जम्मू-कश्मीर पर भारत के ऐतिहासिक फैसले के बाद हमारा पड़ोसी देश अब भारत में अशांति फैलाने की पूरी कोशिश में है। यहां तक कि कुछ पाकिस्तानी तो कश्मीर में जिहाद फैलाने तक की बात कह रहे हैं। इसी बीच पिछले दिनों यह खबर आई थी कि पाक ने बालाकोट में अपने आतंकी कैंपों को फिर सक्रिय कर दिया है। इतना ही नहीं, पाक के पीएम इमरान खान ने तो यूएन के मंच से भारत को परमाणु हमले की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर दो पड़ोसी देशों के बीच परमाणु युद्ध छिड़ता है, तो इसका असर दुनियाभर में होगा। परमाणु बम से भारत और दुनिया को ब्लैकमेल करने का सपना देखे रहे इमरान खान को भारतीय सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने अब मुंह तोड़ जवाब दिया है।
सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने कहा कि बॉर्डर पर लुकाछिपी का खेल ज्यादा समय तक नहीं चलेगा और अगर सेना को एलओसी पर करने की ज़रूरत होगी, तो उससे भी वह पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, पाक की ओर से बार बार परमाणु हमलों की धमकी ने इतना स्पष्ट कर दिया है कि इस देश को ऐसे हथियारों के इस्तेमाल के बारे में कुछ पता ही नहीं है और पाक जैसे देश का परमाणु सम्पन्न होना कैसे दुनिया के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
बिपिन रावत ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत पाकिस्तान को कश्मीर के माहौल का गलत इस्तेमाल नहीं करने देगा। उन्होंने कहा कि-
“पाकिस्तान आतंकियों को कंट्रोल करता है लेकिन अब ज्यादा समय तक सीमा पर लुकाछिपी का खेल नहीं चल सकता। अगर जरूरत पड़ी तो हम सीमा पार भी कर देंगे फिर चाहे वो हवाई मार्ग से या थल मार्ग से”।
इसके अलावा, पाकिस्तान की परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की गीदड़ भभकियों पर बिपिन रावत ने कहा कि-
“परमाणु हथियार युद्ध लड़ने का हथियार है ही नहीं, बल्कि निवारण का हथियार है। पाकिस्तान को भारत पर परमाणु हमला करने के दावे करने से पहले ये सोचा कि विश्व समुदाय युद्ध के लिए उन्हें ये हथियार इस्तेमाल करने देगा या नहीं। पाकिस्तान के ऐसे बयानों से ये साफ है कि उसमें रणनीतिक हथियारों के इस्तेमाल की कितनी समझ है”।
परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर सभी जिम्मेदार देशों की नीति यही रहती है कि वे ऐसे हथियारों को सिर्फ अपने दुश्मनों को परमाणु हमला करने से रोकने के लिए निवारण के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। ऐसे हथियारों से सम्पन्न होने के साथ ही किसी भी देश के पास कुछ जिम्मेदारियाँ भी आती हैं जिनकी पाकिस्तान अक्सर धज्जियां उड़ाता रहता है। पाकिस्तान के मंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री भी हर छोटी बात पर यह बताने से नहीं चूकते कि उनके पास परमाणु हथियार है और वे उनका इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेंगे। अब पाकिस्तान को कौन समझाए कि ऐसे हथियार युद्ध के मैदान में प्रयोग करने के लिए नहीं बल्कि रणनीतिक तौर पर इस्तेमाल करने के लिए होते हैं।
चिंता की बात तो यह भी है कि पाकिस्तान लगातार ऐसे हथियारों का जखीरा बढ़ाता जा रहा है। वर्ष 2015 में पाकिस्तान ने कहा था कि क्षेत्र में सैन्य असंतुलन को देखते हुए वो परमाणु हथियार विकसित करने का काम जारी रखेगा। तब पाकिस्तान की ‘न्यूक्लियर कमांड एंड कंट्रोल अथॉरिटी’ ने कहा था कि सभी तरह के आक्रमणों से निपटने के लिए परमाणु हथियार ज़रूरी हैं।
परमाणु युद्ध से भारत और पाकिस्तान में कल्पना से परे तबाही होगी। इसलिए दोनों देशों को युद्ध की सोचना तो दूर, इस बारे में लापरवाही से कभी बात भी नहीं करनी चाहिए। पाकिस्तान को भारतीय सेनाध्यक्ष ने ठीक यही चेतावनी दी है। अगर पाक को लगता है कि वह भारत से सीधे युद्ध में हार जाएगा तो उसके लिए यही अच्छा रहेगा कि वह इस क्षेत्र में शांति स्थापना के लिए काम करे ना कि परमाणु युद्ध से हमला करने की धमकी दे! उन्हें समझना चाहिए कि उनके ऐसे बयानों से क्षेत्रीय शांति को नुकसान पहुंचता है और जिस पाकिस्तान को वे नया पाकिस्तान बनाने की बात कर रहे हैं, उनके ऐसे बयान पाकिस्तान की पहले ही धूमिल हो चुकी छवि को और ज़्यादा नुकसान पहुंचाते है।