कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की जद्दोजहद कर रहे पाकिस्तान को अब तक हर जगह से निराशा ही हाथ लगी है। एक तरफ जहां रूस, अमेरिका, फ्रांस और यूएई जैसे देशों ने पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाई, वहीं चीन की मदद से कश्मीर मुद्दे पर बुलाई गई एक अनौपचारिक बैठक में भी सभी देशों ने पाकिस्तान के पक्ष की धज्जियां उड़ा दी। बात यही खत्म नहीं होती, किसी देश द्वारा पाकिस्तान का समर्थन ना किए जाने से यह देश इतना बौखला चुका है कि अब खुद ही दूसरे देशों के आधिकारिक बयानों में तोड़-मरोड़ कर अपने पक्ष में हवा बनाने की कोशिश कर रहा है जिसके कारण पाकिस्तान के दूसरे देशों के साथ कूटनीतिक रिश्ते और ज़्यादा खराब होते जा रहे हैं।
दरअसल, कश्मीर मुद्दे पर मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच शुक्रवार को फोन पर बात हुई। इस दौरान अब्दुल्ला ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाना भारत का आंतरिक मामला है। शाहिद ने कुरैशी से यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही मालदीव के करीबी दोस्त और द्विपक्षीय साझेदार हैं। पड़ोसी देशों के आपस में जितने भी विवाद हैं, उनको शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए।
मालदीव के इस बयान के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी भड़क गए और उन्होंने हताशा में यह दावा किया कि उनकी फोन पर बातचीत के दौरान मालदीव के विदेश मंत्री ने ऐसी बातें कही ही नहीं। इसके बाद मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर पाकिस्तान के गाल पर झापड़ जड़ते हुए यह स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मामला है और इस मुद्दे पर मालदीव का आधिकारिक रुख इसी प्रकार रहेगा।
इसके अलावा श्रीलंका ने भी हमारे पड़ोसी देश को बेइज़्ज़त करने का मौका नहीं छोड़ा। कोलंबो में पाकिस्तान के दूत ने कश्मीर को लेकर श्रीलंका के राष्ट्रपति का नाम लेकर एकतरफा बयान जारी कर दिया। पाकिस्तान के हाईकमिश्नर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मिलने की गुहार लगाई और इस मुलाकात के बाद एकतरफा प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए दावा कर दिया कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कश्मीर को विवादित हिस्सा मानते हुए यूएन चार्टर के हिसाब से इसका समाधान निकालने को कहा है लेकिन इस चिट्ठी के सामने आते ही श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना के दफ्तर ने प्रेस रिलीज़ जारी की और साफ साफ कहा कि राष्ट्रपति ने ऐसी कोई टिप्पणी की ही नहीं है। यानि श्रीलंका ने भी पाकिस्तान के झूठ की पोल खोलने में समय नहीं लगाया।
कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है और इसके कारण हताशा में वह अब दूसरे देशों के आधिकारिक बयानों में छेड़छाड़ कर रहा है, ताकि अपनी जनता को खुश किया जा सके। इससे पहले जब पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर यूएनएससी में मुंह की खानी पड़ी थी, तब भी पाकिस्तान ने अपने देश में यही झूठ बेचा था कि पाकिस्तान को कूटनीतिक स्तर पर बड़ी कामयाबी मिली है, ये बात और थी कि यूएनएससी के स्थायी 5 देशों में से 4 और 10 अस्थायी देशों में से 9 ने भारत के रुख का ही समर्थन किया था। हालांकि, यहाँ मालदीव और श्रीलंका ने पाकिस्तान की पोल खोलने में जरा भी समय नहीं लगाया।