लगता है ज़ोमैटो को एक नया साथी मिल गया है। हाल ही में जाने माने रैस्टौरेंट चेन मैकडॉनल्ड्स ने एक ऐसा ट्वीट पोस्ट किया, जिससे कई लोग आहत हुए और फिर जल्द ही ट्विटर पर #BoycottMcDonalds नामक कैम्पेन ट्रेंड करने लगा।
https://twitter.com/mcdonaldsindia/status/1164584030647377920
दरअसल, ये विवाद तब शुरू हुआ जब हीबा ईल्यास नाम की एक ट्विटर यूजर ने मैकडॉनल्ड्स के रैस्टौरेंट में हलाल और झटका मांस से जुड़ा सवाल पूछा था। यूजर ने सवाल किया था कि ”क्या मैकडॉनल्ड्स भारत में हलाल सर्टिफाइड है?” इसके जवाब में मैकडॉनल्ड्स ने कहा, “मैकडॉनल्ड्स इंडिया से संपर्क करने के लिए धन्यवाद। हमारे रेस्तरां में उपयोग किये जाने वाले मांस उच्चतम गुणवत्ता के है और सरकार द्वारा अप्रूव्ड सप्लायर्स से खरीदे जाते हैं जो एचएसीसीपी प्रमाणित हैं।”
मैकडॉनल्ड्स ने अपने एक और ट्वीट में कहा, “हमारे सभी रेस्तरां हलाल सर्टिफाइड हैं। आप अपनी संतुष्टि और कंफर्मेशन के लिए संबंधित रेस्तरां मैनेजर को कह सकते हैं कि वो आपको प्रमाण पत्र दिखाए।”
चूंकि मैकडॉनल्ड्स ज़ोमैटो की तरह ही आवश्यकता न होने पर भी हलाल झटका मांस पर सफाई दे रहा है इसीलिए लोगों ने आहत होकर झटका सर्टिफाइड मांस की मांग की, और फिर इसके विरोध में ट्विटर पर #BoycottMcDonalds ट्रेंड करने लगा है।
#boycottmcdonalds In India though minorities are in less numbers still they receive Good recognition whereas non minorities get ignored…
So disgusting🤢— Prafulla Waychal (@PrafullaWaycha) August 23, 2019
https://twitter.com/SKS_Shivhare/status/1164807508264796160
https://twitter.com/rennie606/status/1164754007107100678
https://twitter.com/upasanatigress/status/1164735955682521089
Why are you forcing Halal meat on your Hindu and Sikh customers @McDonalds @mcdonaldsindia? #BoycottMcDonalds https://t.co/QOoJXnllzM
— Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) August 23, 2019
हालांकि, यह पहला ऐसा अवसर नहीं है जब किसी रैस्टौरेंट अथवा किसी फूड डिलिवरी एप को अपने पक्षपाती व्यवहार के लिए चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ा हो। जब एक ग्राहक ने ज़ोमैटो से आर्डर किया हुआ खाना स्वीकार करने से केवल इसलिए मना कर दिया था, क्योंकि डिलीवरी बॉय एक मुस्लिम था, तब ज़ोमैटो ने लंबा चौड़ा ज्ञान बांचते हुए ‘खाने का कोई धर्म नहीं होता’ नाम का एक बेतुका अभियान चलाया था।
हालांकि, जोमैटो का असली चेहरा जल्द ही उजागर भी हो गया जब हावड़ा में कई डिलीवरी बॉयज ने इसलिए हड़ताल पर जाने का फैसला किया क्योंकि ज़ोमैटो उन्हें उनके धर्म के विरुद्ध भोजन सर्व करने के लिए बाध्य कर रहा था। बात यहीं पर नहीं रुकी, हाल ही जोमैटो के साथ अनुबंध करने वाले कुछ रेस्टोरेंट कंपनियों ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए।
ऐसे में अब मैकडॉनल्ड्स का ये जवाब उसके लिए नई मुश्किल खड़ी कर सकता है क्योंकि इससे अन्य समुदाय के लोगों की भावना आहत हुई है। ये घटना मैकडॉनल्ड्स के लिए इसलिए भी शुभ संकेत नहीं है, क्योंकि एक एमएनसी के तौर पर मैकडॉनल्ड्स की बहुत पुरानी पहचान है। भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के बाद भारत में अपनी पैठ जमाने वाले एमएनसी फूड चेन्स में मैकडॉनल्ड्स अग्रणी फूड चेन कंपनी था। 1996 में कनौट प्लाज़ा रैस्टौरेंट्स के साथ संधि में अपनी पहली आउटलेट खोलने के पश्चात मैकडोनल्ड्स ने कई उतार चढ़ाव देखे, परंतु 21 वीं सदी के पहले दशक के खत्म होते होते भारत में स्थित सबसे प्रचलित फूड चेन्स में मैकडॉनल्ड्स भी शामिल हो गया। अभी पिछले वर्ष ही मैकडॉनल्ड्स ने अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट में लाभ दर्ज किया था। ऐसे में केवल एक समुदाय की तुष्टीकरण कर मैकडोनल्ड्स अपने भारतीय ग्राहकों को एक बेहद गलत संदेश भेज रहा है। अब मैकडॉनल्ड्स को जल्द ही इसपर अपनी सफाई देनी चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो ज़ोमैटो की तरह ही मैकडॉनल्ड्स को भी भारी संख्या में अपने ग्राहकों से हाथ धोना पड़ सकता है।