भारत के नामी वकीलों की टीम भी नहीं बचा पायी चिदंबरम को

चिदंबरम

PC: dailyhunt

हाल ही में आईएनएक्स मीडिया केस में पैसों के गबन और एफ़डीआई के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को आखिरकार बुधवार की रात सीबीआई ने ज़ोर बाग से गिरफ्तार कर लिया। चिदंबरम को जमानत दिलाने के लिए एक नहीं दो नहीं बल्कि 12 वकीलों की फ़ौज थी लेकिन कोई भी जमानत नहीं दिला सका। हालांकि, आज सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट से 26 अगस्त तक चिदंबरम को ईडी की गिरफ्तारी से राहत मिल गयी है लेकिन वो 26 अगस्त तक सीबीआई हिरासत रहेंगे।

20 अगस्त की शाम करीब तीन बजे दिल्ली हाईकोर्ट से पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद आनन-फानन में चिदंबरम की पैरोकारी में लगे देश के दिग्गज वकील तत्काल राहत दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। इस मामले में चिदंबरम के लिए कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सलमान खुर्शीद सहित 12 वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। इन सभी ने जस्टिस एनवी रमना से चिदंबरम की गिरफ्तारी पर रोक की मांग की थी लेकिन बेंच ने सुनवाई करने से मना कर दिया। जब वकीलों की यह फौज रजिस्ट्रार के पास गयी और याचिका चीफ जस्टिस के पास भेजने को कहा तब रजिस्टार ने याचिका में ही खामियां बताकर उसे खारिज कर दिया। इतने बड़े बड़े वकील लेकिन फिर भी चिदंबरम को जमानत नहीं मिल सकी और 24 घंटे तक लुका छुपी के बाद सीबीआई ने उन्हें उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया।

बता दें कि इस केस में अभी तक चिदंबरम को 20 से ज्यादा बार गिरफ्तारी से राहत मिल चुकी है यानि 20 से ज्यादा बार सुनवाई हो चुकी है। परन्तु इस बार उनके खिलाफ सबूत और गवाह इतने मजबूत थे कि बड़े बड़े वकील भी हाथ मलते रह गये। किसी ने सच ही कहा है जब कर्मों का फल भुगतने का समय आता है तब बड़े से बड़े महारथी भी कुछ नहीं कर पाते और चिदंबरम के साथ भी यही हुआ है।

चिदंबरम कोई आम राजनेता नहीं है। हावर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए तथा डॉ अंबेडकर लॉं कालेज से कानून में बैचलर डिग्री हासिल करने वाले चिदंबरम का नाम भी देश के टॉप 15 महंगे वकीलों में शुमार होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके चिदंबरम को बचाने वाले और उनका पक्ष रखने वाले इनके साथी वकील उनसे भी महंगे वकीलों में गिने जाते है।

केस को जीतना और हारना वकील पर निर्भर करता है लेकिन जब मामले में सबूत और गवाह पक्के हो तो ये बड़े वकील भी क्या ही कर सकते हैं। चिदंबरम खुद एक वकील हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट में एक दिन पेशी के लिए 6-7 लाख रुपये, जबकि हाई कोर्ट में एक दिन की पेशी के लिए 7 से 15 लाख रुपये की फीस लेते हैं। इनके सभी मामलों में कॉल ब्लॉक एलोकेशन सबसे चर्चित मामला रहा है। अब इन बड़े वकीलों की बात कर लेते हैं जो इन्हें बचाने के लिए प्रयासरत थे। चिदंबरम को बचाने वाले वकीलों में सबसे पहले नाम आता है कपिल सिब्बल का। कोर्ट में एक पेशी के सिब्बल 5 से 16 लाख रुपये फीस लेते हैं। कपिल सिब्बल सहारा समूह के चीफ सुब्रत राय के वकील हैं। यह कोलगेट केस में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भी वकील हैं।

वहीं दूसरे अभिषेक मनु सिंघवी हैं, जो देश के 5 महंगे वकीलों में से एक माने जाते हैं। इनकी फीस प्रति हियरिंग करीब 6-15 लाख रुपये है। 58 वर्षीय सिंघवी भारत के सबसे युवा अटॉर्नी जनरल पद पर महज 37 साल की उम्र में ही आसीन हो गए थे। अंबानी भाइयों के कोर्ट वाले मामले में मुकेश अंबानी की पसंद अभिषेक ही थे। इसके अलावा अब तक कई बड़े मामले ये लड़ चुके हैं।

तीसरे है कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद। सलमान खुर्शीद जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ता, प्रख्यात लेखक और कानून शिक्षक हैं। ये यूपीए सरकार के दौरान विदेश मंत्री भी रह चुके है। सलमान खुर्शीद एक केस के 7 से 8 लाख रुपए लेते है। ये सुप्रीम कोर्ट में पेशी के लिए 5 लाख से अधिक रुपये लेते हैं, जबकि हाईकोर्ट के लिए 8 से 11 लाख रुपये लेते हैं। तहलका विवाद इनके चर्चित केसों में से एक है। इनके अलावा वकीलों की इस सूची में अर्शदीप सिंह खुराना और विवेक तन्खा भी थे। अर्शदीप सिंह खुराना दिल्ली के सबसे महंगे वकीलों में गिने जाते है वहीं, विवेक तन्खा सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील तथा कांग्रेस पार्टी के सदस्य है।

अगर सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की फीस जोड़े तो यह एक सुनवाई के लिए ही कुल 25 लाख हो जाता है तथा अन्य 9 वकीलों की फीस 1 लाख भी मानकर चलें तो कुल फीस 9 लाख हो जाएगी। मतलब कि चिदंबरम ने एक सुनवाई के लिए 34 लाख रुपये खर्च किये होंगे लेकिन इतने पैसे खर्च करने बावजूद इनमें से कोई भी चिदंबरम को जमानत नहीं दिलवा सका। जैसा कि हमने आपको बताया इस मामले में अभी तक कुल 20 सुनवाई हो चुकी है जिसका मतलब यह है कि चिदंबरम ने इस मामले के लिए अभी तक लगभग 6 करोड़ से भी ज्यादा खर्च किया है पर फिर भी वो अपने ऊपर लगे आरोपों को झूूठा साबित करने में नाकाम रहे हैं। अब सभी को 26 अगस्त का इंतेजार है कि कोर्ट आगे क्या फैसला सुनाता है।

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