‘अब कैसे फैलाएंगे कश्मीर में अपना आतंकी एजेंडा’, पाकिस्तान अब यही रोना रो रहा है

370 पाकिस्तान

PC: Jagran

सरकार की तरफ से गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया जिसमें जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में करने का प्रस्ताव रखा गया। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया जिसमें कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 370 (1) के अलावा अनुच्छेद 370 का कोई भी खंड जम्मू कश्मीर में अब से लागू नहीं होगा। यह बड़ा ऐलान तब सामने आया जब पिछले 2 हफ्तों से केंद्र सरकार द्वारा घाटी को लेकर कई बड़े कदम उठाए गए थे। भारत सरकार के इस कदम से सबसे ज़्यादा अगर कोई परेशान होगा, तो वह पाकिस्तान है, जहां की पूरी राजनीति का केंद्र ही ‘कश्मीर’ मुद्दा रहता है।

जाहिर है हमारे पड़ोसी देश को अनुच्छेद 370 को लेकर की गयी घोषणा बिलकुल रास नहीं आई होगी. वो इससे बौखलाया हुआ है।उसकी बौखलाहट उसके शब्दों में साफ नजर आ रही है।

इस फैसले पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि “भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर की गयी घोषणा की हम कड़ी निंदा करते हैं, भारत का यह फैसला गलत है और पाकिस्तान इस मुद्दे को अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष जोर-शोर से उठाएगा।”

बता दें कि हमारे सबसे बड़े शत्रु देश के चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा अक्सर कश्मीर ही रहता है। सभी राजनीतिक पार्टियां पूरे कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के वादे के साथ चुनावी मैदान में उतरती हैं, और कश्मीर के नाम पर ही चुनाव हारे और जीते जाते हैं। इतना ही नहीं, हमारे पड़ोसी देश की सेना भी लोगों को ‘कश्मीर’ मुद्दे पर भड़का कर जनता पर अपना प्रभाव जमाती आई है। अब भारत सरकार ने जब अनुच्छेद 370 को ही खत्म करने का ऐलान कर दिया है, तो इन प्रदेशों का नियंत्रण सीधे तौर पर केंद्र सरकार के पास होगा और कश्मीर को भारत के अन्य-राज्यों के समान ही दर्जा मिलेगा। ऐसे में हमारे सबसे बड़े शत्रु देश को यह भूल ही जाना चाहिए कि वह कभी कश्मीर को पाक में मिला पाएगा। कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटते ही पाक राजनेताओं के हाथ से कश्मीर मुद्दा पूरी तरह फिसल चुका है।  

पाक सेना और खूफिया एजेंसी आईएसआई अक्सर कश्मीर में अपने पालतू आतंकियों को भेजती रही है और उन्हें भारत में घुसपैठ करने में मदद करती रही है। हमारे पड़ोसी मुल्क के लिए ऐसा करना इसलिए आसान रहता था क्योंकि कश्मीर में पाक परस्त कुछ लोग आतंकियों को शरण प्रदान करते थे, और सेना को इनके खिलाफ ऑपरेशन चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। हमें देखने को मिलता था कि जब भी सेना कोई ऐसा ऑपरेशन चला रही होती थी, तभी वहां पर पत्थरबाज़ पहुँच जाते थे और सेना के ऑपरेशन में बाधा डालने का काम किया करते थे। अनुच्छेद 370 हटने और, जम्मू और कश्मीर के एक केंद्र शासित प्रदेश बनने से राज्य की कानून व्यवस्था सीधा केंद्र के हाथों में होगी और अब पाकिस्तानी घुसपैठियों के लिए घाटी में शरण प्राप्त करना मुश्किल होगा, और पाकिस्तान को घाटी में अपना एजेंडा चलाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

अनुच्छेद 370 हटाकर सरकार ने एक झटके में कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को शक्तिहीन कर दिया है। जब भी पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत पर दबाव बनाना होता था, तो वह इन अलगाववादियों के जरिये घाटी में अस्थिरता फैलाने का प्रयास करता था और ये अलगाववादी पूरे कश्मीर मुद्दे के केंद्र में रहते थे। हालांकि, केंद्र सरकार ने एक झटके में अब इन अलगाववादियों को शक्तिहीन कर दिया है। इन अलगवादियों के जरिये कश्मीर में कानून व्यवस्था को भंग करना अब पाकिस्तान के लिए मुमकिन नहीं होगा।

अनुच्छेद 370 की आड़ में कश्मीरी नेताओं ने वर्षों तक कश्मीरियों को मुख्यधारा से दूर रखा और देश के सामान्य भारतीयों के मुक़ाबले इनको हमेशा अलग पहचान दी गई। अनुच्छेद 370 ही कश्मीरियों में अलगाव की भावना को बढ़ावा देता था। अब चूंकि, अनुच्छेद 370 को हमेशा के लिए हटाया जा रहा है, तो कश्मीरियों और भारतीयों को अब एक समान दर्जा दिया गया है, और भारतीय संविधान की नज़र में सब एक समान हो गए हैं। इससे पहले तक जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता का अधिकार प्राप्त था। अब मोदी सरकार के इस कदम से कश्मीर के नागरिक अन्य भारतीय नागरिक के समान हो गये हैं जिसका मतलब साफ़ है कि कश्मीर की अलगाववादी स्थिति का फायदा पाक नहीं उठा पायेगा यानि पाक पूरी तरह अब वैचारिक लड़ाई भी हारता नज़र आ रहा है।

कश्मीर मुद्दे को हल करना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं में से एक रहा है। आज़ादी के बाद जितनी भी सरकारें आई, वे कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में असफल साबित हुई जिसका खामियाजा कश्मीर के लोग आज भी भुगत रहे हैं। घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण राज्य का विकास नहीं हो पाया और स्थानीय अर्थव्यवस्था के कमजोर होने के कारण लोगों को रोजगार ढूंढने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अब सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला लेकर इस समस्याओं को हल करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

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