कश्मीर पर हर देश पाकिस्तान को तमाचा जड़ रहा है, पीएम मोदी यूं ही इन देशों का दौरा नहीं करते

PC: ndtv

जम्मू-कश्मीर राज्य से विशेष अधिकार छीनने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने के फैसले ने पाक की बेचैनी बढ़ा दी है। पाक अब अमेरिका, यूएन और चीन समेत अंतराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले पर हस्तक्षेप करने की गुहार लगा रहा है, लेकिन कोई भी उसके साथ खड़ा होने के लिए तैयार नहीं है। अमेरिका, श्रीलंका, यूएई और मालदीव जैसे देश पहले ही यह साफ कर चुके हैं कि कश्मीर मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है और भारत के पास उसके संबंध में सभी अधिकार सुरक्षित हैं। पाक कश्मीर मुद्दे पर दुनियाभर से अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व वाले भारत की शानदार कूटनीति का ही असर है कि कोई भी देश खुलकर ना तो पाकिस्तान के समर्थन में बोल रहा है, और ना ही भारत का विरोध कर पा रहा है।

यहां तक कि हमारे पड़ोसी देश के ऑल वैदर फ्रेंड माने जाने वाले चीन ने भी पाकिस्तान को किनारे कर दिया है। कश्मीर मुद्दे पर चीन का समर्थन हासिल करने की मंशा से बीजिंग पहुंचे पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी निराशा ही हाथ लगी। चीन ने साफ शब्दों में पाक को यह समझा दिया कि वह भारत और पाक को ‘पड़ोसी मित्र’ मानता है और वह चाहता है कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और शिमला समझौते के माध्यम से कश्मीर मुद्दे को सुलझाएं। चीन द्वारा शिमला समझौते का हवाला देना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। पाक अभी चीन के दिये इस जख्म से उभर भी नहीं पाया था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व वाले रूस ने पाक को तमाचा जड़कर रही सही कसर पूरी कर दी।

रूस के विदेश मंत्रालय ने कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘भारत ने जम्मू और कश्मीर को दो भागों में विभाजित और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला संविधान के अनुसार ही लिया है। हम जम्मू-कश्मीर राज्य पर दिल्ली द्वारा लिए गए फैसले पर भारत और पाक के बीच तनाव में वृद्धि नहीं होने देंगे’। बता दें कि इससे पहले पाक यह एजेंडा चला रहा था कि भारत सरकार ने संविधान का उल्लंघन करते हुए यह फैसला लिया है। यहां तक कि पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी संसद में खड़े होकर यह बयान दिया था कि भारत का फैसला गैर-कानूनी है। हालांकि, इस मामले पर पाकिस्तान को अब रूस ने आईना दिखाने का काम किया है।

रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों का भारत का समर्थन करना भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। हालांकि, ये सब पीएम मोदी के शानदार कूटनीतिक कौशल की वजह से ही मुमकिन हो पाया है। पीएम मोदी जब भी इन देशों की यात्रा पर जाते हैं तो इन नेताओं से निजी स्तर पर रिश्ते सुधारने की कोशिश करते हैं। इसके बाद निजी स्तर की दोस्ती के जरिये ही वे भारत के हित में अपनी नीतियों को आगे बढ़ाते हैं। पीएम मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बेहद करीबी दोस्त माने जाते हैं, अथवा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ भी उनकी दोस्ती मजबूत मानी जाती है। निजी स्तर पर दोस्ती के अलावा भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और बड़ा बाज़ार भी किसी देश को भारत के खिलाफ कुछ बोलने की हिम्मत नहीं देता। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया के सभी बड़े देशों के साथ अपने आर्थिक रिश्ते मजबूत करने में कामयाब हुआ है।   

पीएम मोदी के आलोचक बेशक उनकी विदेश यात्राओं को लेकर उनपर आरोप लगाते रहते हों, लेकिन उनकी सफल विदेश यात्राओं का ही नतीजा है कि आज भारत कूटनीतिक तौर पर बेहद शक्तिशाली हो पाया है। सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का पहला उद्देश्य दुनिया में भारत की छवि को सुधारना था। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2018 तक 52 देशों की यात्रा कर चुके थे, और इस दौरान कुल 165 दिनों तक वह विदेशों में रहे। स्पष्ट है कि इस दौरान उन्होंने देश के हितों को ही प्राथमिकता दी और उन देशों के साथ अपने कूटनीतिक रिश्तों को मजबूती प्रदान की। वहीं पाकिस्तान के मामले में ऐसा नहीं है, पाक के पास ना तो मजबूत अर्थव्यवस्था है, और ना ही उसके पास काबिल नेतृत्व। इतना ही नहीं, पीएम मोदी अपनी शानदार कूटनीति की बदौलत पाक को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने में भी सफल हुए हैं। अगर भारत की कूटनीतिक शक्ति इतनी मजबूत ना होती, तो आज भारत को अंतराष्ट्रीय दबाव का शिकार होना पड़ सकता था, लेकिन आज पाकिस्तान को हर जगह मुंह की खानी पड़ रही है, और इसका श्रेय पीएम मोदी को ही जाता है।

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