वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के तहत वेस्टइंडीज के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मैच एंटीगा के सर विवियन रिचर्ड्स स्टेडियम में खेला जा रहा है। पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने पहले दिन का खेल खत्म होने तक 68.5 ओवर में 6 विकेट गंवा कर 297 रन बना लिए हैं। भारत ने टेस्ट टीम में बदलाव करते हुए रोहित शर्मा और रविचंद्रन अश्विन को प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं दिया है।
रोहित शर्मा ने पिछले टेस्ट मैच में नॉटआउट हाफ सेंचुरी ठोकी थी और प्रैक्टिस मैच में भी हाफ सेंचुरी जड़ी थी इसके बावजूद उन्हें टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल पाई है। बता दें कि मौजूदा दौरे पर अजिंक्या रहाणे को टीम का उपकप्तान बनाया गया है।
एक बात समझ में नहीं आती कि रोहित शर्मा एकदिवसीय मैचों के एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं और टीम के उपकप्तान भी हैं। फिर भी उन्हें टेस्ट मैचों से दूर रखा जाता है या जानबूझकर मौका नहीं दिया जाता है। कुछ दिनों पहले टीम के कप्तान विराट कोहली के साथ मतभेद की खबरें भी आई थीं। क्या यह एक वजह हो सकती है जिससे रोहित शर्मा को टेस्ट टीम से बाहर रखा गया है? हो सकता है लेकिन यह सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है।
हैरान करने वाली बात यह है कि अजिंक्या रहाणे टेस्ट टीम के उपकप्तान हैं लेकिन वनडे टीम में उनकी जगह नहीं है। यह कोई संयोग नहीं है कि विश्व के 2 बेहतरीन बल्लेबाज जो दुनिया के किसी भी ग्राउंड पर जाकर रन बनाने की क्षमता रखता हो और उसका मौजूदा प्रदर्शन भी अच्छा रहा है लेकिन उन्हें टीम में जगह न मिले या यूं कहें कि एक टीम में जगह मिले लेकिन दूसरे में न मिले।
टीम का सेलेक्शन तथा प्लेइंग 11 चुनने में कप्तान का हाथ होता है और कप्तान हैं विराट कोहली। इन दोनों खिलाड़ियों को अगर देखें तो ऐसा लगता है कि विराट कोहली अपने समकालीन खिलाड़ियों में से किसी को भी क्रिकेट के दोनों फार्मेट में खेलने ही नहीं देना चाहते हैं जिससे उन्हें किसी प्रकार की चुनौती न मिले।
विश्व के कई बड़े क्रिकेट पंडितों ने रोहित शर्मा और रहाणे को प्रतिभा और टैलेंट के मामले में बेहतर पाया है। यह दोनों ही खिलाड़ी विराट कोहली से किसी भी मामले में कम नहीं हैं भले ही रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि न कर रहा हो, इन दोनों खिलाड़ियों का रिकॉर्ड टीम में अंदर–बाहर होने की वजह से ही खराब हुआ है। रोहित शर्मा ने एक तरह जहां 219 वनडे मैचों में खेला है जिसमें उनका औसत 48.53 की है, वहीं दूसरी तरफ सिर्फ 27 टेस्ट मैचों में ही उन्हें खेलने का मौका मिला है। अगर रहाणे की बात करें तो वो 57 टेस्ट मैच खेल चुके हैं और उसके मुक़ाबले सिर्फ 90 वनडे मैच में ही मौका मिला है जबकि उन्होंने वनडे में टेस्ट से पहले पदार्पण किया था। इन दोनों ही खिलाड़ियों ने टेस्ट में एक साथ डेब्यू किया था।
इन दोनों ही खिलाड़ियों को छोड़ दें तो भी भारतीय क्रिकेट टीम का शायद ही कोई बल्लेबाज तीनों ही फार्मेट में खेलता होगा जो विराट कोहली के समकालीन हो तथा प्रतिभा के मामलें में उनके बराबर हो। इस पर बहस हो सकती है कि यह लोकेश राहुल और ऋषभ पंत भी टीम के दोनों ही फार्मेट में हैं या शिखर धवन भी तीनों ही फार्मेट में खेलते हैं। इस बात पर हमारा विचार यह है कि राहुल और पंत जूनियर हैं तथा शिखर भी टेस्ट मैचों में कम भी खेलते हैं 2013 में पहला टेस्ट खेलने के बाद अभी तक सिर्फ 34 मैच ही खेल पाये हैं। टीम में अगर कोई खिलाड़ी विराट को चुनौती दे सकता है तो वह निश्चित तौर पर रोहित शर्मा ही हैं और अगर पहले से रहाणे को बराबर मौका मिल पाता तो वे भी आज कई रिकॉर्ड बना चुके होते। इस बात को बिल्कुल नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि इस रणनीति के पीछे विराट कोहली का दिमाग ही हो सकता है लेकिन यह सिर्फ अनुमान है और भारतीय टीम के मौजूदा टीम के खिलाड़ियों को देखें और सोचें तो यह सच ही लगेगा।