हैदराबाद के कॉलेज का तुगलकी फरमान, मीडिया ने साधी चुप्पी, छात्राओं ने किया प्रदर्शन और हुई जीत

हैदराबाद

सोमवार को हैदराबाद की छात्राओं को एक बड़ी जीत मिली, जब सेंट फ्रांसिस कॉलेज फॉर वूमेन के प्रबंधन ने कॉलेज परिसर में घुटने की लंबाई तक कुर्ते पहनने के फरमान को वापस ले लिया। अगस्त से ही छात्राओं ने इस विवादास्पद ड्रेस कोड के खीलाफ मोर्चा खोल दिया था जो सही भी है क्योंकि एक तरफ जब हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो इस तरह के फरमान महिला सशक्तिकरण के कैंपेन के खिलाफ है। हालांकि, अधिकतर मीडिया चैनल्स ने इस मामले पर चुप्पी साधना ही उचित समझा।

सोमवार सुबह ही छात्राओं ने कॉलेज प्रबंधन से बात करने हेतु कॉलेज के प्रवेश द्वार को ब्लॉक कर दिया था। कॉलेज कैम्पस की एक छात्रा ने इस खबर की रिपोर्टिंग करने वाले पोर्टल द न्यूज़ मिनट से बातचीत में कहा था, ‘ड्रेस कोड हटाया जा चुका है और यही बात उन लोगों को भी सूचित की जा चुकी है, जो छात्राओं की ओर से कॉलेज प्रबंधन से बात करने के लिए गए थे। अब हमें मिनी स्कर्ट और क्रॉप टॉप छोड़कर हर प्रकार के ड्रेस पहनने की स्वतंत्रता दी गयी है।

1 अगस्त से कॉलेज में लागू हुए इस ड्रेस कोड के अंतर्गत छात्राओं के लिए घुटने तक या उससे नीचे की लंबाई वाले कुर्ती पहनना आवश्यक हो गया था। और यदि ऐसा नहीं होता, तो कॉलेज प्रबंधन स्वयं चेकिंग करने के लिए कक्षाओं का दौरा करता, और ड्रेस कोड को न मानने वालों पर कड़ी कार्रवाई करता। छात्राओं ने दावा किया कि जब उन्होंने कॉलेज प्रबंधन से इस बारे में गुहार लगाई, तो उन्हें ये तर्क दिया गया कि ‘लंबी कुर्ती पहनने से अच्छे शादी के रिश्ते आएंगे’।

परंतु शुक्रवार को स्थिति तब बिगड़ गयी, जब कॉलेज ने महिला सेक्यूरिटी गार्ड को तैनात किया। महिला  गार्ड ने ड्रेस कोड का पालन न करने वाली लड़कियों को परेशान करना शुरू कर दिया। कॉलेज का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें कॉलेज की प्रधानाचार्य, श्री सैंड्रा होर्टा छात्राओं के कपड़ों की चेकिंग करते हुए दिखाई दे रही थीं।

एक छात्रा ने द न्यूज़ मिनट को बताया, “हम ऐसे संस्थान का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं, जो इस प्रकार की रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे। हमसे इस तरह बात की जाती है, मानो हम पुरुषों को आकर्षित करते हैं। ये हम जैसी छात्राओं के लिए सही वातावरण नहीं है। इससे हमारा बौद्धिक विकास तो बिलकुल नहीं होगा’।

हालांकि, इस विषय पर कॉलेज प्रबंधन के किसी भी सदस्य ने मीडिया से किसी भी प्रकार की बातचीत करने से मना कर दिया। कल्पना कीजिये, अगर ये एक मिशनरी कॉलेज न होकर कोई आरएसएस संबन्धित कॉलेज या विद्या मंदिर होता। अब तक लुटियंस मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया होता, और इंटोलरेन्स का रिकॉर्ड घिस-घिस कर मोदी सरकार को एक बार फिर इस घटना के लिए दोषी सिद्ध कर दिया होता। रोचक बात तो यह है कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद तेलंगाना के मुख्यमंत्री पूरे समय इस विषय पर मौन साधे बैठे रहे।

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