‘मोदी इमरान से घबरा गया’, कल भारतीय मीडिया ने बड़ी ही बेशर्मी से यही झूठ बेचने कोशिश की

साफ तौर पर भारतीय मीडिया ने कल यह दिखाने की कोशिश की, कि भारत के हताश और निराश पीएम मोदी ने व्याकुल होकर ट्रम्प से गुहार लगाई है।

जब से भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य से विशेषाधिकार छीना है और राज्य को दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया है, तभी से हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की साँसे फूली हुई हैं। पाकिस्तान पूरी दुनिया भर में कश्मीर मुद्दे को प्रकाशित करने की कोशिश में जुटा है लेकिन हर जगह से उसे निराशा ही हाथ लग रही है। ऐसे में कल रात अचानक से भारतीय मीडिया में यह खबर आना शुरू हुई कि पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को फोन किया है और उनसे इमरान खान के कश्मीर राग की शिकायत की है।

भारतीय मीडिया के एक वर्ग ने यह भी दावा किया कि पीएम मोदी ने क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए ट्रम्प के माध्यम से इमरान खान को विनती की है। साफ तौर पर भारतीय मीडिया ने कल यह दिखाने की कोशिश की, कि भारत के हताश और निराश पीएम मोदी ने व्याकुल होकर ट्रम्प से गुहार लगाई है कि वे इमरान खान से भारत विरोधी राग ना अलापने की विनती करें, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहां यह है कि क्या वाकई पीएम मोदी ने ट्रम्प को कॉल किया था या अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को फोन मिलाया था?

उदाहरण के तौर पर लाइवमिंट ने यह खबर चलाई कि पीएम मोदी ने ट्रम्प को कॉल किया है और उनसे इमरान खान के भारत विरोधी सुर की शिकायत की है। अब भू-राजनीति का थोड़ा बहुत ज्ञान रखने वाले लोग इस बात से बखूबी परिचित होंगे कि पीएम मोदी का ऐसे किसी आंतरिक मुद्दे पर ट्रम्प को फोन करना ना सिर्फ उनकी छवि के विपरीत है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचाता है।

पीएम मोदी दुनिया-भर में एक ऐसे नेता के तौर पर जाने जाते हैं जो सुनते सबकी हैं, लेकिन करते अपने मन की हैं। कश्मीर मुद्दे पर भारत ने जो पाकिस्तान के सपनों पर सर्जिकल स्ट्राइक की है, उसके बाद से अगर कोई असहाय दिख रहा है, तो वह है पाकिस्तान! लेकिन भारतीय मीडिया के एक वर्ग ने पीएम मोदी को लेकर अपना पाकिस्तानी एजेंडा आगे बढ़ाने की कोशिश की।

कुछ ही देर में यह स्पष्ट हो गया कि वह राष्ट्रपति ट्रम्प ही थे जिन्होंने पीएम मोदी को कॉल किया था, और लॉजिक भी इसी बात की ओर इशारा कर रहा था। दरअसल, पीएम मोदी से करीब आधे घंटे की बातचीत के बाद ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बात की थी, और उनको अपनी जुबान पर लगाम लगाने की नसीहत दी थी। अब ऐसा तो संभव नहीं हो सकता था कि जिस वक्त पीएम मोदी ने ट्रम्प से इमरान खान को लेकर बात की हो, ठीक उसी वक्त ट्रम्प ने भी इमरान खान को फोन करने का प्लान बनाया हो। भारतीय मीडिया ने यहां एक बार फिर बड़ी शिद्दत से भारत के पीएम को असहाय दिखाने के लिए अपना एजेंडा चला लेकिन हर बार की तरह यह एजेंडा भी पूरी तरह धराशायी हो गया, और कुछ ही देर में यह स्पष्ट हो गया कि वे राष्ट्रपति ट्रम्प ही थे जिन्होंने पीएम मोदी को फोन किया था।

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