लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से रियल लाइफ हीरो फुनसुख वांगडू हैं बेहद खुश, पर आमीर खान के पास बधाई देने का वक्त नहीं

सोनम वांगचुक अमित शाह

PC: Hindustan Times

एक ऐतिहासिक निर्णय में सोमवार को वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के उन सभी प्रावधानों को निष्क्रिय कर दिया है, जो राज्य के लोगों को विशेषाधिकार देता था। इसी के साथ-साथ अमित शाह ने यह घोषणा भी की कि लद्दाख क्षेत्र अब एक केंद्र शासित प्रदेश होगा, जिसका प्रशासन सीधा केंद्र सरकार के हाथ में होगा। इसी से संबन्धित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को राज्य सभा में पेश किया गया, जिसमें 2/3 बहुमत के साथ पारित भी कर दिया गया।

इस निर्णय से सम्पूर्ण लद्दाख क्षेत्र में मानो खुशी की लहर छा गयी है। लोग सड़कों पर निकलकर इस अवसर को एक उत्सव की तरह मना रहे हैं, और साथ ही साथ केंद्र सरकार को इस निर्णय के लिए धन्यवाद भी प्रकट कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं प्रसिद्ध अभियंता सोनम वांगचुक, जिन्होंने ट्विटर पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘धन्यवाद प्रधानमंत्री जी। पीएम मोदी को लद्दाख के वर्षों पुराने सपने को पूरा करने के लिए लद्दाख उनका आभारी रहेगा। ठीक 30 वर्ष पहले हमारे लद्दाख के नेताओं ने एक केंद्र शासित लद्दाख की मांग की थी। इस लोकतान्त्रिक विकेंद्रीकरण के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।‘

परंतु ये सोनम वांगचुक आखिर कौन है? इन्हें लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से इतनी खुशी क्यों हो रही है? सोनम वांगचुक लद्दाख क्षेत्र से हैं, और बतौर सामाजिक कार्यकर्ता इन्होंने शिक्षा और इनोवेशन के क्षेत्र में काफी व्यापक बदलाव किए हैं। लद्दाख की पहचान बन चुका स्टूडेंट्स एजुकेशन एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख के संस्थापकों में से एक सोनम वांगचुक भी है।

उन्होंने ऐसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिससे लद्दाख और बाकी भारत के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त हुआ। उदाहरण के लिए बर्फ स्तूप को ही देख लीजिये। जिससे देश के कई हिस्सों में जल की समस्या एक विकराल रूप धारण कर लेती हो, वहाँ पर जल संरक्षण के लिए सोनम वांगचुक का यह नायाब उपाय अपने आप में किसी वरदान से कम नहीं है। शायद यही कारण है कि उन्हें उद्यमिता के लिए पिछले वर्ष रेमोन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

काफी समय से लद्दाख केन्द्रीय शासन के दर्जे की मांग कर रहा था क्योंकि वे राज्य की नीति में कश्मीर के प्रभुत्व से कहीं दब सा जाता था। लद्दाख के लोगों का कहना है कि श्रीनगर में स्थित प्रशासन ने उनके साथ कभी न्याय नहीं किय था। इसलिए आठ महीने पहले लेह एवं कार्गिल में स्थित लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल ने ‘कश्मीर के प्रशासनिक ढांचे से स्वतंत्रता की मांग की है’। काफी समय बाद इस मांग को पूरा किया गया है, और एक लद्दाखी होने के नाते सोनम वांगचुक इस निर्णय से काफी प्रसन्न भी हैं।

लेकिन जहां एक ओर लद्दाख के अधिकांश निवासी इस निर्णय से काफी प्रसन्न हैं, तो वहीं लद्दाख को मिली इस बड़ी ख़ुशी पर अभिनेता आमिर खान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। आमिर खान की लोकप्रिय फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में आमिर खान का किरदार रणछोड़दास श्यामलदास चांचड़ उर्फ फुंग सुक वांगडू सोनम वांगचुक के जीवन से ही प्रेरित था।

जिस किरदार के कारण आमिर खान की फिल्म को बड़ी सफलता मिली, उन्हें कई पुरस्कार मिले और उनके अभिनय के लिए उन्हें सराहा गया, उस किरदार से संबंधित क्षेत्र के लिए इस बड़ी ख़ुशी पर आमिर खान द्वारा कोई प्रतिक्रिया न देना समझ से परे है। अक्सर सामजिक कार्यों में अपनी राय देने वाले आमिर खान को लद्दाख के लोगों की इस ख़ुशी पर अपनी प्रतिक्रिया तो देनी ही चाहिए, लेकिन अभी तक वो मौन धारण किये हुए हैं।

वैसे आमिर के लिए ये कोई नई बात भी नहीं है, जब जायरा वसीम का धार्मिक कारणों से बॉलीवुड छोड़ना चर्चा में था तब भी आमिर खान मौन धारण किये हुए थे। ऐसे में आमिर खान ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि जब अवसरवादिता की बात आती है, तो इनका कोई जवाब नहीं।

आमिर खान को जायरा वसीम को समझाना चाहिए, आखिर वो एक अच्छे मेंटर हैं

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