कड़े कानून से ही सड़क हादसे कम होंगे, राज्यों को नए ट्रैफिक नियमों के लाभ समझने होंगे

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PC: hindustantimes

इस महीने की शुरुआत में देशभर में नए ट्रैफिक नियम लागू किए गए थे, जिसमें नियम कानून तोड़ने पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि को कई गुना ज्यादा बढ़ा दिया गया था। नए नियमों के लागू होने के बाद से ही पूरे देशभर से भारी-भरकम जुर्माना लगाए जाने की खबरें ट्रेंड भी कर रही हैं, और कुछ लोगों ने नए नियमों का विरोध किया है। कुछ लोगों के विरोध को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर राहत देने का सिलसिला शुरू कर दिया है। मंगलवार को गुजरात की बीजेपी सरकार ने छूट की घोषणा की तो 24 घंटे बाद ही उत्तराखंड भी उसके रास्ते पर चल पड़ा। यहां भी बीजेपी सत्ता में है और बुधवार को राज्य सरकार ने भी कई नियमों में छूट देने की घोषणा की।

अब सवाल यह है कि क्या ऐसे करके हम अपने सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोक पाने में सफल होंगे। यह भी स्पष्ट है कि कड़े कानूनों का विरोध करने वाले वही लोग हैं जो क़ानूनों को धज्जियां उड़ाने में अपना विश्वास रखते हैं। जो भी राज्य अपने यहां नए नियमों में छूट देने की घोषणा कर रहे हैं, उन्हें कुछ ऐसे देशों से सीख लेनी चाहिए जहां सड़क हादसों में लोग सिर्फ इसीलिए कम मरते हैं क्योंकि वहाँ पर लोग नियम-क़ानूनों का सख्ती से पालन करते हैं।

देश के केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य सरकारों को यही संदेश दिया है। नितिन गडकरी ने इस पूरे मुद्दे पर कहा है ‘जो राज्य इस नए कानून को लागू करने से इनकार कर रहे हैं, उनके लिए जिंदगी से ज्यादा क्या पैसा महत्वपूर्ण है?’ नितिन गडकरी ने आगे कहा, ‘मैंने जीवन की रक्षा करने का संकल्प लिया था और यह मोटर व्हिकल्स एक्ट लोगों की जान बचाने के लिए ही लागू किया गया है। यह मेरा पहला उद्देश्य है, लेकिन मुझे राज्य सरकारों के सहयोग की जरूरत है। यह पार्टियों और राज्य सरकारों के ऊपर होना चाहिए’।

गुजरात और उत्तराखंड राज्य सरकारों के अलावा कर्नाटक और दिल्ली सरकार भी अपने यहां ट्रैफिक क़ानूनों को कमजोर करने की योजना बना रही है। इन राज्य सरकारों को यह नहीं दिखाई देता कि जब से नए कानून लागू हुए हैं, तब से आरटीओ ऑफिस में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों की लाइन लगी है। राज्य सरकारों को इस बात पर गौर करना चाहिए कि आंकड़ों के मुताबिक 30 फीसदी लाइसेंस फर्जी होते हैं। दुर्घटना में 18 से 35 साल की उम्र के लोगों की मौत सबसे ज्यादा होती है, जो 65 फीसदी है। लोगों की जान बचे और दुर्घटना ना हो, ये न्यू इंडिया की कल्पना है और इसके लिए राज्य सरकारों का योगदान सबसे अहम है।

इन देशों को अपने यहां सख्त नियम लागू करने की प्रेरणा अमेरिका जैसे देशों से लेनी चाहिए, जहां पर सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या भारत के मुक़ाबले बेहद कम होती है और इन देशों में सड़कों पर व्यवस्था भी बेहतर दिखाई देती है। उदाहरण के तौर पर अमेरिका में ड्राइविंग करते समय अगर आप मोबाइल फोन पर बात कर रहे हैं, तो आपको 7 लाख 23 हज़ार रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर करीब 72 हजार रुपए तक जुर्माना देना होगा और साथ ही तीन साल तक के लिए ड्राइविंग लाइसेंस भी जब्त कर लिया जाता है। इसके अलावा सिंगापुर में शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर करीब 3 लाख 60 हज़ार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। अब खुद सोचिए कि भारत में लगाया जा रहा लोगों पर जुर्माना इन देशों के मुक़ाबले तो बेहद कम है।

इतना तो स्पष्ट है कि नए नियमों के कारण लोगों के मन में भय बैठा है, और लोगों ने नियमों के प्रति अपना सम्मान जताना शुरू किया है। ऐसे में अब अगर नियमों को दोबारा कमजोर किया जाता है, तो फिर से हम वहीं आकर खड़े हो जाएंगे, जहां से चले थे। हमें लगता है कि राज्य सरकारों को जुर्माने की राशि कम करने की बजाय लोगों को नियमों के बारे में जागरूक करने की ओर ध्यान देना चाहिए।

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