द वायर को इस बार सुप्रीम कोर्ट से गहरा झटका लगा है। गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने न केवल द वायर द्वारा दर्ज स्पेशल लीव पेटिशन को खारिज किया, अपितु वेबसाइट पर मुकदमा चलाये जाने को भी स्वीकृति दी है।
दरअसल 2017 में द वायर ने एक लेख में अमित शाह के बेटे जय शाह पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही लेख में जय शाह के जरिये अमित शाह पर भी निशाना साधने का प्रयास किया गया था। उस समय अमित शाह भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। परंतु इस लेख में जो दावे किये गये थे उन्हें साबित करने के लिए न ही कोई सटीक तर्क थे और न ही किसी प्रकार के सबूत को अटैच किया गया था।
इसके बाद जय शाह ने द वायर और इस लेख की लेखिका रोहिणी सिंह के खिलाफ 100 करोड़ का मानहानि मुकदमा दर्ज़ कराया था, जिसके जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं अधिवक्ता कपिल सिब्बल की देख रेख में द वायर ने स्पेशल लीव पेटिशन दायर की थी।
हालांकि, The Wire की मंशाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेरते हुए न केवल द वायर की अपील खारिज की, अपितु उन्हें मुकदमे का सामना करने की बात भी कही। ये निर्णय न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने लिया, और उन्होंने इसके साथ ही ये भी कहा कि वेबसाइट के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई को सक्षम अदालत द्वारा 6 महीने के अंदर ही पूरा किया जाए। इसके साथ ही मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, “यह बेहद ही गंभीर मामला है। अब हमें याचिका को वापस लेने की अनुमति क्यों देनी चाहिए? क्यों ना हम इस पर स्वतः संज्ञान लें, एक जज के तौर पर हम इसे लेकर चिंतित हैं।“ जस्टिस गवई ने कहा कि “यह कैसी पत्रकारिता है? यह और कुछ नहीं बल्कि पीत पत्रकारिता है।“
हालांकि, यह पहला अवसर नहीं है जब द वायर या फिर किसी अन्य वामपंथी पोर्टल को भ्रामक खबरों और बेतुकी रिपोर्ट्स के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़े हों। द वायर कई बार अपने भ्रामक लेख और बेतुके ‘स्टिंग रिपोर्ट्स’ के लिए बदनाम रहा है। जय शाह के अलावा रिलायंस ने भी पिछले साल राफेल मुद्दे पर भ्रामक खबरें फैलाने के लिए The Wire के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें कुल 6000 करोड़ रुपये का मुआवजे की मांग की थी।
चाहे वो राज्यसभा टीवी से बिना अनुमति के कॉपीराइट मटेरियल का अपने प्रोपेगेंडा के लिए इस्तेमाल करना हो, या फिर राफेल मामले में रिलायंस को ज़बरदस्ती भ्रष्टाचारी का ‘टैग’ देना हो, या फिर सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा को लेकर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के बयानों को लीक करना हो, वायर की घटिया पत्रकारिता का कोई जवाब नहीं है।
द वायर ने तो दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक को नहीं छोड़ा था, और उनके निधन के तुरंत बाद उनसे संबंधित एक झूठा और घटिया लेख प्रकाशित किया था। अब अमृतसर ट्रेन हादसे पर अभिसार शर्मा की आधारहीन और निम्न स्तर की पत्रकारिता में The Wire की रिपोर्टिंग भला किससे छुपी है। स्वयं रोहिणी सिंह भी कई अवसरों पर अपनी भ्रामक रिपोर्टिंग के लिए चर्चा में रही हैं। चाहे वो अभिनेता अक्षय कुमार की नागरिकता पर तंज़ कसना हो, या फिर योगी आदित्यनाथ पर विवादित पत्रकार प्रशांत कनोजिया के प्रोपगैंडा को समर्थन देना हो, रोहिणी सिंह ने अपने एजेंडा को प्रचारित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। परंतु इस बार उनकी एक न सुनी गयी, और The Wire को अब अदालत में अपनी घटिया पत्रकारिता पर जवाब देना पड़ेगा, अन्यथा The Wire को ये मामला ले डूबेगा।