पीएम मोदी 25 अगस्त को जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस के दौरे पर गए थे। उनका यह दौरा इसलिए ज़्यादा महत्वपूर्ण था क्योंकि अभी पाकिस्तान दुनियाभर में कश्मीर मुद्दे का अंतराष्ट्रीयकरण करने के लिए अपना एजेंडा चला रहा है। पीएम मोदी ने जी7 सम्मेलन के दौरान यूनाइटेड नेशंस के अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरेस के अलावा कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाक़ात की और कश्मीर पर भारत के रुख को साफ किया। पीएम मोदी ने यूएन के अध्यक्ष को भी आसान भाषा में यह समझा दिया कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है और यूएन को इसमें दख्ल देने का सोचना भी नहीं चाहिए।
जी7 सम्मेलन के दौरान ही पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भी मुलाक़ात हुई और इस मुलाक़ात ने दुनियाभर की मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। दोनों नेताओं की कैमिस्ट्रि देखने लायक थी। दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर हंस रहे थे और पीएम मोदी राष्ट्रपति ट्रम्प के सामने आत्मविश्वास से भरे नज़र आ रहे थे।
इस दौरान पीएम मोदी कश्मीर मामले पर भी बोले और उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को उतावले अमेरिका को दो टूक शब्दों में यह कह दिया कि आपको ज़्यादा कष्ट लेने की ज़रूरत नहीं है। मीडिया के एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान और भारत के बीच कई द्विपक्षीय मुद्दे हैं और कश्मीर मुद्दा भी उन्हीं में से एक है। आगे पीएम मोदी ने ट्रम्प को कडा संदेश देते हुए कहा कि यह मुद्दा हम दोनों देश मिलकर ही सुलझाएँगे और किसी तीसरे देश को कष्ट लेने की ज़रूरत नहीं है।
बता दें कि इससे पहले ट्रम्प दो बार कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की बात कह चुके थे। कश्मीर पर भारत के ऐतिहासिक फैसले से सिर्फ कुछ दिनों पहले ही इमरान खान अमेरिका के दौरे पर गए थे और वहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके बीच कश्मीर मुद्दे पर बात हुई थी। तब ट्रम्प ने एक खोखला दावा करते हुए कहा था कि पीएम मोदी ने उन्हें कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने का अनुरोध किया है। ट्रम्प के इस बयान के बाद पाकिस्तान में जश्न मनाया गया था।
इसके बाद भी ट्रम्प के होश ठिकाने नहीं आए थे और मीडिया से बातचीत में उन्होंने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर अपनी मध्यस्थता की इच्छा जाहिर की थी, हालांकि पीएम मोदी ने अब उनसे मुलाक़ात के दौरान ही भारत का रुख साफ कर दिया और ‘किन्तु’ ‘परंतु’ की गुंजाइश ही नहीं छोड़ी, जिसके बाद ट्रम्प को भी कहना पड़ा कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा ही है।
पीएम मोदी ने जी7 के मंच से जहां एक तरफ पश्चिमी दुनिया को कश्मीर मामले में अपनी टांग ना अड़ाने का कडा संदेश दिया, तो वहीं पाकिस्तान को भी यह समझा दिया कि अब उसे कश्मीर मामले पर किसी देश से कैसी भी मदद की कोई आशा नहीं रखनी चाहिए। सभी देश भारत के रुख का समर्थन कर रहे हैं और पाकिस्तान के साथ कोई भी नहीं खड़ा है। अब पाकिस्तान के लिए यही अच्छा रहेगा कि वह कश्मीर मुद्दे पर दुनियाभर के देशों से मदद की भीख मांगने की बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने की तरफ ध्यान दें क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी की शानदार कूटनीति ने पाकिस्तान के लिए राहत का कोई भी दरवाजा खुला नहीं छोड़ा है।