अय्यर जी! नहीं, कश्मीर फिलिस्तीन नहीं है, और हां, आपका GK बहुत बकवास है

फिलिस्तीन जम्मू-कश्मीर

PC: Jansatta

जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले को लेकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम के पाकिस्तानी राग अलापने के बाद कांग्रेस के एक और बड़बोले नेता का बयान आया है। अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि मोदी-शाह ने जम्मू-कश्मीर को फिलिस्तीन बना दिया है।

अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपे एक लेख में मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने हमारी उत्तरी सीमा पर जम्मू-कश्मीर को फिलिस्तीन बना दिया है। उन्होंने कहा ‘मोदी-शाह ने अपने गुरु बेंजामिन नेतन्याहू और मेनकेम बेग से काफी कुछ सीखा है। उन्होंने सीखा है कि कैसे कश्मीरियों की स्वतंत्रता, गरिमा और आत्मसम्मान को रौंदना है जैसे फिलिस्तीन में इजरायल ने रौंदा’।

ऐसा लगता है कि राहुल गांधी की शरण में जाने के बाद मणिशंकर अय्यर का विदेश सेवा का सारा ज्ञान राहुल गांधी के सामान्य ज्ञान के बराबर हो गया है। आईए देखते हैं कि कैसे कश्मीर की फिलिस्तीन से तुलना करना बिलकुल भी सही नहीं है…

यह तुलना बेतुकी है। किसी भी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या वैधानिक रूप से यह तुलना तथ्यों की अनभिज्ञता ही है। मणिशंकर के ही साथी और कांग्रेस नेता शशि थरूर भी यही मानते हैं, जो कि संयुक्त राष्ट्र में अंडर सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मैं कश्मीर पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाइयों को लेकर बहुत गंभीर हूं, लेकिन इसकी वेस्ट बैंक से बराबरी करना गलत है। संयुक्त राष्ट्र में, कश्मीर ‘कब्जे वाला क्षेत्र’ नहीं है बल्कि ‘विवादित क्षेत्र’ है और 1947 के बाद से भारत का हिस्सा है’।

कश्मीर सदियों से भारत का अभिन्न अंग रहा है। इसका वर्णन मत्स्य पुराण और कल्हण की राजतरंगिणी में भी मिलता है। इस्लामी आक्रमण के बाद से कश्मीर क्षेत्र का इस्लामीकरण शुरू हुआ जो 13वीं से 15वीं शताब्दी में अपने चरम पर था। कभी सनातन धर्म और बौद्ध धर्म का गढ़ रहने वाले जम्मू-कश्मीर की सत्ता में इस्लामी सुल्तान होने के वजह से इस क्षेत्र की डेमोग्राफी बदलना शुरू हुई थी।

वहीं दूसरी ओर फिलिस्तीनी जनता करीब एक दशक से व्यावहारिक तौर पर दो अलग राजनीतिक इलाकों में रह रही है- एक, फिलिस्तीनी नेशनल अथॉरिटी के शासन में वेस्ट बैंक (पश्चिमी तट) और दूसरा गाजा जिस पर इस्लामी फिलिस्तीनी पार्टी हमास का शासन है। जहां इजरायल और फिलिस्तीन स्थित हैं, वहाँ हजारों वर्षों से यहूदी धर्म के लोग बसे हुए थे उसके बाद वहां ईसाईयों ने आक्रमण करके कब्जा किया और फिर 1453 में उस्मानी आक्रमणकारियों ने ईसाईयों पर हमला करके इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। वर्ष 1922 से ये क्षेत्र ब्रिटिश हुकूमत के कब्जे में था। जुलाई 1922 में फिलिस्तीन पर ब्रिटिश मैनडेट के बाद फिलिस्तीन में बड़े पैमाने पर रिवर्स माइग्रेशन हुआ और बड़ी संख्या में विश्व भर से यहूदी आ कर रहने लगे। तब से वहां पर यहूदी बहुसंख्यक हैं।

दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर में पहले हिन्दू राजा, और फिर इस्लामी सुल्तान का शासन रहा। इसके बाद अगले 361 सालों तक घाटी पर गैर कश्मीरियों का शासन रहा जिसमें मुगल, अफगान, सिख, डोगरे आदि रहे। मुगल शासक औरंगजेब और उसके बाद के शासकों ने हिन्दुओं के साथ-साथ यहां शिया मुसलमानों पर दमनकारी नीति अपनाई जिसके चलते हजारों लोग मारे गए। इस वजह से मध्यकाल से ही कश्मीर की डेमोग्राफी बदलना शुरू हुई, और फिर कश्मीर में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक हो गए,  और आज तक घाटी में यही स्थिति बरकरार है। वर्ष 1990 के दशक में पाकिस्तान के ऑपरेशन टोपाक के जरिये वहाँ के हिंदुओं का कत्लेआम करके उन्हें खत्म करने की कोशिश की गयी।

इसलिए कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का फिलिस्तीन और कश्मीर की तुलना करना किसी बेवकूफी से कम नहीं। जम्मू-कश्मीर आदिकाल से ही भारत का अंग रहा है, और आगे भी रहेगा।

वहीं दूसरी ओर, फिलिस्तीन और इजराइल के बीच लड़ाई अपने-अपने समुदायों के अस्तित्व को लेकर थी। जहां इजराइल यहूदियों के लिए लड़ रहा था तो वहीं फिलिस्तीन मुस्लिमों के लिए लड़ रहा था।

एक तरफ जहां कश्मीर के लोगों के पास भारतीय नागरिकता है और वे खुद को भारत का हिस्सा मानते हैं तो वही गाज़ा के लोग खुद को इज़राइल का हिस्सा नहीं मानते हैं। एक तरफ जहां गाज़ा को कब्जे वाला क्षेत्र के रूप में जाना जाता है तो वहीं कश्मीर सदियों से भारत के मुकुट के रूप में जाना जाता रहा है।

मणिशंकर अय्यर अपने बेतुके बयान में यह भी कहा कि मोदी और शाह ने कश्मीरियों को जबरन भारत में मिलाकर ‘राइफल’ और ‘पैलेट गन’ के दम पर ‘विकास’ का वादा किया है। अय्यर का यह भी कहना है कि कश्मीरियों ने इस गुलामी से भरी समृद्धि को अस्वीकार कर दिया है।

हालांकि यह बिल्कुल ही गलत तथ्य है क्योंकि कश्मीर भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास पर कई उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में बेहतर है, जबकि वेस्ट बैंक या गाज़ा इजरायल के क्षेत्रों की तुलना में ‘बहुत गरीब’ है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कश्मीर के विकास के लिए केंद्र सरकार की जेब से पैसा आता रहा है। जम्मू-कश्मीर देश के सबसे ज्यादा वित पोषित राज्यों में से एक है, जहां राज्य के कुल राजस्व का 73.6 प्रतिशत पैसा  केंद्र सरकार से प्राप्त होता है, वहीं जम्मू-कश्मीर राज्य कुल राजस्व का केवल 26 प्रतिशत स्वयं उत्पन्न करता है। 24 जुलाई को ‘द हिंदू’ में टीसीए शरद राघवन ने अपने लेख में बताया है कि जम्मू और कश्मीर को देश का केवल 1% आबादी होने के बावजूद सभी केंद्रीय निधियों का 10% हिस्सा मिलता है।

इसलिए फिलिस्तीन और कश्मीर की तुलना मणिशंकर जैसे कथित बुद्धिजीवी लोग ही कर सकते हैं जो हर बार अपने बेतुके बयानों से कांग्रेस पार्टी को शर्मिंदा करते रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस के नेताओं को कश्मीरियों के हितों की नहीं, बल्कि अपने राजनीति की चिंता है। ऐसे नेताओं को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके बयानों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। मणिशंकर अय्यर, पी. चिदम्बरम और कांग्रेस के अन्य नेताओं को अपने देशविरोधी बयान के लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए, और उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला हिन्दू-मुस्लिम को देखकर नहीं, बल्कि देशहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

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