माणिक सरकार अपनी पार्टी को सैलरी दान करते थे, CM बिप्लब देब अपनी सैलरी राज्य को दान कर रहे हैं

बिप्लब देब

(PC: NBS24)

किसी भी लोकतांत्रिक देश में एक चुने हुए नेता का सबसे पहला धर्म लोगों की सेवा करना होता है। हालांकि, इस देश का दुर्भाग्य यह रहा है कि कुछ नेता जहां सत्ता प्राप्त होते ही पार्टी की सेवा में लग जाते हैं, तो कुछ नेता ऐसे भी होते हैं जो परिवार की संपत्ति को बढ़ाने में जुट जाते हैं। हालांकि, इस मामले में त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब (biplab kumar deb) ने ऐसे सब नेताओं के लिए एक मिसाल पेश की है। दरअसल 14 सितंबर से बीजेपी पूरे देश में सेवा सप्ताह मनाने जा रही है, और इसी दौरान त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने राज्य में स्वच्छता कार्यक्रम को बल देने का निश्चय किया है। इतना ही नहीं, राज्य के स्वच्छता कार्यक्रम के लिए उन्होंने अपनी छः महीने की सैलेरी को भी दान करने का ऐलान किया है। यह पैसा राज्य सरकार को हर गाँव के बाज़ार में कूड़ेदान स्थापित करने के लिए इस्तेमाल में लगाया जाएगा। इस तरह जहां सीएम बिप्लब देब ने लोगों की सेवा के लिए अन्य नेताओं के समक्ष एक मिसाल पेश की है, वहीं त्रिपुरा ने माणिक सरकार जैसे मुख्यमंत्रियों को भी देखा है जो अपनी हर महीने की सैलरी को अपनी सीपीआई(एम) पार्टी के फंड में जमा कर दिया करते थे।

दरअसल, 14 सितंबर से शुरू हो रहे सेवा सप्ताह के तहत भाजपा ने अपने सभी कार्यकर्ताओं को अपने-अपने इलाकों में अभियान चलाने को कहा है। इसी के तहत अब त्रिपुरा के सीएम ने यह बड़ा फैसला लिया है। सीएम देब ने कल इसको लेकर एक ट्वीट भी किया और लिखा ‘स्वच्छता ही सेवा है। हमने आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के जन्मदिवस के सप्ताह को सेवा सप्ताह के रूप में मनाने का फैसला लिया है, और इसके लिए मैंने अपनी छः महीने की सैलेरी को 1100 ग्रामीण बाज़ार कमिटियों को देने का निश्चय किया है जिसको हर गाँव के बाज़ार में 8 से 10 डस्टबिन लगाने के काम में इस्तेमाल किया जाएगा’। इसके अलावा बिप्लब देब ने सभी त्रिपुरा वासियों से राज्य को स्वच्छ बनाने में मदद मारने की अपील भी की है।

बता दें कि त्रिपुरा के सीएम का मासिक वेतन लगभग 67 हज़ार रुपये होता है, और इस हिसाब से छः महीनों का वेतन लगभग 4 लाख रुपये बनता है, जिसे सीएम ने दान करने का फैसला लिया है। इतना ही नहीं, त्रिपुरा सरकार नियमों में बदलाव करके सभी दुकानों में कूड़ेदान की व्यवस्था करने को भी अनिवार्य करने जा रही है, और अगर कोई नए कानून का उल्लंघन करेगा तो उसपर जुर्माना लगाने का प्रावधान भी किया जाएगा। यानि स्पष्ट है कि सरकार राज्य में सफाई को लेकर एकदम गंभीर है।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब त्रिपुरा के सीएम ने अपनी सैलरी को लोगों की भलाई के लिए दान करने का फैसला लिया हो। पिछले महीने ही मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने अपना एक महीने का वेतन बेसहारा बच्चों की देखभाल करने वाले एक संगठन को दान कर दिया था। मुख्यमंत्री सचिवालय के मुताबिक बिप्लब देब ने इस महीने की शुरुआत में अपनी पत्नी नीति देब के साथ निराश्रित बच्चों के बीच अपनी बेटी का जन्मदिन मनाया था।

हालांकि, बिप्लब देब के पहले इस राज्य के सीएम रहे माणिक सरकार भी अपनी सैलरी को ऐसे दान किया करते थे, लेकिन लोगों की भलाई के लिए नहीं, बल्कि अपनी पार्टी की भलाई के लिए। वे अपने हर महीने की सैलरी को पार्टी फंड में जमा करा दिया करते थे। इससे स्पष्ट होता है कि उनकी प्राथमिकता लोगों की सेवा करना नहीं, बल्कि पार्टी की सेवा करना था। यही चीज़ त्रिपुरा के मौजूदा सीएम बिप्लब देब को पिछली सीपीआईएम की सरकार और माणिक सरकार से अलग बनाती है। स्पष्ट है कि लोगों की सेवा करना ही सीएम देब की प्राथमिकता है और इसीलिए आज वे सीएम पद की कुर्सी पर आसीन भी हैं।

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