्षों से परियोजना में सार्वजनिक योगदान 630.62 करोड़ रुपये का था। यानि फड़णवीस सरकार ने राज्य को सबसे बड़ी मुसीबत से राहत दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई और आने वाले सालों में इस दिशा में और काम होने की आशा है।

इसके अलावा राज्य के बड़े शहरों से पानी की समस्या को खत्म करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2017 में ही तापी-नर्मदा और दमनगंगा व पिंजाल नदी जोड़ो योजना पर भी काम शुरू कर दिया था। सरकार का दावा है कि दमनगंगा और पिंजाल नदी जोड़ो योजना, सिंचाई की समस्या के साथ-साथ मुंबई जैसे शहर को पीने के पानी की समस्या से वर्ष 2070 तक निजात दिलाने में मददगार साबित होगी। इस योजना को 7 साल के अंदर पूरा किया जाना है।

पानी की समस्या ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र सरकार के सामने राज्य की कानून व्यवस्था के संबंध में भी कई चुनौतियाँ पेश आई थी लेकिन फडणवीस सरकार ने बेहद शानदार तरीके से उनका सामना किया। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में मराठा आरक्षण आंदोलन, भीमा कोरेगांव हिंसा और साथी दल शिवसेना की नाराजगी जैसी कई बड़ी मुश्किलें सामने आई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस सभी मुश्किलों को अपने कौशल से सफलतापूर्वक हल किया।

मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की सबसे अच्छी बात यह है कि वे प्रतिकूल स्थिति में भी बातचीत को जारी रखने में विश्वास रखते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमें मराठा आरक्षण आंदोलन के समय देखने को मिला जब महाराष्ट्र सरकार ने शांतिपूर्ण ढंग से सभी प्रदर्शनकारियों को यह यकीन दिलाया कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। फडणवीस ने अपनी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने बिना कोई लाठीचार्ज करवाए, या बिना किसी बल का प्रयोग किए लोगों को शांत करवाया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस देश के सबसे कम उम्र के राजनेताओं में से एक हैं और युवा भारत की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसीलिए वे अपने राज्य के लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए तकनीक का सहारा लेने से पीछे नहीं हटते हैं। फडणवीस सरकार ने इसी वर्ष जुलाई में मुंबई और पुणे के बीच परिवहन के लिए हाइपरलूप परिवहन परियोजना को हरी झंडी दिखाई थी। यह दुनिया में पहली बार है, जब किसी सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए स्वीकृति दी थी। हाइपरलूप तैयार होने के बाद मुंबई-पुणे का सफर महज 35 मिनट में तय हो सकेगा। अभी सड़कमार्ग से यह दूरी साढ़े तीन घंटे में पूरी होती है।

देवेन्द्र फडणवीस एक जमीन से जुड़े नेता हैं और पिछले पांच सालों में उन्होंने महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्य का बखूबी नेतृत्व किया है। उन्हीं के मजबूत नेतृत्व का नतीजा है कि आज एनडीए राज्य में बेहद मजबूत स्थिति में नज़र आ रही है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से भाजपा और शिवसेना को कुल मिलाकर 185 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस को सिर्फ 42 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक एनडीए को राज्य की 200 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

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