देश की युवा पीढ़ी को भारतीय सेना के शौर्य और उसकी उपलब्धियों के बारे में अवगत कराने हेतु भारतीय थलसेना एक महत्वपूर्ण फैसला लेने जा रही है। एक सेमिनार के दौरान भारतीय थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने बताया कि थलसेना प्रसिद्ध सियाचिन ग्लेशियर के फॉरवर्ड पोस्ट एवं अन्य हाई एल्टीट्यूड वाले सैन्य पोस्ट को आम जनता के लिए खोलने पर विचार कर रही है।
सूत्रों की माने, तो सूत्रों की मानें तो आर्मी चीफ बिपिन रावत ने इस मामले में दिलचस्पी दिखाई है। उनका मानना है कि आम लोग सेना से जुड़ना चाहते हैं और उनके बारे में जानना चाहते हैं। हाल ही में आर्मी प्रमुख ने एक सेमिनार में कहा कि सेना की तरफ से आम लोगों को ट्रेनिंग इंस्टीट्यूशन में आने दिया जा रहा है और अब विचार किया जा रहा है कि लोगों को सेना के पोस्टों तक लाया जाए।
स्वयं सेना प्रमुख के अनुसार, “सेना और इसके ऑपरेशनल चैलेंज के बारे में जानने की लोगों की उत्सुकता बढ़ गई है। राष्ट्रीय एकीकरण के लिए अच्छा होगा। जैसा कि फोर्स नागरिकों को ट्रेनिंग सेंटर और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूशन का दौरा करने की अनुमति देता रहा है, अब हम सियाचिन ग्लेशियर जैसे कुछ फॉरवर्ड पोस्ट को भी खोलने की योजना बना रहे हैं”।
हालांकि, अभी इस मामले पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और सेना की ओर से इस बात पर विचार चल रहा है कि लोगों को कहां तक आने देना है, कितनी ऊंचाई तक की मंजूरी आम लोगों को देनी है, इस पर भी बातचीत जारी है। परंतु इतना तो स्पष्ट है कि सेना देश के सबसे ऊंचे सैन्य पोस्ट को आम जनता के लिए खोलने को पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
आपको बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर उसी लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा है जिसे अब नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर राज्य से अलग करके एक केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया है। सियाचिन ग्लेशियर विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। 13,000 से 22,000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित इस ग्लेशियर पर हाड़ कंपा देने देने वाली ठंड में भारतीय सैनिक देश की रक्षा के लिए हर समय तैनात रहते हैं। दुश्मन की गोली से ज्यादा कठिन यहां की बर्फीली ठंड से निपटना है। यहां जवानों को -50 डिग्री तापमान तक का सामना करना पड़ता है, और यहां अधिकतर जाने हिमस्खलन और ठंड से संबन्धित बीमारियों के कारण जाती हैं।
सेना के सूत्रों ने ये भी बताया कि लद्दाख और आस-पास के स्थानों पर जाने वाले भारतीय फेमस कारगिल युद्ध के टाइगर हिल जैसे प्रमुख स्थानों की यात्रा करने की अनुमति का अनुरोध करते हैं। उनसे जब ये पूछा गया कि क्या पाकिस्तान भारतीय सेना की इस योजना का विरोध कर सकता है, तो इन्हीं सूत्रों ने स्पष्ट जवाब दिया कि पूरा क्षेत्र भारत का है और इन मामलों पर फैसला लेने का अधिकार भारतीय प्रशासन के पास है।
2007 से भारत आम नागरिकों को सियाचिन बेस कैंप से 11,000 से 21,000 फीट तक की ऊंचाई पर स्थित अन्य स्थानों पर ट्रेकिंग करने की अनुमति दे रहा है। इस क्षेत्र में सबसे ऊंचा सैन्य पोस्ट बाणा टॉप के नाम से जाना जाता है, जिसके पीछे एक बड़ी रोचक कहानी है। दरअसल, इस पोस्ट पर 1980 के दशक में पाकिस्तानी सेना ने कब्जा जमा लिया था, और इसका नाम पाकिस्तान के संस्थापक, ‘कायदे आज़म’ मुहम्मद अली जिन्ना के नाम पर कायद पोस्ट रख दिया था।
इसे पुनः प्राप्त करने के लिए भारतीय सेना ने एक प्रारम्भिक ऑपरेशन चलाया, जिसका नेतृत्व सेकंड लेफ्टिनेंट राजीव पांडेय ने किया था। परंतु पाकिस्तानी घुसपैठियों ने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया, जिसमें राजीव पांडे वीरगति को प्राप्त हुए थे। भारतीय सेना ये अपमान नहीं सह सकती थी, और उन्होंने इस पोस्ट को प्राप्त करने के लिए एक और मिशन ईजाद किया, जिसका नेतृत्व मेजर वरिंदर सिंह को दिया गया, और शहीद राजीव के नाम पर इस मिशन का नाम ‘ऑपरेशन राजीव’ रखा गया।
काफी कठिनाइयों और बेहद विपरीत परिस्थितियों में भी भारतीय सैनिकों ने हिम्मत नहीं हारी, और जल्द ही वे कायद पोस्ट तक पहुंच गए। उस समय में ठंड इतनी थी कि गोलियों की बौछार के लिए प्रसिद्ध एके 47 राइफल बड़ी मुश्किल से सिंगल शॉट मोड पर आ गयी थी। इसके बाद भी पाकिस्तानी घुसपैठियों और भारतीय सैनिकों में एक बेहद भीषण युद्ध, जिसमें नायब सूबेदार बाना सिंह एक योद्धा की भांति दुश्मन की हर चाल को विफल करते नज़र आए।
गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी मेजर वरिंदर सिंह डटे रहे, और अंत में भारतीयों ने कायद पोस्ट को पुनः प्राप्त कर लिया। उत्कृष्ट बहादुरी के लिए नायब सूबेदार बाना सिंह को भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया, और वे पांचवें ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें यह पुरस्कार जीवित रहते मिला था, तो वहीं मेजर वरिंदर सिंह को उनकी बहादुरी के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। बाना सिंह की बहादुरी को देखते हुए उस पोस्ट का नाम बदलकर ‘बाना टॉप’ रख दिया गया।
ऐसे में पर्यटन के साथ साथ सियाचिन ग्लेशियर के पोस्ट्स को खोलने के निर्णय सराहनीय है इससे आम जनता सेना से जुड़ सकेगी। यदि भारतीय सेना का उद्देश्य सफल होता है, तो इससे न केवल हमारी युवा पीढ़ी को एक नई दिशा मिलेगी, अपितु वे भारी संख्या में सेना से जुडने के लिए प्रेरित भी होंगे।